Explainer : ट्रेजरी बिल में निवेश क्‍यों है FD से ज्‍यादा फायदेमंद? शॉर्ट टर्म में धांसू रिटर्न देने वाले T-Bill के बारे में जानिए सबकुछ


हाइलाइट्स

टी-बिल को उनकी वास्तविक कीमत से डिस्काउंट यानी छूट पर जारी किया जाता है.
मेच्योरिटी पर सरकार निवेशक के डीमैट एकाउंट से टी-बिल निकाल लेती है.
आमतौर पर 91 दिन की टी-बिल का रिटर्न 6% से 7.5% प्रतिशत के बीच में होती है.

नई दिल्‍ली. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के रेपो रेट में वृद्धि करने के बाद अब बैंक लगातार फिक्‍स्‍ड डिपॉजिट (FD Rate Hike) की ब्‍याज दरों में बढ़ोतरी कर रहे हैं. लेकिन, कम समय की एफडी पर बैंक ब्‍याज दरों में वृद्धि करने में कंजूसी कर रहे हैं. एक या दो साल तक टर्म डिपॉजिट पर भारतीय स्‍टेट बैंक अब भी केवल 6.1 फीसदी ब्‍याज दे रहा है. ऐसे में अगर आप शॉर्ट टर्म में ज्‍यादा रिटर्न पाना चाहते हैं, तो आप ट्रेजरी बिल (Treasury bills) में निवेश कर सकते हैं. RBI द्वारा हर हफ्ते ट्रेजरी बिल जारी किये जाते हैं.

लॉन्ग डेटेड बॉन्ड्स और ट्रेजरी बिल (T-Bills) में, पहले केवल बैंक या बड़े वित्तीय संस्थान ही निवेश कर सकते थे. लेकिन, अब रिटेल निवेशक भी इनमें निवेश कर गारंटी के साथ मिलने वाले आकर्षक रिटर्न का फायदा ले सकते हैं. भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ऑफर किए जाने वाले 364 दिन के ट्रेजरी बिल की यील्‍ड 6.94 फीसदी है.

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ट्रेजरी बिल क्या होते हैं?

आम आदमी को जब पैसे की जरूरत होती है तो कर्ज लेने के लिए वह बैंक के पास जाता है. कर्ज के बदले वह बैंक को ब्याज का भुगतान करने और एक निश्चित समय के बाद मूलधन को वापस कर देने का वादा करता है. ठीक इसी तरह से, भारत सरकार को भी विकास कार्यों के लिए पैसे की जरूरत होती है तो वह भारतीय रिजर्व बैंक के पास जाती है.

सरकार के इस कर्ज को आरबीआई बॉन्ड या ट्रेजरी बिल के रूप में नीलाम करता है. इसे कोई भी व्‍यक्ति खरीद सकता है. इस तरह सरकार जो कर्ज ले रही है, उस कर्ज का एक हिस्सा आप सरकार को दे रहे हैं. इस कर्ज पर भारत सरकार आपको निश्चित ब्याज देती है और एक तय समय के बाद आपका पैसा भी वापस कर देती है. सरकार 1 साल के भीतर जो कर्ज वापस करती है उसे ट्रेजरी बिल या टी-बिल कहा जाता है.

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3 तरह के होते हैं ट्रेजरी बिल

ट्रेजरी बिल तीन तरह-91 दिन, 182 दिन और 364 दिन के होते हैं. टी-बिल को उनकी वास्तविक कीमत से डिस्काउंट यानी छूट पर जारी किया जाता है. उनकी एक्सपायरी के समय निवेशक को उनका वास्तविक भाव मिलता है. मान लीजिए 91 दिन के टी बिल की वास्‍तविक कीमत 100 है. अगर यह डिस्‍काउंट पर किसी निवेशक को 97 पर मिलता है तो 91 दिनों के बाद मैच्योरिटी पर उसे 100 रुपये वापस मिलेंगे. इस तरह उसे 3 रुपये का मुनाफा होगा. तीनों तरह के ट्रेजरी बिल में न्‍यूनतम 25,000 रुपये का निवेश करना होता है.

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मेच्‍योरिटी पर अपने आप मिल जाएगा पैसा

मेच्योरिटी पर सरकार निवेशक के डीमैट एकाउंट से टी-बिल निकाल लेती है. इसे एक्सटिंग्वश्मेंट ऑफ सिक्योरिटी कहा जाता है. टी-बिल की वास्‍तविक कीमत निवेशक के डीमैट एकाउंट से जुड़े बैंक खाते में डाल दी जाती है.

शानदार रिटर्न

आमतौर पर 91 दिन की टी-बिल का रिटर्न 6% से 7.5% प्रतिशत के बीच में होती है. वहीं, 364 दिन के टी-बिल की यील्‍ड 6.94 फीसदी रही है. वैल्‍यू रिसर्च के अनुसार, एक साल के मनी मार्केट फंड्स का रिटर्न 25 अक्‍टूबर 2022 तक 3.97 फीसदी था. इसी तरह लो ड्यूरेशन फंड्स का औसत रिटर्न 3.39 फीसदी और लिक्विड फंड्स का रिटर्न 4.16 फीसदी रहा है. इस तरह देखा जाए तो टी-बिल ने एक साल की अवधि में इन सबसे ज्‍यादा रिटर्न दिया है.

चुकाना होता है टैक्‍स

टी-बिल से हुई कमाई पर कोई टैक्‍स छूट नहीं मिलती है. टी-बिल से हुए लाभ को शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन माना जाता है और उस पर निवेशक के टैक्स स्लैब के हिसाब से इनकम टैक्स लगता है.

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