हाइलाइट्स
फेडरेशन ने कहा है कि सरकार के स्टॉक में जरूरत से ज्यादा गेहूं है.
सरकार को जल्द बाजार में 40 लाख टन गेहूं जारी करना चाहिए.
2021-22 के दौरान सरकार के गेहूं भंडारण में करीब 56 फीसदी कमी आई है.
नई दिल्ली. सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद घरेलू बाजार में महंगाई पीछा नहीं छोड़ रही है. सरकार ने पहले गेहूं फिर चावल के निर्यात पर रोक भी लगाई लेकिन अब आटा मिलों का कहना है कि उनके पास गेहूं की भयंकर किल्लत हो गई है और जल्द ही सरकार ने मुहैया नहीं कराया तो घरेलू बाजार में कीमतें थामना मुश्किल हो जाएगा और महंगाई बढ़ जाएगी. मिलों ने मांग की है कि सरकार ओपन मार्केट में गेहूं की बिक्री करे, ताकि इसकी कीमतों पर लगाम कसी जा सके.
रोलर फ्लोर मिल्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (RFMFI) ने खाद्य मंत्रालय से शिकायत की है. साथ ही यह गुहार भी लगाई है कि सरकार नवंबर में अपने स्टॉक से गेहूं जारी कर ओपन मार्केट में गेहूं की बिक्री करे. फेडरेशन ने कहा है कि सरकार के स्टॉक में जरूरत से ज्यादा गेहूं है और उसे जल्द बाजार में 40 लाख टन गेहूं जारी करना चाहिए. बाजार में गेहूं की उपलब्धता से कीमतों में कमी आएगी और आटा के भाव बढ़ने से रोका जा सकेगा. फेडरेशन ने यह भी कहा है कि इस कदम से मुनाफाखोरों को भी जवाब दिया जा सकेगा, जो स्टॉक होने के बावजूद कालाबाजारी के इंतजार में बैठे हैं.
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सरकार ने क्यों बंद की ओपन मार्केट बिक्री
दरअसल, वित्तवर्ष 2021-22 के दौरान सरकार के गेहूं भंडारण में करीब 56 फीसदी कमी आई है. यह गिरावट उत्पादन घटने और निर्यात बढ़ने की वजह से दिख रही है. रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से ग्लोबल मार्केट में गेहूं की सप्लाई पर बुरा असर पड़ा, तब भारत ने बड़ी मात्रा में कई देशों को गेहूं सप्लाई किया था. इससे सरकार के भंडारण में कमी आ गई और गेहूं का भंडार 14 साल के निचले स्तर पर पहुंच गया.
फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया यानी एफसीआई के पास 1 अक्तूबर, 2022 को 2.27 करोड़ टन गेहूं का भंडार था, जबकि इस अवधि तक उसे सिर्फ 2.05 करोड़ टन गेहूं के स्टॉक की जरूरत थी. यानी फिलहाल एफसीआई के पास गेहूं का अतिरिक्त भंडार है. चालू वित्तवर्ष में मौसम की मार की वजह से गेहूं का उत्पादन घटकर 10 करोड़ टन से भी कम रहने का अनुमान है. यही कारण है कि इस साल सरकारी एजेंसियों ने सिर्फ 1.8 करोड़ टन गेहूं की खरीद की है, जो पिछले 15 साल में सबसे कम है. वित्तवर्ष 2021-22 में सरकार ने कुल 4.33 करोड़ टन गेहूं की खरीद की थी. यही कारण है कि चालू वित्तवर्ष के लिए अभी तक ओपन मार्केट सेल का कोटा तय नहीं किया गया है.
आयात की न आ जाए नौबत
कुछ एक्सपर्ट का कहना है कि अभी तक दूसरे देशों को गेहूं पहुंचा रहे भारत को आयात की नौबत न आ जाए. इस बारे में कई तर्क भी दिए जा रहे हैं. दरअसल, मई में सरकार ने निर्यात पॉलिसी को बदलते हुए गेहूं के निर्यात को प्रतिबंधित श्रेणी में डाल दिया था, जिसके बाद ब्लूमबर्ग ने एक रिपोर्ट में दावा किया था कि सरकार बढ़ती कीमतों के बीच विदेशों से गेहूं खरीदने पर विचार कर रही है. इतना ही नहीं कुछ अधिकारियों ने यह भी कहा था कि गेहूं पर आयात शुल्क 40 फीसदी तक घटाया जा सकता है. इसके बाद सरकार ने आटा, मैदा और सूजी जैसे गेहूं के अन्य उत्पादों के निर्यात पर भी रोक लगा दी थी. अब आटा मिलों ने भी गेहूं की कमी की बात कही है.
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Tags: Business news in hindi, Import-Export, Wheat, Wheat Procurement
FIRST PUBLISHED : October 28, 2022, 13:54 IST