Hardik Patel Quits Congress: अरमानों के साथ हार्दिक पटेल को लाए थे राहुल गांधी, चिंतन शिविर के बाद छोड़ गए कांग्रेस


सार

पाटीदार नेता हार्दिक पटेल के भाजपा में जाने की संभावना जताई जा रही है। कहा जा रहा है कि गुजरात विधानसभा चुनाव में वह कांग्रेस को डैमेज करेंगे। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या हार्दिक को मैनेज करने में कांग्रेस के रणनीतिकार चूक गए।

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कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी 2017 में बड़े अरमानों के साथ पाटीदार नेता हार्दिक पटेल को पार्टी में लेकर आए थे। गुजरात विधानसभा चुनाव में हार्दिक के आने का असर भी दिखा था। पिछले कुछ समय से पाटीदार नेता हार्दिक पटेल आंखे दिखा रहे थे और अब उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी को गुडबॉय कह दिया है।

हालांकि गुजरात कांग्रेस के वरिष्ठ नेता का कहना है कि हार्दिक के पार्टी छोडऩे का कोई खास असर नहीं पड़ेगा। गुजरात प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष का कहना है कि हार्दिक के पार्टी छोड़ने का पहले से ही अनुमान था और यह सही साबित हुआ।

शक्ति सिंह गोहिल ने तो कहा कि हार्दिक पटेल भाजपा की लिखी स्क्रिप्ट पढ़ गए। गोहिल के ये आरोप बताने के लिए काफी है कि हार्दिक की भाजपा से नजदीकी है। हालांकि पार्टी के सभी पदों और सदस्यता से इस्तीफा देना कांग्रेस की सेहत के लिए अच्छा नहीं कहा जाएगा। हार्दिक ने गुजरात में प्रस्तावित राज्य विधानसभा चुनाव के कुछ महीने पहले ही कांग्रेस को छोड़ा है। अभी वह किस दल का दामन थामेंगे, यह बाद में पता चलेगा।

कयास यही है कि वह भाजपा में जा सकते हैं। पटेल ने राहुल गांधी को लेकर ‘चिकन सैंडविच’ का तंज भी कसा है। हार्दिक के कांग्रेस छोड़ने की टाइमिंग भी इसी तरफ इशारा कर रही है। कांग्रेस अभी अभी चिंतन शिविर से लौटी है। ऐसे में हार्दिक का कांग्रेस को झटका देना पार्टी के चिंतन शिविर से बन रहे माहौल से जोड़कर देखा जा रहा है। इस तरह से हार्दिक ने राहुल गांधी के विश्वास और कांग्रेस को एक झटका दे दिया है। कुछ समय पहले ही गुजरात में हार्दिक पर दर्ज तमाम मामलों में भी उन्हें क्लीन चिट मिली है। इसलिए राजनीति के पंडित कई सूत्रों को मिला रहे हैं।

2017 में तीन ने संभाली थी गुजरात में कमान
राहुल गांधी के भरोसे पर तीन युवा नेताओं ने कांग्रेस के साथ अपने मन को मिलाया था। इसमें हार्दिक पटेल के अलावा जिग्नेष मेवाणी, अल्पेश ठाकोर भी थे। हार्दिक ने तब कांग्रेस को अपना समर्थन दिया था। 12 मार्च 2019 को उन्होंने लोकसभा चुनाव शुरू होने से ठीक पहले कांग्रेस की सदस्यता ली थी। 11 जुलाई 2020 को कांग्रेस ने उन्हें गुजरात प्रदेश का कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया गया था। लेकिन पिछले कुछ समय से उनके बयानों में नाराजगी सामने आ रही थी। उन्होंने कुछ दिन पहले खुद को नए दूल्हे की नसबंदी किए जाने वाला बताया था। हालांकि कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि हार्दिक पटेल भाजपा के इशारे पर काम कर रहे हैं। उनके निशाने पर भी मुख्य रूप से राहुल गांधी ही हैं। राहुल गांधी को निशाना बनाने की मुख्य वजह भाजपा और संघ का राहुल गांधी के पीछे चल रहा दुष्प्रचार है।

जो पार्टी छोड़ रहा है, उसके निशाने पर राहुल गांधी ही क्यों रहते हैं?
यह सवाल कांग्रेस के कई नेता सुनते हैं और हंस देते हैं। एक पूर्व महासचिव कहते हैं कि आखिर आप किसे निशाने पर लेंगे? राहुल गांधी ही एकमात्र नेता हैं जो कांग्रेस को मजबूत बनाने में लगातार लगे हैं। वह केन्द्र सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ खुलकर खड़े हो जाते हैं। इसलिए संघ, और भाजपा के भी लगातार टारगेट पर रहते हैं। राहुल गांधी के कार्यालय में तैनात उनकी टीम के एक सदस्य कहते हैं कि पिछले छह-सात साल में कांग्रेस को छोड़कर जाने वाले अधिकांश नेताओं ने राहुल गांधी को ही निशाना बनाया। आखिर क्यों? असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा हों या हार्दिक पटेल, सभी की नाराजगी राहुल गांधी से ही है।

कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी गांधी भाई-बहन को ही निशाना बनाया था। मेरठ के एक कांग्रेस नेता कहते हैं कि 2014 के बाद से राहुल गांधी के साथ रहने वाले नेता ही भाजपा के रडार पर रहते हैं। आपको समझना चाहिए कि ऐसा क्यों हैं? वह तर्क देते हैं कि दरअसल भाजपा का मुख्य मकसद राहुल गांधी की संगठनात्मक, राजनीतिक और नेतृत्व की क्षमता को टारगेट करना है। उनके खिलाफ दुष्प्रचार करके राहुल की छवि को नुकसान पहुंचाना है। सूत्र का मानना है कि कांग्रेस के पास भाजपा की इस रणनीति का कोई तोड़ नहीं है।

