CCI ने 199 पेज के ऑर्डर में कहा कि गूगल ने अपनी दबदबे वाली स्थिति का गलत इस्तेमाल करते हुए ऐप डिवेलपर्स को कंपनी के इन-ऐप पेमेंट सिस्टम का इस्तेमाल करने के लिए मजबूर किया है। डिवेलपर्स के लिए अपने कार्य से कमाने का एक बड़ा जरिया इन-एप डिजिटल गुड्स की बिक्री करना होता है। इसके अलावा गूगल को तीन महीनों के अंदर आठ सुधार करने के लिए कहा गया है। इनमें इन-ऐप परचेज या ऐप्स परचेज करने के लिए ऐप डिवेलपर्स को किसी थर्ड-पार्टी बिलिंग या पेमेंट प्रोसेसिंग सर्विसेज का इस्तेमाल करने से नहीं रोकना शामिल है।
इस फैसले के खिलाफ गूगल की ओर से ट्राइब्यूनल में अपील की जा सकती है। CCI का कहना है कि गूगल को ऐप डिवेलपर्स के साथ कम्युनिकेशन में पूरी पारदर्शिता रखनी चाहिए और उन्हें वसूली जाने वाली सर्विस फीस के बारे में विस्तृत जानकारी देनी चाहिए। इस ऑर्डर से देश के स्टार्टअप्स और उन फर्मों को राहत मिलेगी जो ऐप डिवेलपर्स के लिए गूगल के पेमेंट्स सिस्टम का इस्तेमाल करने के लिए मजबूर किए जाने पर आपत्ति जता रहे थे।
कंपनी के खिलाफ देश के स्मार्ट टीवी मार्केट में भी कारोबार करने के तरीके को लेकर एक अलग जांच चल रही है। Google ने पिछले सप्ताह कंपनी पर लगाए गए जुर्माने के बारे में कहा था कि यह देश में कंज्यूमर्स और बिजनेस के लिए एक “बड़ा झटका” है। गूगल का कहना था कि Android ने लोगों को अधिक विकल्प दिए हैं और यह भारत और दुनिया भर में हजारों सफल बिजनेस को सपोर्ट देता है। गूगल के प्रवक्ता ने ईमेल से दिए स्टेटमेंट में कहा था , “CCI का फैसला भारत में कंज्यूमर्स और बिजनेस के लिए एक बड़ा झटका है। इससे ऐसे लोगों के लिए सिक्योरिटी से जुड़े रिस्क होंगे जो एंड्रॉयड के सिक्योरिटी फीचर्स पर विश्वास करते हैं।”
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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