कंपनी के CEO, Jim Farley ने एक स्टेटमेंट में बताया, “हम दो अलग लेकिन एक दूसरे पर निर्भर बिजनेस बना रहे हैं जिससे हमें स्टार्टअप के जैसी स्पीड और इनोवेशन मिलेगा।” कंपनी पहले ही Ford GT, Mustang Mach E SUV और F-150 जैसे इलेक्ट्रिक व्हीकल्स डिवेलप कर रही है। इसके पास चीन में एक EV डिविजन भी है।
कंपनी के पास कमर्शियल और सरकारी कस्टमर्स की पेट्रोल, डीजल इंजन वाले और इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की जरूरतों को पूरा करने के लिए Ford Pro के तौर पर आउटलेट्स भी हैं। इनमें फोर्ड के अलावा अन्य कंपनियों के प्रोडक्ट्स के लिए सॉफ्टवेयर, फाइनेंसिंग और चार्जिंग जैसी सर्विसेज उपलब्ध कराई जाती हैं। फोर्ड, जनरल मोटर्स और वोल्वो जैसी बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनियां EV सेगमेंट में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने की कोशिश कर रही हैं। इन कंपनियों के लिए सबसे बड़ी राइवल Tesla है। अमेरिकी कंपनी फोर्ड की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, बैटरी केमिस्ट्री और EV सॉफ्टवेयर जैसे कॉन्सेप्ट्स पर काम करने के लिए इंजीनियर्स को हायर करने की भी योजना है।
फोर्ड की EV के साथ भारतीय मार्केट में दोबारा बिजनेस शुरू करने की भी योजना है। फोर्ड ने पिछले वर्ष भारत से अपना बिजनेस समेटा था। कंपनी की ओर से भारत को EV की मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपोर्ट का हब बनाने पर विचार किया जा रहा है। कंपनी ने आगामी वर्षों में भारत में कारें बेचने की संभावना भी जताई है। फोर्ड ने केंद्र सरकार की परफॉर्मेंस लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम में हिस्सा लेने के लिए आवेदन दिया था। यह आवेदन स्वीकृत हो गया है। इससे फोर्ड की भारतीय मार्केट में दिलचस्पी का संकेत मिल रहा है।फोर्ड के लिए भारतीय मार्केट में उतरने का यह अच्छा दौर हो सकता है क्योंकि देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की संख्या बहुत कम है। हालांकि, फोर्ड को गुजरात के साणंद और चेन्नई में मौजूद अपने प्लांट्स में EV की मैन्युफैक्चरिंग शुरू करने के लिए बड़े अपग्रेड करने की जरूरत होगी।
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