पंजाब में फिर खफा किसान: प्रदेश भर में प्रदर्शन, रेल ट्रैक किया जाम, नौ ट्रेनें रद्द, दो के रूट बदले


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संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रव्यापी आंदोलन के तहत पंजाब में किसान एक बार फिर आंदोलन की राह पर आ गए हैं। रविवार को भारी बारिश के बीच किसान चार घंटे रेल की पटरियों पर बैठे रहे। विरोध प्रदर्शन के दौरान नौ ट्रेनें रद्द हुई, जबकि दो के रूट बदले गए। इससे रेल यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
 
प्रदर्शनकारी किसान जालंधर, फिल्लौर, फिरोजपुर और बठिंडा सहित कई जगहों पर रेल पटरियों पर बैठे रहे। भारतीय किसान यूनियन (लखोवाल) के महासचिव हरिंदर सिंह लखोवाल ने कहा कि जल्द उनकी मांगें पूरी नहीं हुई तो किसान संगठन बड़ा कदम उठाने पर मजबूर हो जाएंगे।
 
फिरोजपुर रेलवे मंडल के मुताबिक नौ ट्रेनें रद्द और दो के रूट बदले गए। नौ ट्रेनें निर्धारित समय से देरी से चली। डीआरएम के मुताबिक रद्द ट्रेनों में लुधियाना -लोहिया , फिरोजपुर- बठिंडा, अमृतसर- पठानकोट, अमृतसर- पठानकोट, पठानकोट- वीकेए, अमृतसर- क्यूडीएन रूट की ट्रेनें शामिल रहीं।  किसान लखीमपुर खीरी में मारे गए किसानों को न्याय व मुआवजा देने और फसलों की एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की मांग कर रहे हैं। 

जालंधर में किसानों ने ट्रैक किया जाम
किसानों के प्रदर्शन की वजह से जालंधर छावनी व जालंधर रेलवे ट्रैक पूरी तरह से बंद रहा। इस दौरान किसानों ने पंजाब व केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की। किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए पुलिस ने कड़े सुरक्षा प्रबंध किए थे। जालंधर छावनी रेलवे ट्रैक पर बैठे किसानों ने कहा कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के कुंडली बार्डर व लखीमपुर खीरी में मारे गए किसानों के परिवारों को पांच लाख रुपये मुआवजा व परिवार के एक व्यक्ति को नौकरी देने की घोषणा की गई थी। सरकार ने आजतक लागू नहीं किया। 

                                               फिरोजपुर में रेलवे ट्रैक पर बैठे किसान।

पंजाब व केंद्र सरकारें झूठे आश्वासन दे रही हैं। इसे अब बर्दाश्त नहीं करेंगे। किसानों का कहना है कि जब उन्होंने दिल्ली में अपना आंदोलन खत्म किया था तो केंद्र सरकार के समक्ष कुछ शर्तों को रखा था। केंद्र सरकार ने उस वक्त आंदोलन खत्म करवाने के लिए तो सारी शर्तें मान लीं लेकिन अब मोदी सरकार वादाखिलाफी पर उतर आई है। केंद्र सरकार से जिन शर्तों पर समझौता हुआ था, अब उनसे पीछे हट रही है।

जालंधर छावनी स्टेशन पर प्रदर्शन कर रहे किसान लखविंदर सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार ने तीन कानूनों को वापस लेने के बाद किसानों को फसलों का वाजिब दाम मिले, इस संदर्भ में एमएसपी बाबत एक कमेटी बनाई है। इसमें केंद्र सरकार ने पंजाब या हरियाणा के किसी भी कृषि वैज्ञानिक या शोधकर्ता को शामिल नहीं किया है। 

किसानों का कहना है कि जब तक केंद्र सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस लेते वक्त किए अपने वादों को पूरा नहीं करती, धरना प्रर्दशन जारी रहेगा। उनका धरना मुख्य रूप से एमएसपी में पारदर्शिता न लाने व लखीमपुर खीरी के अलावा कुंडली बार्डर पर धरने के दौरान मारे गए किसानों को मुआवजा न मिलने के विरोध में है। 


