ऑनलाइन कैसे ट्रांसफर होगा टू-व्हीलर का रजिस्ट्रेशन? अब घर बैठे ही इस तरह कर सकते हैं अप्लाई


हाइलाइट्स

सबसे पहले आपके पास सभी जरूरी दस्तावेज होने चाहिए.
आपका परिवहन वेबसाइट पर अकाउंट भी होना चाहिए.
वर्तमान मालिक और नए मालिक की जानकारी भरनी होती है.

नई दिल्ली. कोरोना महामारी के बाद सेकेंड हैंड कार या बाइक खरीदने का प्रचलन काफी बढ़ गया है. अब तो कई लोगों ने नए वाहन खरीदने के बजाय पुराने वाहन खरीदने पर विचार करना शुरू कर दिया है. सेकेंड हैंड वाहन खरीदने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि आप इस पर काफी रुपये बचा सकते हैं और वाहन के मालिक भी बन सकते हैं. हालांकि, पुराना वाहन खरीदने के बाद उसकी ओनरशिप यानी रजिस्ट्रेशन ट्रांसफर करना काफी जरूरी होता है.

अगर आप भी कोई सेकेंड हैंड टू-व्हीलर खरीदना चाहते हैं तो यहां आपको रजिस्ट्रेशन ट्रांसफर की ऑनलाइन प्रोसेस बताने जा रहे हैं. आज-कल ज्यादातर राज्यों में इस काम को ऑनलाइन किया जा सकता है. हालांकि, यह प्रोसेस अलग-अलग राज्यों के हिसाब से अलग-अलग हो सकती हैं. यहां इसकी पूरी प्रोसेस बता रहे हैं.

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इन दस्तावेज की होगी जरूरत

सबसे पहले आपके पास सभी दस्तावेज होने चाहिए, जिसमें वाहन का रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट, इंश्योरेंस, पॉल्यूशन सर्टिफिकेट, एड्रेस प्रूफ, फॉर्म 28, फॉर्म 30, फॉर्म 29 और फॉर्म 31 शामिल हैं. अगर वाहन किसी बैंक से फाइनेंस है तो फॉर्म 35 की भी जरूरत होती है. साथ ही आपका परिवहन वेबसाइट पर अकाउंट भी होना चाहिए, जिसमें आपका मोबाइल नंबर रजिस्टर्ड होना जरूरी है. नंबर की जरूरत इसलिए है, क्योंकि वेरिफिकेशन के लिए आपको वेबसाइट से एक ओटीपी मिलता है.

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इस तरह करें अप्लाई

दस्तावेज तैयार करने के बाद आप सबसे पहले परिवहन वेबसाइट पर जाएं और ‘ऑनलाइन सर्विस’ को सिलेक्ट करें. फिर ‘वाहन संबंधी सेवाएं’ चुनें, जिसके बाद आपको राज्य का चयन करना होगा. अगला कदम वाहन का रजिस्ट्रेशन नंबर और चेसिस नंबर दर्ज करना है. फिर आवेदक को एक जरूरी एप्लीकेशन को सिलेक्ट करना होगा. इसके बाद वेबसाइट वर्तमान मालिक और नए मालिक की जानकारी भरनी होती है.

इस तरह होता है वेरिफिकेशन

सभी जानकारी भरने के बाद आधार कार्ड और ओटीपी के जरिए वेरिफिकेशन किया जाता है. आखिर में एक फीस का भुगतान किया जाता है और रसीद संभालकर रख लेना चाहिए. कुछ राज्यों में आरटीओ नए मालिक के पते पर नया रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट भेजता है और कुछ राज्यों में आवेदक को आरटीओ जाने की जरूरत भी होती है. फिर यह एक राज्य से दूसरे राज्य पर निर्भर करता है.

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