बढ़ती महंगाई से ट्रिगर होगी आर्थिक मंदी? SBI ने Ecowrap रिपोर्ट में कहा- निराधार है ये चिंता


हाइलाइट्स

Ecowrap रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक मंदी की संभावना केवल 20-30% है.
जून के आंकड़ों में इस बात की पुष्टि हुई है कि महंगाई का उच्चतर स्तर निकल चुका है.
आपूर्ति और मांग की समस्याओं के चलते विश्व स्तर पर उच्च मुद्रास्फीति परेशान कर रही है.

नई दिल्ली. भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की ताजा रिसर्च रिपोर्ट Ecowrap के अनुसार, वैश्विक मंदी की संभावना केवल 20-30% है, जबकि अर्थव्यवस्था में गतिरोध का समय लंबा खिंचने की आशंका अधिक है. इस रिपोर्ट ने यह भी भविष्यवाणी की कि मार्च 2023 तक भारत की मुद्रास्फीति दर 5% तक पहुंच जाएगी.

रिपोर्ट में कहा गया है, “चिंता यह है कि बढ़ती मुद्रास्फीति और मोनिटरी का आक्रमक चक्र मंदी को ट्रिगर कर सकता है, खासकर अमेरिकी अर्थव्यवस्था में, लेकिन चिंता निराधार है.” शेयर बाजार की जानकारी मुहैया कराने वाली वेबसाइट इंडिया इंफोलाइन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में रिटेल महंगाई जून में लगातार छठे महीने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा निर्धारित 6 फीसदी की सीमा के ऊपर बरकरार है. रिटेल महंगाई जून 2022 में 7.01 फीसदी पर रही है.

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महंगाई का पीक स्तर गुजरा
इस इकोरैप रिपोर्ट में कहा गया है कि जून 2022 में CPI आधारित महंगाई थोड़ी गिरावट के साथ 7.01 फीसदी पर पहुंच गई है. यह आंकड़ा मई 2022 में 7.04 फीसदी पर था. इसमें गिरावट के पीछे वजह खाने की चीजों में महंगाई का घटना है. जून के आंकड़ों में इस बात की पुष्टि हुई है कि महंगाई का उच्चतर स्तर निकल चुका है.

एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार ने महंगाई को नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठाए हैं. इसमें गैसोलीन और डीजल पर टैक्स की कटौची, खाद्य निर्यात पर प्रतिबंध, और कमोडिटी की कीमतों में वैश्विक गिरावट के बीच सीमेंट की लागत में कमी जैसे महत्वपूर्ण उपाय शामिल हैं. बैंक की स्टडी कहती है कि आपूर्ति और मांग की समस्याओं के परिणामस्वरूप विश्व स्तर पर उच्च मुद्रास्फीति परेशान कर रही है.

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खाने-पीने की चीजें सप्लाई से संबंधित
यह भी कहा गया है कि खाने की चीजें और घरेलू सामान दो ऐसी कैटेगरीज़ हैं, जिन पर सप्लाई के आधार पर दाम लगातार प्रभावित हुए हैं. इनके अलावा मोबाइल फोन्स, इलेक्ट्रिसिटी, और मोटर व्हीकल्स के जुड़ा सामान उस श्रेणी में है, जिनमें प्राइस में बदलाव डिमांड के आधार पर होता है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि खुदरा मुद्रास्फीति पर GST दर में वृद्धि का अतिरिक्त प्रभाव केवल 15-20 आधार अंकों की सीमा में होगा, क्योंकि माल और सेवा कर (GST) के परिणामस्वरूप 18 जुलाई से कई वस्तुओं और सेवाओं की लागत अधिक होगी. सरकार के अनुसार, जीएसटी दरों में कोई भी वृद्धि, वेल्यू चेन में “अक्षमता” (Inefficiencies) को पूरा करने के लिए है.

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