                                             लुधियाना स्टेशन पर खड़ी ट्रेनें।

वहीं जगरांव रेलवे स्टेशन पर सुबह 11 बजे से 3 बजे तक 4 घंटे किसानों ने रेलवे ट्रैक पर बैठकर रेलों का चक्का जाम किया। बारिश भी ट्रैक पर डटे किसानों का हौसले पस्त न कर सकी। वहीं किसानों ने रेल रोको आंदोलन की शुरुआत किसान आंदोलन में शहीद किसानों को दो मिनट का मौन धारण कर श्रद्धांजलि देकर की।

आंदोलन के कारण रद्द हुईं नौ ट्रेनें, दो के रूट बदले
फिरोजपुर में भी सुबह 11 बजे से दोपहर तीन बजे तक रेलगाड़ी रोकी गईं। किसानों के आंदोलन की अग्रिम सूचना के चलते रेलवे ने नौ ट्रेनें अप और डाउन रद्द कीं, जबकि नौ ट्रेनें अपने निर्धारित समय से देरी से चलीं और दो ट्रेनों के रूट बदले गए हैं। इस बारे में डीआरएम ने बताया कि रद्द की गई ट्रेनों में लुधियाना -लोहिया, फिरोजपुर- बठिंडा, अमृतसर- पठानकोट, अमृतसर- पठानकोट, पठानकोट- वीकेए, अमृतसर- क्यूडीएन, शामिल है, ये सभी अप डाउन ट्रेनें है।

सुबह 11 से दोपहर 3 बजे तक अबोहर जंक्शन पर खड़ी रही बठिंडा-फाजिल्का ट्रेन
अबोहर रेलवे जंक्शन पर भी सुबह 11 बजे से दोपहर 3 बजे तक ट्रेनें रोकी गईं, जिससे यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। बठिंडा से चलकर फाजिल्का जाने वाली पैसेंजर गाड़ी आज जैसे ही अबोहर स्टेशन पर पहुंची तो बड़ी संख्या में किसान पटड़ी पर बैठकर नारेबाजी करने लगे और गाड़ी को आगे नहीं जाने दिया। किसान नेताओं ने केंद्र व पंजाब सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। 

 

वहीं चार घंटे तक ट्रेनें बंद रहने से रेल यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। स्टेशन अधीक्षक दीनानाथ गोयल ने बताया कि बठिंडा से फाजिल्का जा रही ट्रेन अबोहर स्टेशन पर ही खड़ी रही, जिसे यहीं से वापस बठिंडा भेजा जाएगा। वहीं अंबाला से चलकर श्रीगंगानगर जाने वाली इंटरसिटी गाड़ी को मलोट में रोक लिया गया। जिसे तीन बजे के बाद वहीं से वापस भेजा जाएगा। 

चार घंटे ठप रहा दिल्ली-जम्मूतवी रेलमार्ग, छह ट्रेनें प्रभावित
किसान पठानकोट कैंट रेलवे स्टेशन के पास भी ट्रैक पर बैठ गए। इसके चलते दिल्ली-जम्मूतवी रेल सेक्शन की ट्रेनों का आवागमन रुक गया। किसानों ने चार घंटे यानी 11 से दोपहर तीन बजे तक रेलवे ट्रैक पर बैठने की घोषणा की है। इससे नई दिल्ली से चलकर जम्मूतवी व पठानकोट आने वाली कई ट्रेंने प्रभावित हुईं। 

दिल्ली-पठानकोट एवं इंटरसिटी एक्सप्रेस को जालंधर सिटी रेलवे स्टेशन पर रोक लिया गया। इसके साथ ही स्वराज एक्सप्रेस, मालवा को मुकेरियां तथा डीएमयू जालंधर-वाया पठानकोट अमृतसर को रद्द कर दिया गया। इसी प्रकार, जम्मू से चल कर दिल्ली की ओर जाने वाली मालवा एक्सप्रेस, सुपरफास्ट ट्रेन को कठुआ में ही रोका दिया गया। जिस कारण दिल्ली की ओर जानेवाले यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। 

कुल मिलाकर इस रोष प्रदर्शन से दिल्ली-पठानकोट-जम्मूतवी के बीच चलने वाली करीब आधा दर्जन ट्रेनें प्रभावित हुई। आरपीएफ पठानकोट कैंट स्टेशन के प्रभारी एनके सिंह का कहना है कि रेल सेक्शन बाधित होने से करीब आधा दर्जन ट्रेनों को मीरथल, मुकेरियां, कठुआ, सांबा, विजयपुर व अन्य स्टेशनों पर रोका गया है। 