विस्तार

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी 2017 में बड़े अरमानों के साथ पाटीदार नेता हार्दिक पटेल को पार्टी में लेकर आए थे। गुजरात विधानसभा चुनाव में हार्दिक के आने का असर भी दिखा था। पिछले कुछ समय से पाटीदार नेता हार्दिक पटेल आंखे दिखा रहे थे और अब उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी को गुडबॉय कह दिया है।

हालांकि गुजरात कांग्रेस के वरिष्ठ नेता का कहना है कि हार्दिक के पार्टी छोडऩे का कोई खास असर नहीं पड़ेगा। गुजरात प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष का कहना है कि हार्दिक के पार्टी छोड़ने का पहले से ही अनुमान था और यह सही साबित हुआ।

शक्ति सिंह गोहिल ने तो कहा कि हार्दिक पटेल भाजपा की लिखी स्क्रिप्ट पढ़ गए। गोहिल के ये आरोप बताने के लिए काफी है कि हार्दिक की भाजपा से नजदीकी है। हालांकि पार्टी के सभी पदों और सदस्यता से इस्तीफा देना कांग्रेस की सेहत के लिए अच्छा नहीं कहा जाएगा। हार्दिक ने गुजरात में प्रस्तावित राज्य विधानसभा चुनाव के कुछ महीने पहले ही कांग्रेस को छोड़ा है। अभी वह किस दल का दामन थामेंगे, यह बाद में पता चलेगा।

कयास यही है कि वह भाजपा में जा सकते हैं। पटेल ने राहुल गांधी को लेकर ‘चिकन सैंडविच’ का तंज भी कसा है। हार्दिक के कांग्रेस छोड़ने की टाइमिंग भी इसी तरफ इशारा कर रही है। कांग्रेस अभी अभी चिंतन शिविर से लौटी है। ऐसे में हार्दिक का कांग्रेस को झटका देना पार्टी के चिंतन शिविर से बन रहे माहौल से जोड़कर देखा जा रहा है। इस तरह से हार्दिक ने राहुल गांधी के विश्वास और कांग्रेस को एक झटका दे दिया है। कुछ समय पहले ही गुजरात में हार्दिक पर दर्ज तमाम मामलों में भी उन्हें क्लीन चिट मिली है। इसलिए राजनीति के पंडित कई सूत्रों को मिला रहे हैं।

2017 में तीन ने संभाली थी गुजरात में कमान

राहुल गांधी के भरोसे पर तीन युवा नेताओं ने कांग्रेस के साथ अपने मन को मिलाया था। इसमें हार्दिक पटेल के अलावा जिग्नेष मेवाणी, अल्पेश ठाकोर भी थे। हार्दिक ने तब कांग्रेस को अपना समर्थन दिया था। 12 मार्च 2019 को उन्होंने लोकसभा चुनाव शुरू होने से ठीक पहले कांग्रेस की सदस्यता ली थी। 11 जुलाई 2020 को कांग्रेस ने उन्हें गुजरात प्रदेश का कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया गया था। लेकिन पिछले कुछ समय से उनके बयानों में नाराजगी सामने आ रही थी। उन्होंने कुछ दिन पहले खुद को नए दूल्हे की नसबंदी किए जाने वाला बताया था। हालांकि कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि हार्दिक पटेल भाजपा के इशारे पर काम कर रहे हैं। उनके निशाने पर भी मुख्य रूप से राहुल गांधी ही हैं। राहुल गांधी को निशाना बनाने की मुख्य वजह भाजपा और संघ का राहुल गांधी के पीछे चल रहा दुष्प्रचार है।

जो पार्टी छोड़ रहा है, उसके निशाने पर राहुल गांधी ही क्यों रहते हैं?

यह सवाल कांग्रेस के कई नेता सुनते हैं और हंस देते हैं। एक पूर्व महासचिव कहते हैं कि आखिर आप किसे निशाने पर लेंगे? राहुल गांधी ही एकमात्र नेता हैं जो कांग्रेस को मजबूत बनाने में लगातार लगे हैं। वह केन्द्र सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ खुलकर खड़े हो जाते हैं। इसलिए संघ, और भाजपा के भी लगातार टारगेट पर रहते हैं। राहुल गांधी के कार्यालय में तैनात उनकी टीम के एक सदस्य कहते हैं कि पिछले छह-सात साल में कांग्रेस को छोड़कर जाने वाले अधिकांश नेताओं ने राहुल गांधी को ही निशाना बनाया। आखिर क्यों? असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा हों या हार्दिक पटेल, सभी की नाराजगी राहुल गांधी से ही है।

कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी गांधी भाई-बहन को ही निशाना बनाया था। मेरठ के एक कांग्रेस नेता कहते हैं कि 2014 के बाद से राहुल गांधी के साथ रहने वाले नेता ही भाजपा के रडार पर रहते हैं। आपको समझना चाहिए कि ऐसा क्यों हैं? वह तर्क देते हैं कि दरअसल भाजपा का मुख्य मकसद राहुल गांधी की संगठनात्मक, राजनीतिक और नेतृत्व की क्षमता को टारगेट करना है। उनके खिलाफ दुष्प्रचार करके राहुल की छवि को नुकसान पहुंचाना है। सूत्र का मानना है कि कांग्रेस के पास भाजपा की इस रणनीति का कोई तोड़ नहीं है।



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