रांची/नई दिल्ली. झारखंड सरकार ने हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का दरवाजा खटखटाया है, जिसमें खनन पट्टा देने में कथित अनियमितताओं और परिजनों एवं सहयोगियों की कुछ मुखौटा कंपनियों (Shell Companies) के जरिये लेन-देन के मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) के खिलाफ जांच की मांग वाली याचिका को सुनवाई योग्य बताया गया था. झारखंड हाईकोर्ट (Jharkhand High Court) ने बीते तीन जून को कहा था कि उसकी सुविचारित राय है कि रिट याचिकाएं सुनवाई योग्य हैं और उनकी सुनवाई गुण-दोष के आधार पर की जाएगी.
इससे पहले, 24 मई को, सर्वोच्च अदालत ने झारखंड हाईकोर्ट को मामले में जांच की मांग करने वाली जनहित याचिका (पीआईएल) की सुनवाई को लेकर उठायी गयी प्रारंभिक आपत्तियों पर पहले सुनवाई करने को कहा था. इस मामले में हाईकोर्ट के दो आदेशों के खिलाफ राज्य सरकार के द्वारा दायर याचिका पर 24 मई का आदेश पारित किया था. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया था कि उसने मामले की योग्यता के संबंध में कोई टिप्पणी नहीं की है और याचिका में लगाए गए आरोपों पर विचार नहीं किया है.
बता दें कि शिवशंकर शर्मा नाम के व्यक्ति ने वर्ष 2022 में दायर अपनी जनहित याचिका में दावा किया है कि झारखंड के लिए विभिन्न कल्याण कोषों से गबन किए गए धन को लूटने के लिए कई मुखौटा कंपनियों का गठन किया गया था. उन्होंने एक अन्य याचिका में यह भी आरोप लगाया है कि सीएम हेमंत सोरेन और उनके परिचित मुखौटा कंपनियां चलाने के रैकेट में शामिल हैं.
एक अन्य याचिका अरुण कुमार दुबे के द्वारा वर्ष 2019 में दायर की गयी थी. (भाषा से इनपुट)
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Tags: CM Hemant Soren, Jharkhand High Court, Supreme Court
FIRST PUBLISHED : June 11, 2022, 23:01 IST