Early Monsoon देगा महंगाई से राहत! खाद्य उत्‍पादों की कीमत घटाने और बिजली संकट दूर करने में कैसे होगा मददगार?


नई दिल्‍ली. आसमान से बरसती आग और चढ़ते तापमान से राहत देने के लिए मानसून का इंतजार है. इस बार का मानसून सिर्फ गर्मी से ही नहीं महंगाई से भी राहत दिलाने वाला होगा. एक्‍सपर्ट का मानना है कि प्री-मानसून (Early Monsoon) से खाद्य उत्‍पादों की कीमतें नीचे आएंगी और बिजली संकट भी दूर होगा.

सबसे पहले बात करते हैं खाद्य उत्‍पादों की महंगाई पर. सरकार की ओर से हाल में जारी आंकड़े बताते हैं कि अप्रैल में खुदरा महंगाई की वृद्धि दर 7.79 फीसदी पहुंच गई है. इसमें उपभोक्‍ता खाद्य वस्‍तुओं की महंगाई दर मार्च के 5.85 फीसदी से बढ़कर 7.68 फीसदी हो गई है. यानी महंगाई बढ़ने में सबसे बड़ी भूमिका खाने-पीने की वस्‍तुओं के बढ़ते दाम निभा रहे हैं. अगर खाद्य वस्‍तुओं की महंगाई दर नीचे आती है तो इस ‘डायन’ से बड़ी राहत मिल सकती है.

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मानसून कैसे नीचे लाएगा दाम
आईआईएफएल सिक्‍योरिटीज के कमोडिटी एक्‍सपर्ट अनुज गुप्‍ता का कहना है कि हमारे देश में सालभर में होने वाली कुल बारिश का 70 फीसदी पानी अकेले मानसून से आता है. इससे भारत के आधे भूभाग की सिंचाई भी हो जाती है. देश की 50 फीसदी खेती मानसून पर ही निर्भर करती है. खरीफ की पूरी फसल ही मानसून की बारिश पर टिकी है. अगर मानसून की बारिश बेहतर होती है तो किसान ज्‍यादा रकबे में बुवाई करते हैं, क्‍योंकि उन्‍हें अच्‍छी फसल आने की उम्‍मीद दिखती है.

अगर प्री-मानसून की बारिश ने बेहतर संकेत दिए तो किसान चावल, सोयाबीन, कपास और दालों की बंपर बुवाई शुरू कर देंगे. इससे देश में अनाज की बंपर पैदावार की उम्‍मीद जगेगी और खाद्य उत्‍पादों की कीमतें नीचे आएंगी जिसका असर पूरे महंगाई पर दिखेगा. मानसून से खेती-किसानी मजबूत होती है और ग्रामीण अर्थव्‍यवस्‍था में तेजी आती है. अगर खरीफ की फसल बेहतर रही तो सब्जियों के दाम घटने के साथ दालों और खाने के तेल भी सस्‍ते हो जाएंगे.

इसका कितना असर
मानसून का खेती-किसानी पर असर तो समझ में आ गया होगा, अब ये देखते हैं कि खेती-किसानी का देश की अर्थव्‍यवस्‍था पर क्‍या असर है. दरअसल, भारत में 60 फीसदी लोगों की आमदनी का प्रमुख जरिया खेती-किसानी है, जबकि कुल अर्थव्‍यवस्‍था में कृषि क्षेत्र की हिस्‍सेदारी 18 फीसदी है. कृषि क्षेत्र की मजबूती का अंदाजा ऐसे लगा सकते हैं कि कोरोना महामारी के दौरान में जब 2020-21 में भारत की विकास दर शून्‍य से करीब 7 फीसदी नीचे चली गई थी, तब सिर्फ कृषि क्षेत्र ने ही 3.30 फीसदी की वृद्धि दर्ज की थी.

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कैसे दूर होगा ऊर्जा संकट
केडिया एडवाइजरी के डाइरेक्‍टर अजय केडिया का कहना है कि भीषण गर्मी की वजह से बिजली की मांग और खपत अभी रिकॉर्ड स्‍तर पर है. यही कारण है कि देश में कोयले की सप्‍लाई पर संकट बन आया है. लाख कोशिशों के बावजूद मांग के अनुरूप बिजली की सप्‍लाई नहीं हो पा रही और बड़ी संख्‍या में लोग इस बिजली संकट से जूझ रहे हैं. कोयले के साथ तेज गर्मी से हाइड्रो प्रोजेक्‍ट पर भी असर पड़ रहा है. पानी की मात्रा घटने से पर्याप्‍त बिजली नहीं बन पा रही.

अगर मानसून की अच्‍छी बारिश होती है तो तापमान में गिरावट के साथ मौसम ठंडा होगा और बिजली मांग अचानक काफी कम हो जाएगी. इससे बिजली उत्‍पादन पर दबाव भी घटेगा और हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्‍ट के लिए पर्याप्‍त पानी की व्‍यवस्‍था भी हो जाएगी. ऐसे एक अकेले मानसून की बारिश से अर्थव्‍यवस्‍था और लोगों को चौतरफा लाभ मिलता दिख रहा है.

Tags: Indian economy, Monsoon Session, Pre Monsoon Rain

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