नई दिल्ली. लगातार बढ़ रही महंगाई के बीच भारतीय शेयर बाजारों (Indian Stock Markets) से विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की बिकवाली का सिलसिला जारी है. इसकी एक प्रमुख वजह अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दरें बढ़ाने की आशंका भी है. इसे लेकर विदेशी निवेशक उभरते देशों से निकासी कर रहे हैं. भारतीय शेयर बाजार भी इससे अछूता नहीं है. घरेलू बाजारों से विदेशी संस्थागत निवेशक लगातार बिकवाली कर रहे हैं.
आलम यह है कि विदेशी संस्थागत निवेशकों ने पिछले साल अक्टूबर के बाद से 10 अरब डॉलर की शुद्ध बिकवाली की है. ब्लूमबर्ग इंटेलीजेंस के मुताबिक, दुनियाभर में 2008 में आई मंदी के बाद से यह घरेलू शेयरों से सबसे निकासी है. इसमें अमेरिका के केंद्रीय बैंक की ब्याज दरें बढ़ाने की ओर इशारा करने की अहम भूमिका है. हालांकि, जोखिम के ऐतिहासिक स्तर पर पहुंचने के बाद अब इसमें गिरावट की संभावना है. इससे फाइनेंशियल और टेक्नोलॉजी कंपनियों के शेयरों में तेजी की उम्मीद है.
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इस साल जनवरी में 4.8 अरब डॉलर की निकासी
रिपोर्ट के मुताबिक, ब्याज दरें बढ़ने की आशंका से विदेशी संस्थागत निवेशकों ने अकेले जनवरी 2022 में भारतीय शेयरों बाजारों से शुद्ध रूप से 4.8 अरब डॉलर की निकासी की है. यह किसी भी महीने दूसरे सबसे बड़ी निकासी है. ब्लूमबर्ग इंटेलीजेंस के विश्लेषकों नितिन चंदुका और कुमार गौतम का कहना है कि मौजूदा तेज बिकवाली क्लाइमेटिक मूव का महत्वपूर्ण संकेत है. इससे पहले 2008 में विदेशी संस्थागत निवेशकों ने 8-10 अरब डॉलर की निकासी की थी.
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ज्यादा विदेशी हिस्सेदारी वाली कंपनियों में आ सकती है तेजी
रिपोर्ट में कहा गया है कि लगातार बिकवाली का दौर थमने से उन कंपनियों के शेयरों को राहत मिलेगी, जिनमें विदेशी निवेशकों की हिस्सेदारी ज्यादा है. खासतौर पर फाइनेंशियल एवं टेक्नोलॉजी कंपनियों में. इन कंपनियों में हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन, एचडीएफसी बैंक लिमिटेड, आईसीआईसीआई बैंक लिमिटेड और इन्फोसिस लिमिटेड शामिल हैं. विश्लेषकों का कहना है कि पिछले पांच साल में रिटर्न और विदेशी प्रवाह के बीच औसत मासिक संबंध 70 फीसदी से ज्यादा है. जोखिम ऐतिहासिक स्तर पर पहुंचने के कारण विदेशी निवेशकों की ज्यादा हिस्सेदारी वाली कंपनियों के शेयरों में तेजी आ सकती है.
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