गुरुग्राम हादसा: 17 घंटे में कई बार हुआ एके श्रीवास्तव का पैर काटने का फैसला, अंत में डॉक्टरों ने ऐसे बचाई जान और पैर


गुरुग्राम सेक्टर 109 की सोसायटी चिनटेल्स पैराडाइसो में रहने वाले सेंट्रल वेयरहाउसिंग कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक (एमडी) एके श्रीवास्तव को देखने केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण तथा पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्यमंत्री अश्विनी कुमार चौबे मैक्स अस्पताल पहुंचे। यहां उन्होंने उपचारधीन श्रीवास्तव से चंद मिनट मुलाकात की। इस दौरान केंद्रीय राज्यमंत्री ने सूबे के मुख्यमंत्री मनोहर लाल से बातचीत भी की। उन्होंने श्रीवास्तव को बताया कि घटना के बाद प्रदेश की सरकार ने मामले की सघन जांच के आदेश दे दिए हैं।

बाद में केंद्रीय मंत्री ने श्रीवास्तव का उपचार कर रहे  चिकित्सकों से उनकी की सेहत के बारे में पूछा। चिकित्सकों ने उन्हें बताया कि श्रीवास्तव अब खतरे से बाहर हैं। उन्हें एहतियात के तौर पर आईसीयू में रखा गया है। सेंट्रल वेयरहाउसिंग कारपोरेशन उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय भारत सरकार से जुड़ा है। निजी तौर पर मंत्री के श्रीवास्तव से अच्छे संबंध बताए जाते हैं। हादसे में एके श्रीवास्तव की पत्नी सुनीता श्रीवास्तव की मौत हो गई है। मंत्री को बताया गया कि अरुण कुमार श्रीवास्तव अपने दो रिश्तेदारों को लेकर एयरपोर्ट से फ्लैट पर हादसे से कुछ समय पहले ही पहुंचे थे। उनके दोनों रिश्तेदार लाबी में थे, जबकि श्रीवास्तव की पत्नी सुनीता और वह ड्राइंग रूम में थे।

नारियल के तेल से चिकना करके निकाला मलबे में दबा पैर

चिन्टेल्स पैराडाइसो सोसायटी के टावर-डी में फ्लैट की छत गिरने से उसके मलबे में फंसे अरुण श्रीवास्तव को निकालने के लिए एक स्थिति यह भी आई थी कि उनके दबे हुए पैर को काट दिया जाए, लेकिन बाद में चिकित्सकों की सलाह पर तय किया गया कि पांव को नहीं काटा जाएगा। तय हुआ कि मलबे को मैनुअली हटाया जाए और नारियल के तेल से पैर को चिकना करके बाहर निकाला जाए और ऐसा ही किया गया। इस दौरान अरुण श्रीवास्तव को दबी हुई अवस्था में ही चिकित्सा व बेहोशी की दवा दी गई, जिससे उन्हें दर्द का अहसास न हो। इस तरह अरुण श्रीवास्तव की जिंदगी भी बच गई और पांव भी। 

बृहस्पतिवार को अरुण श्रीवास्तव के दाहिने पांव पर छत का लेंटर सीधा गिर गया था। इसके कारण वह निकल भी नहीं पा रहे थे। मलबा इतना ज्यादा था कि उसे उठाना भी कठिन था। इस बीच एक सुझाव यह आया कि श्रीवास्तव के पांव को काटकर उन्हें बाहर निकाल दिया जाए। इस सुझाव पर अमल करने से पहले सिविल सर्जन की टीम से इस पहलू पर विचार करने के लिए कहा गया, लेकिन डॉक्टरों ने पांव न काटने का फैसला लिया। मलबा हटाने के दौरान अरुण श्रीवास्तव को तरल पदार्थ और बेहोश रखने वाली दवाएं दीं, जिससे उनको दर्द का अहसास न हो। रात भर मलबा हटाने का काम चलता रहा। शुक्रवार को एनडीआरएफ की टीम ने एक बार फिर से सलाह दी कि अरुण श्रीवास्तव के पैर को काट दिया जाए, जिससे उनकी जान बचाई जा सके। इसके बाद सिविल सर्जन की टीम ने एक बार फिर से स्थितियों का परीक्षण किया।

इस दौरान पाया गया कि अरुण का दाहिना पैर ठीक है। उसमें कहीं भी फ्रैक्चर नहीं है। अगर पांव काटा जाता है तो इसके सदमे में अरुण की जान भी जा सकती है। इसके बाद फिर से पांव काटने का फैसला टाल दिया गया। सिविल सर्जन की टीम ने एक बार फिर से बेहोशी की दवा देकर पांव को बाहर खींचने की कोशिश की, लेकिन उनका जूता उसमें आड़े आ रहा था। इसके बाद पांव के कुछ हिस्से को नारियल के तेल से चिकना करके सुरक्षित निकालने में सफलता मिली। अब अरुण श्रीवास्तव का इलाज मैक्स अस्पताल में चल रहा है। इस तरह उनकी जान भी बच गई और पांव भी सुरक्षित है, लेकिन उन्हें अपनी पत्नी को खोने का बेहद अफसोस है।



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