अमृतसर में आधा दर्जन ट्रेंने प्रभावित
अमृतसर में सुबह 11 बजे से दोपहर तीन बजे तक किसानों ने रेल और सड़क यातायात ठप रखा। इसके चलते आधा दर्जन से अधिक ट्रेनें प्रभावित हुईं। जैसे ही सुबह 10 बज कर 55 मिनट पर अमृतसर-जयनगर ट्रेन चलने लगी तो किसान ट्रैक पर बैठ गए और गाड़ी को आगे नहीं जाने दिया। इसी तरह किसानों ने अमृतसर-पठानकोट गाड़ी को भी जाने से रोक दिया। जिससे यात्रियों को भी काफी परेशानी झेलनी पड़ी। 

यात्री अमृतसर रेलवे स्टेशन पर तीन बजे तक अपनी ट्रेनों के इंतजार में बैठे रहे। रेल ट्रैक व सड़कों पर दिए धरनों के दौरान प्रदर्शनकारी किसानों के साथ किसान महिलाएं भी शामिल हुईं। पंजाब किसान सभा ने अमृतसर-अटारी जीटी रोड पर पुतलीघर चौक पर धरना देकर रोष प्रदर्शन किया। इसी तरह भारतीय किसान यूनियन उग्राहां ने गांव कत्थूनंगल टोल प्लाजा के पास धरना देकर रोष प्रदर्शन किया।

मुक्तसर में किसानों ने घेरा रेलवे प्लेटफार्म
किसानों ने मुक्तसर प्लेटफार्म पर धरना दिया और केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। किसानों के संघर्ष के कारण पुलिस प्रशासन ने सख्त सुरक्षा प्रबंध किए गए थे। हालांकि किसानों का रेल रोकने का प्रोग्राम तय था, मगर रेलवे विभाग ने किसानों के स्टेशन पर पहुंचने पर फाजिल्का से कोटकपूरा जाने वाली डीएमयू को फाजिल्का से आगे लक्खेवाली में ही रोकना पड़ गया। 

इस ट्रेन का मुक्तसर पहुंचने का समय 11:15 था। मगर किसानों के धरने के चलते अप्रिय घटना के भय से रेलवे विभाग ने इस ट्रेन को किसानों के धरना खत्म होने तक लक्खेवाली स्टेशन पर रोके रखा। धरने को संबोधित करते हुए कीरती किसान यूनियन के सूबा नेता जसविंदर सिंह झबेलवाली, भाकियू कादियां के सूबा नेता जगदेव सिंह कानियांवाली, भाकियू डकौदा के जिला अध्यक्ष परमिंदर सिंह उड़ांग, कौमी किसान यूनियन के नेता रुपिंदर सिंह डोहक, भाकियू लक्खोवाल के गुरमीत सिंह समेत बड़ी गिनती में किसानों ने केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। बठिंडा में भी किसानों ने रेलवे लाइन पर धरना लगा प्रदर्शन किया और एमएसपी गारंटी का मांग की।

बरसात और गर्मी के बीच यात्रियों से भरी ट्रेनें चार घंटे रास्ते में रुकी रहीं
अमृतसर और जम्मू की तरफ जाने वाली ट्रेनों को अंबाला, राजपुरा, सरहिंद, साहनेवाल, ढंडारी, लुधियाना, फगवाड़ा और जालंधर कैंट स्टेशन और आउटर सिग्नल पर रोका गया। दूसरी तरफ अंबाला और दिल्ली की तरफ जाने वाली ट्रेनें लाइन क्लीयर होने के इंतजार में देर शाम तक जम्मू, पठानकोट, अमृतसर, ब्यास, जालंधर और लुधियाना स्टेशन पर रूकी रहीं। इससे रेलवे विभाग के साथ-साथ यात्रियों को भी खासी परेशानी का सामना करना पड़ा। 

लुधियाना स्टेशन पर ट्रेनों की परिचालन व्यवस्था बुरी तरह से चरमरा गई और यात्री बार-बार पूछताछ केंद्र के चक्कर लगाते नजर आए। रिजर्वेशन केंद्र तथा जनरल टिकट काउंटरों पर टिकट रिफंड लेने वाले यात्रियों का जमावड़ा लगा रहा। वहीं आउटर सिग्नल पर खड़ी ट्रेनों में बैठे यात्रियों को सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ा। 

