होली पर बाजार में मिलावटी खोवा की भरमार, कैसे करें असली नकली मावा में फर्क


Holi 2022: होली की दस्तक के साथ ही घर-घर में गुजिया की खुशबू तैरने लगी है. कहीं गुजिया तली जा रही हैं तो कहीं मट्ठी-पापड़ और आलू चिप्स तैयार हो रहे हैं. भारत में किसी भी तीज-त्यौहार पर मावा की डिमांड एकाएक बढ़ जाती है. उधर, गर्मियों की दस्तक के साथ ही दूध उत्पादन पर असर दिखाई देने लगता है. दूध की सप्लाई और डिमांड में तालमेल बनाए रखने के लिए तमाम जगहों पर मावा और मावा से बनी मिठाइयों पर स्थानीय प्रशासन द्वारा रोक लगा दी जाती है. नतीजतन, बाजार से मावा गायब होने लगता है.

जो दुकानदार खुद दूध लाकर मावा (Khoa) तैयार करते हैं वे मावा के दाम बढ़ा देते हैं. दिल्ली के बाजार में मावा के दाम लगभग 300 रुपये प्रति किलो चल रहे हैं. बड़ी डिमांड और घटती सप्लाई से बाजार में नकली मावा यानी खोवा (Adulterated Khoya) की सप्लाई बढ़ गई है. हालांकि, प्रशासन त्यौहारों पर मिलावटी खोवा की घरपकड़ के लिए बड़े पैमाने अभियान भी चलाता है. इसके बाद भी मिलावटखोर प्रशासन की आंखों में धूल झोंककर शहरों में नकली मावा (Adulterated Khoa) सप्लाई कर दी देते हैं.

दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) की बात करें तो हापुड़, नोएडा तथा बुलंदशहरों के कई गांवों में मिलावटी खोवा बनाने का काम बड़े पैमाने पर होता है. इन जगहों से नकली मावे के ट्रक सप्लाई होकर दिल्ली आते हैं.

यह भी पढ़ें- आखिर क्यों है PPF, सुकन्या समृद्धि योजना और NPS में हर साल पैसा जमा करने की जरूरत

कैसे बनता है मिलावटी मावा
दिल्ली-एनसीआर के देहातों में भटि्टयों पर मिलावटी मावा बनाने और उसकी मात्रा बढ़ाने के लिए स्टार्च, आयोडीन और आलू का इस्तेमाल किया जाता है. मिल्क पाउडर में वनस्पति घी को मिलाकर मावा तैयार किया जाता है. इसमें शकरकंद, सिंघाड़े का आटा और मैदे का भी इस्तेमाल किया जाता है.

कुछ लोग दूध में यूरिया, डिटर्जेंट पाउडर और घटिया क्वालिटी का वनस्पति घी मिलाते हैं. सिंथेटिक दूध बनाने के लिए वॉशिंग पाउडर, रिफाइंड तेल, पानी और शुद्घ दूध (Pure Milk) को आपस में मिलाया जाता है. इस तरह एक लीटर दूध में 20 लीटर सिंथेटिक दूध तैयार किया जाता है. फिर इसी दूध से मावा तैयार किया जाता है. मावा को आकर्षक रंग देने के लिए केमिकलों का इस्तेमाल किया जाता है.

नकली मावे से नुकसान
मिलावटी मावा से बनी मिठाइयां किडनी से लेकर लीवर तक पर असर डालती हैं. सांस नली में दिक्कत कर सकती हैं. यूरिया, डिटर्जेंट पाउडर और घटिया क्वालिटी का वनस्पति घी शरीर के अलग-अलग अंगों पर असर डालते हैं.

यह भी पढ़ें- विदेशी निवेशक लगातार निकाल रहे हैं पैसा, मार्च में अबतक 45,608 करोड़ रुपये की निकासी

ऐसे करें पहचान
खोवा में मिलावट की पहचान आयोडीन जांच या फिर चखकर उसके स्वाद और रंग से की जा सकती है. मिलावटी खोवा से बचने के लिए उसे पूरी तरह जांच परख लें. मिलावटी या नकली खोवा का स्वाद व रंग सामान्य से विभिन्न और कुछ खराब होता है

असली मावा की पहचान के लिए आयोडीन टिंचर की मावा में दो-तीन बूंद डालें. असली मावा होने पर रंग लाल हो जाएगा. मिलावट होने पर मावा का रंग काला हो जाएगा. इसी तरह शुद्ध मावा रगड़ने पर चिकनाहट छोड़ता है, जबकि मिलावटी मावा मसलने में बत्ती बनकर अलग-अलग हो जाता है. मावे में थोड़ी चीनी डालकर गरम करें. अगर यह पानी छोड़ने लगे तो मावा नकली है.

Tags: Holi, Milk

image Source

Enable Notifications OK No thanks