Government vs. Twitter: भारत सरकार-ट्विटर के बीच का नया विवाद क्या है, जिसकी शिकायत करने हाईकोर्ट पहुंची सोशल मीडिया कंपनी?


माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ट्विटर ने भारत सरकार के कुछ आदेशों को लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। ट्विटर ने सरकार की ओर से इसी साल जून में जारी हुए कुछ आदेशों को मानने में असमर्थतता जताई है और कोर्ट से मामले में निर्देश देने की मांग की है। ट्विटर के इस कदम के बाद माना जा रहा है कि सरकार और सोशल मीडिया कंपनी के बीच विवाद एक बार फिर बढ़ सकता है। दरअसल, नए आईटी नियमों के आने के बाद से केंद्र सरकार लगातार इन कंपनियों को कानून के दायरे में काम करने की चेतावनी देती रही हैं। हालांकि, ट्विटर के साथ कई नियमों को लेकर सरकार का आमना-सामना जारी है। 

केंद्र सरकार और ट्विटर के बीच नया विवाद किस बात पर है? आखिर वे कौन से आदेश थे, जिन पर ट्विटर ने आपत्ति जताई है? आईटी एक्ट की कौन सी धारा है, जिसके उल्लंघन का आरोप ट्विटर पर है? साथ ही ट्विटर का कोर्ट जाना उसे कितनी राहत दिला सकता है? आइए जानते हैं…

ताजा विवाद किस बात पर?

केंद्र सरकार ने जून में कुछ सामाग्रियों को हटाने का आदेश ट्विटर को दिया था। ये आदेश नए आईटी एक्ट के तहत दिया गया था। इसे लेकर ही ट्विटर कर्नाटक हाईकोर्ट पहुंची है। ट्विटर ने अपनी याचिका में कहा है कि सरकार के आदेश में नए आईटी नियमों को पालन नहीं किया गया है। 

ट्विटर ने किस आधार पर सरकार को दी चुनौती दी है?

ट्विटर ने कोर्ट में जो केस दायर किया है, उसमें दावा किया गया है कि सरकार की तरफ से हाल ही में जारी हुए कुछ ब्लॉकिंग ऑर्डर आईटी एक्ट की धारा 69(ए) की प्रक्रियाओं को पूरा नहीं करते। कंपनी का कहना है कि नए नियम के मुताबिक  जिन पोस्ट्स को ब्लॉक किया जाना है, उनके यूजर्स को पहले नोटिस जारी किया जाना चाहिए थे, लेकिन ऐसा नहीं करने दिया गया। यानी यूजर्स को बिना नोटिस दिए ही, उनके कंटेंट को हटवाया गया। कंपनी ने आरोप लगाया है कि यह धारा 69(ए) का उल्लंघन है। 

ट्विटर ने दावा किया कि कई ऐसे मामले भी हैं, जिनमें सरकार ने एक साथ कई अकाउंट्स और पोस्ट्स को ब्लॉक करने के निर्देश दिए गए, वे मनमाने और बिना तर्कों के थे। ट्विटर ने कहा है कि मंत्रालय की तरफ से कुछ ऐसी सामग्री पर भी आपत्ति जताई गई, जो राजनीतिक दलों के आधिकारिक अकाउंट्स में थी। ऐसी सामग्री को ब्लॉक करना अभिव्यक्ति की आजादी का उल्लंघन भी साबित हो सकता था। 

क्या है धारा 69(ए)?

आईटी एक्ट, 2000 की धारा 69 (ए) केंद्र सरकार को यह ताकत देती है कि वह किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को निश्चित कंटेंट ब्लॉक करने का आदेश जारी कर सकती है। इस धारा के मुताबिक, अगर केंद्र सरकार देशहित में स्वायत्ता-अखंडता से जुड़े मुद्दे, रक्षा और सुरक्षा से जुड़े मामलों, सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने से जुड़े मामलों और विदेश संबंध को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर सोशल मीडिया कंपनियों को आदेश जारी करता है तो यह बाध्यकारी होगा। यानी सभी प्लेटफॉर्म्स को यह आदेश मानना ही होगा। 

इन नियमों के तहत सरकार की ओर से सोशल मीडिया कंपनी को ब्लॉकिंग ऑर्डर भेजने से पहले उसे समीक्षा समिति के पास भेजा जाता है। यह समिति ही पूरी जांच-परख के बाद आईटी एक्ट की धारा 69 (ए) के तहत ब्लॉकिंग ऑर्डर जारी करती है। ऐसे आदेशों को गुप्त रखने का भी प्रावधान है।

सरकार के आदेश को मानने में ट्विटर का ट्रैक रिकॉर्ड कैसा?

ट्विटर की हालिया वैश्विक पार्दर्शिता रिपोर्ट के मुताबिक, इसी साल जनवरी से लेकर जून के बीच जिन देशों ने कानूनी तौर पर सबसे ज्यादा ट्विटर पोस्ट्स हटाने के निर्देश जारी किए, उनमें भारत चौथे नंबर पर है। इस दौरान ट्विटर को दुनियाभर से सामग्री हटाने की 43 हजार 387 नोटिस मिले। इनके जरिए 1 लाख 96 हजार 878 अकाउंट्स और उनसे जुड़े पोस्ट्स पर कार्रवाई के लिए कहा गया। पूरी दुनिया से मिली शिकायतों में 11 फीसदी हिस्सा भारत का रहा था।



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