बिना तैयारी कैसे की गई ट्रेनों में बेडरोल और लिनेन की घोषणा, रेलवे के फैसले पर उठे सवाल


नई दिल्ली. कोविड के चलते करीब दो सालों के बाद लंबी दूरी की ट्रेनों में फिर से बेडरोल (Bedroll) और लिनेन (Linen) देने की रेलवे की घोषणा से यात्रियों को बड़ी राहत मिली थी, लेकिन रेलवे (Indian Railways) के इस फैसले पर सवाल खड़े होने लगे हैं. यह सवाल इसलिए खड़े होने लगे हैं, क्योंकि मुंबई से दूसरे राज्यों को जाने वाली ज्यादातर ट्रेनों में यह सुविधा शुरू तक नही हो पाई है, क्योंकि हकीकत में घोषणा करने से पहले कोई तैयारियां ही नहीं की गई.

खराब हो चुके हैं ज्यादातर लिनेन-बेडरोल
दरअसल. रेलवे के आला अधिकारियों की मानें तो कोविड के चलते 2 सालों से ट्रेनों में चादर और कंबल की सुविधा बंद थी, जिसके चलते जो लिनेन-बेडरोल थे, वो ज्यादातर खराब हो चुके हैं. इसके चलते इस सुविधा को दोबारा शुरू करने के लिए नए चादर-कंबल खरीदने, उनकी धुलाई के लिए वाशिंग प्लांट शुरू करने, वाशिंग मशीनों की जांच कर उन्हें दुरुस्त करने और इसके लिए ठेकेदार रखने की लंबी प्रक्रिया है और ये सब पूरा करने के लिए अभी और 2 महीने का वक्त लग सकता है, यानी सुविधा मई महीने से पहले शुरू होने के आसार कम ही हैं.

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7 अप्रैल से इन ट्रोनों में मिलेंगे कंबल-चादर
7 अप्रैल से पश्चिम रेलवे (Western Railway) के अगस्त क्रांति, राजधानी एक्सप्रेस और मध्य रेलवे के राजधानी, विदर्भ एक्सप्रेस, पंजाब मेल, एलटीटी-पुरी एक्सप्रेस,लखनऊ एक्सप्रेस, उद्योग नगरी और हबीबगंज एक्सप्रेस में ही यह सेवा शुरू होगी, जबकि मुंबई से दर्जनों ट्रेनें दूसरे राज्यों को हर दिन जाती हैं.

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पश्चिम रेलवे को रोजाना 4.50 लाख बेडरोल की जरूरत
जानकारी के मुताबिक मौजूदा समय में मध्य रेलवे (Central Railway) को अपनी ट्रेनों में सुविधा दोबारा शुरू करने के लिए रोजाना 4.70 लाख बेडरोल की जरूरत है, जबकि उसके पास सिर्फ 1.14 लाख ही उपलब्ध है. पश्चिम रेलवे को रोजाना 4.50 लाख बेडरोल की जरूरत है, जबकि मौजूदा समय में उसके पास 1.40 लाख ही उपलब्ध है. इतना ही नहीं इनकी धुलाई के लिए पश्चिम रेलवे के पास 7 वाशिंग प्लांट, जबकि मध्य रेलवे 5 प्लांट मौजूद हैं, जो अभी तक शुरू होने बाकी है. एक रेलवे अधिकारी के मुताबिक 7 अप्रैल से पश्चिम रेलवे के कुछ और ट्रेनो में यह सुविधा शुरू हो जाएगी, लेकिन पूरी तरह से शुरू होने में एक-दो महीने का वक्त लगेगा.

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