इन ट्रेनों को साढ़े तीन बजे के करीब ट्रैक खाली होने के बाद गंतव्य की ओर रवाना किया गया। देर शाम तक ज्यादातर ट्रेनें अपने तय समय से कई घंटे की देरी से चल रही थीं और कई ट्रेनों को बीच रास्ते से ही वापस रवाना किया जा रहा था।  

लुधियाना स्टेशन पर रुकी रहीं स्वर्ण शताब्दी और हमसफर एक्सप्रेस
स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस (12029), हमसफर एक्सप्रेस (12752), अजमेर-अमृतसर एक्सप्रेस (19613), कटिहार एक्सप्रेस (15708) और नंगल डैम एक्सप्रेस (14506) ट्रैक क्लीयर होने के इंतजार में करीब साढ़े चार घंटे तक लुधियाना स्टेशन पर खड़ी रहीं। वहीं अप और डाउन रूट की दर्जन भर से ज्यादा ट्रेनें ढंडारी, साहनेवाल और लाडोवाल में आउटर सिग्नल पर खड़ी थी।

विस्तार

संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रव्यापी आंदोलन के तहत पंजाब में किसान एक बार फिर आंदोलन की राह पर आ गए हैं। रविवार को भारी बारिश के बीच किसान चार घंटे रेल की पटरियों पर बैठे रहे। विरोध प्रदर्शन के दौरान नौ ट्रेनें रद्द हुई, जबकि दो के रूट बदले गए। इससे रेल यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।

 

प्रदर्शनकारी किसान जालंधर, फिल्लौर, फिरोजपुर और बठिंडा सहित कई जगहों पर रेल पटरियों पर बैठे रहे। भारतीय किसान यूनियन (लखोवाल) के महासचिव हरिंदर सिंह लखोवाल ने कहा कि जल्द उनकी मांगें पूरी नहीं हुई तो किसान संगठन बड़ा कदम उठाने पर मजबूर हो जाएंगे।

 

फिरोजपुर रेलवे मंडल के मुताबिक नौ ट्रेनें रद्द और दो के रूट बदले गए। नौ ट्रेनें निर्धारित समय से देरी से चली। डीआरएम के मुताबिक रद्द ट्रेनों में लुधियाना -लोहिया , फिरोजपुर- बठिंडा, अमृतसर- पठानकोट, अमृतसर- पठानकोट, पठानकोट- वीकेए, अमृतसर- क्यूडीएन रूट की ट्रेनें शामिल रहीं।  किसान लखीमपुर खीरी में मारे गए किसानों को न्याय व मुआवजा देने और फसलों की एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की मांग कर रहे हैं। 

जालंधर में किसानों ने ट्रैक किया जाम

किसानों के प्रदर्शन की वजह से जालंधर छावनी व जालंधर रेलवे ट्रैक पूरी तरह से बंद रहा। इस दौरान किसानों ने पंजाब व केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की। किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए पुलिस ने कड़े सुरक्षा प्रबंध किए थे। जालंधर छावनी रेलवे ट्रैक पर बैठे किसानों ने कहा कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के कुंडली बार्डर व लखीमपुर खीरी में मारे गए किसानों के परिवारों को पांच लाख रुपये मुआवजा व परिवार के एक व्यक्ति को नौकरी देने की घोषणा की गई थी। सरकार ने आजतक लागू नहीं किया। 

                                               फिरोजपुर में रेलवे ट्रैक पर बैठे किसान।

पंजाब व केंद्र सरकारें झूठे आश्वासन दे रही हैं। इसे अब बर्दाश्त नहीं करेंगे। किसानों का कहना है कि जब उन्होंने दिल्ली में अपना आंदोलन खत्म किया था तो केंद्र सरकार के समक्ष कुछ शर्तों को रखा था। केंद्र सरकार ने उस वक्त आंदोलन खत्म करवाने के लिए तो सारी शर्तें मान लीं लेकिन अब मोदी सरकार वादाखिलाफी पर उतर आई है। केंद्र सरकार से जिन शर्तों पर समझौता हुआ था, अब उनसे पीछे हट रही है।



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