सरकार की पहल : हाइड्रोजन नीति से कार्बन मुक्त ईंधन का निर्यात केंद्र बनेगा भारत, देशभर में अक्षय ऊर्जा की ढुलाई मुफ्त होगी


सार

ग्रीन हाइड्रोजन जिसे क्लीन हाइड्रोजन भी कहते हैं, का उत्पादन नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों जैसे कि सौर ऊर्जा या पवन ऊर्जा से बनी बिजली से किया जाता है। इलेक्ट्रोलिसिस की प्रक्रिया में पानी को दो हाइड्रोजन एटमों और एक ऑक्सीजन एटम में तोड़ा जाता है और दोनों गैसों का अलग भंडारण किया जाता है।

ख़बर सुनें

जीवाश्म ईंधन पर देश की निर्भरता घटाने और कार्बन मुक्त ईंधन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने बृहस्पतिवार को ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले नवीकरणीय ऊर्जा की पूरी देश में ढुलाई मुफ्त कर दी। केंद्र सरकार ने बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय हाइड्रोजन नीति के पहले हिस्से को देश के सामने रखते हुए यह घोषणा की है।

इस फैसले के जरिये सरकार देश को एक निर्यात हब बनाना चाहती है। राष्ट्रीय हाइड्रोजन नीति पेश करते हुए केंद्रीय ऊर्जा एवं नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री राजकुमार सिंह ने कहा कि इसके जरिये सरकार का लक्ष्य 2030 तक 50  लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करना है।

हाइड्रोजन की जरूरत इस्पात संयंत्रों और तेल शोधन कारखानों को चलाने में पड़ती है। वर्तमान में हाइड्रोजन का उत्पादन जीवाश्म ईंधन जैसे कि प्राकृतिक गैस या नेफ्था के जरिये किया जाता है। यूं तो हाइड्रोजन खुद कार्बन मुक्त होता है लेकिन जीवाश्म ईंधन के कारण कार्बन उत्सर्जन होता है।

ग्रीन हाइड्रोजन जिसे क्लीन हाइड्रोजन भी कहते हैं, का उत्पादन नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों जैसे कि सौर ऊर्जा या पवन ऊर्जा से बनी बिजली से किया जाता है। इलेक्ट्रोलिसिस की प्रक्रिया में पानी को दो हाइड्रोजन एटमों और एक ऑक्सीजन एटम में तोड़ा जाता है और दोनों गैसों का अलग भंडारण किया जाता है। ऑक्सीजन को अस्पतालों और उद्योगों को जरूरत के अनुसार बेच दिया जाता है। इसी प्रक्रिया के जरिये ग्रीन अमोनिया का उत्पादन भी होता है।

नीति के दूसरे चरण में पौधों से हाइड्रोजन-अमोनिया उत्पादन
मंत्री आर के सिंह ने कहा, हाइड्रोजन और अमोनिया भविष्य में जीवाश्म ईंधन की जगह लेने वाले हैं। नीति के दूसरे चरण में पौधों से ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया के उत्पादन को चरणबद्ध तरीके से मंजूरी दी जाएगी।

देश में कहीं भी बिजली उत्पादन क्षमता स्थापित करने की छूट
नीति के तहत कंपनियों को पूरे देश में कहीं भी स्वयं या डेवेलपर के जरिये नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत के जरिये बिजली उत्पादन क्षमता स्थापित करने की छूट दी गई है। उन्हें बिजली की अदला-बदली का अधिकार भी होगा। इस बिजली को ट्रांसमिशन ग्रिड के ओपन एक्सेस के जरिये मुफ्त में हाइड्रोजन उत्पादन के किसी भी संयंत्र में भेजा जा सकेगा। साथ ही हाइड्रोजन/अमोनिया उत्पादक इस्तेमाल के बाद बची बिजली को 30 दिन तक वितरक कंपनी के पास बचाकर रख पाएंग और जरूरत पड़ने पर उससे ले पाएंगे।

25 साल तक ले पाएंगे नीति का फायदा
नीति के तहत 30 जून 2025 से पहले इस परियोजना के तहत ग्रीन हाइड्रोजन और अमोनिया का उत्पादन संयंत्र शुरू करने वाली कंपनी अगले 25 साल तक बिजली की मुफ्त ढुलाई तथा अन्य फायदे ले पाएगी।

बंदरगाहों के पास बंकर बनाने की छूट
सिंह ने कहा, ऐसी कंपनियों और बिजली उत्पादकों को ग्रिड से कनेक्टिविटी में प्राथमिकता दी जाएगी ताकि प्रक्रियागत विलंब का सामना न करना पड़े। साथ ही हाइड्रोजन और अमोनिया उत्पादकों को बंदरगाहों के पास बंकर बनाने की अनुमति दी जाएगी जिससे उन्हें निर्यात और परिवहन में आसानी हो।

कच्चे तेल का आयात घटेगा
सिंह ने कहा, इस नीति से देश के आम लोगों को स्वच्छ ईंधन मिलेगा। ये जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता घटाएगा और कच्चे तेल का आयात कम होगा। इसका एक अन्य लक्ष्य भारत को ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया के निर्यात हब में बदलना है। भारत अभी अपने तेल जरूरत का 85 फीसदी और गैस जरूरत का 53 फीसदी विदेशों से आयात करता है।

विस्तार

जीवाश्म ईंधन पर देश की निर्भरता घटाने और कार्बन मुक्त ईंधन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने बृहस्पतिवार को ग्रीन हाइड्रोजन और ग्रीन अमोनिया के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले नवीकरणीय ऊर्जा की पूरी देश में ढुलाई मुफ्त कर दी। केंद्र सरकार ने बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय हाइड्रोजन नीति के पहले हिस्से को देश के सामने रखते हुए यह घोषणा की है।

इस फैसले के जरिये सरकार देश को एक निर्यात हब बनाना चाहती है। राष्ट्रीय हाइड्रोजन नीति पेश करते हुए केंद्रीय ऊर्जा एवं नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री राजकुमार सिंह ने कहा कि इसके जरिये सरकार का लक्ष्य 2030 तक 50  लाख टन ग्रीन हाइड्रोजन का उत्पादन करना है।

हाइड्रोजन की जरूरत इस्पात संयंत्रों और तेल शोधन कारखानों को चलाने में पड़ती है। वर्तमान में हाइड्रोजन का उत्पादन जीवाश्म ईंधन जैसे कि प्राकृतिक गैस या नेफ्था के जरिये किया जाता है। यूं तो हाइड्रोजन खुद कार्बन मुक्त होता है लेकिन जीवाश्म ईंधन के कारण कार्बन उत्सर्जन होता है।

ग्रीन हाइड्रोजन जिसे क्लीन हाइड्रोजन भी कहते हैं, का उत्पादन नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों जैसे कि सौर ऊर्जा या पवन ऊर्जा से बनी बिजली से किया जाता है। इलेक्ट्रोलिसिस की प्रक्रिया में पानी को दो हाइड्रोजन एटमों और एक ऑक्सीजन एटम में तोड़ा जाता है और दोनों गैसों का अलग भंडारण किया जाता है। ऑक्सीजन को अस्पतालों और उद्योगों को जरूरत के अनुसार बेच दिया जाता है। इसी प्रक्रिया के जरिये ग्रीन अमोनिया का उत्पादन भी होता है।



Source link

Enable Notifications OK No thanks