‘मैं पूरी फिल्मी बच्ची रही हूं, मुझमें फिल्मी कीड़ा था’, पर्सनल लाइफ पर कियारा आडवाणी की ये बातें


ऐक्ट्रेस कियारा आडवानी (Kiara Advani ) ने जब फिल्म ‘फगली’ से अपना करियर शुरू किया था, तब शायद ही किसी ने सोचा था कि बॉलिवुड में वो लंबी रेस रेस का घोड़ा साबित होंगी, लेकिन आज वे युवा पीढ़ी की चर्चित अदाकाराओं में से एक हैं। उनके खाते में धोनी बायॉपिक, ‘कबीर सिंह’, ‘गुड न्यूज’, ‘शेरशाह’ जैसी कामयाब फिल्में हैं और जल्द ही उनकी नई फिल्म ‘भूल भुलैया 2’ सिनेमाघरों में दस्तक देने वाली है। ऐसे में, हमने कियारा से उनके इस सफर पर की खास बातचीत:


‘फगली’ से ‘भूल भुलैया 2’ तक, आपके 8 साल का फिल्मी करियर शानदार और दूसरे ऐक्टर्स के लिए प्रेरक है। आप खुद पीछे मुड़कर इसे कैसे देखती हैं?
मेरे लिए जो एक मंत्र रहा है, वो ये था कि कभी हार मत मानो। मेरे इस सफर में, खासकर शुरुआत में बहुत असफलताएं आई थीं । मुश्किल था वो वक्त, शायद ही किसी को लगा था कि मैं वापस कमबैक कर पाऊंगी। बहुत सारे लोगों को लगता था कि धोनी मेरी पहली फिल्म है। लोगों को पता भी नहीं था कि मैंने फगली भी की थी, क्योंकि लोगों ने वो फिल्म नहीं देखी, लेकिन मैं खुश हूं कि मैंने खुद पर विश्वास रखा कि मैं ये कर सकती हूं। मुझमें वो बात है और मैं ये करूंगी। मैंने अपने दिमाग और दिल में कभी भी हार मानने वाली बात नहीं रखी। मैं दूसरे ऐक्टर्स को भी यही कहना चाहूंगी कि इस डर में ना रहें कि एक फिल्म नहीं चली तो आगे भी नहीं चलेगी। आप सफल से सफल आदमी का भी करियर देखें, तो सबकी जिंदगी में ऐसे कमजोर पल आएंगे। किसी के शुरू में नहीं आएंगे तो बाद में आएंगे, लेकिन उससे उबरना और बाउंस बैक करना संभव है। एक अच्छी फिल्म अच्छी फिल्म और एक अच्छा ऐक्टर अच्छा ऐक्टर होता है। यह आपसे कोई नहीं ले सकता। अगर आप अच्छे ऐक्टर हैं, तो आज जितने माध्यम हैं, ओटीटी, थिएटर, फिल्म, वेब सीरीज, आपको काम जरूर मिलेगा।


अपने करियर के अगले दशक में आप अपनी फिल्मोग्राफी को किस ओर मोड़ना चाहेंगी? कैसी फिल्में करना चाहेंगी?
मैं खुद को री इन्वेंट करना चाहूंगी। नए-नए जॉनर करना चाहूंगी। कुछ ऐसा करना चाहूंगी, जिसकी लोग मुझसे उम्मीद नहीं करते हैं। मुझे लगता है कि मैं अभी करियर के उस स्टेज पर हूं, जब मुझमें वो भूख है कि मैं खुद को चैलेंज करना चाहती हूं। आठ साल पहले शायद मेरी फिल्म चॉइसेज कुछ और थीं, अब कुछ और हैं, आगे कुछ और होंगी। अनुभव के साथ-साथ आपमें थोड़ा आत्मविश्वास भी आता है, तो आप रिस्क लेना भी चाहते हैं, तो देखेंगे अगले दस साल में मैं क्या करना चाहूंगी।

‘भूल भुलैया 2’, ‘जुग जुग जियो’, ‘गोविंदा नाम मेरा’, आपकी आने वाली तीनों ही फिल्में हल्की-फुल्की एंटरटेनिंग फिल्में हैं। इसी तरह की फिल्में चुनने की क्या वजह रही?
यह टाइमिंग बहुत बढ़िया है। अभी थिएटर वापस शुरू हुए हैं, तो हम ऐसी फिल्में हम लाना चाहते हैं, जो आप परिवार के साथ देख सकें और ये तीनों ही फिल्में पारिवारिक एंटरटेनर फिल्में हैं। ये फिल्में सिर्फ बड़े पर्दे के लिए बनी हैं कि हम पॉपकॉर्न खाते हुए ये फिल्में देखकर अपना वीकेंड इंजॉय कर सकें। मैं तो ऐक्ट्रेस ही इस तरह से बनी, क्योंकि जब मैं छोटी थी तो हम इंतजार करते थे कि फ्राइडे को कौन सी फिल्म आ रही है। मैं पूरी फिल्मी बच्ची रही हूं। मुझमें फिल्मी कीड़ा था और मुझे फिल्में देखना बहुत पसंद था। इंडिया में तो यही एक आउटिंग होती है कि वीकेंड पर फिल्में देखने चले जाते हैं और ये तीनों फिल्में खुशी फैलाने वाली हैं कि आप आएंगे, हंसेंगे, एंटरटेन होंगे, कुछ लेकर भी जाएंगे।


इन दिनों थिएटर्स में हिंदी फिल्में उतनी नहीं चल रही हैं, जबकि साउथ की फिल्मों का दबदबा दिख रहा है। आप खुद भी राम चरन के साथ फिल्म आरसी 15 कर रही हैं। आप इस बदलाव को आप कैसे देख रही हैं?
मुझे ऐसा लग रहा है कि हमने कोविड के इन दो सालों में ओटीटी पर जिस तरह बहुत सारी अच्छी फिल्में देखी हैं, लोगों का टेस्ट थोड़ा अलग हो चुका है, लेकिन थिएटर ऐसा माध्यम है जो सबको साथ में लेकर आता है। मुझे लगता है कि जो फिल्में थिएटर में चल रही हैं, वो इसलिए चल रही है क्योंकि वे एक बड़े कैनवस की हैं पर उसका इमोशन यूनिवर्सल है। ये फिल्में आप बच्चों, बड़ों, सबके साथ देख सकते हैं और भूल भुलैया 2, जुग जुग जियो, गोविंदा नाम मेरा, मेरी तीनों ही फिल्में ऐसी हैं, जो कम्यूनिटी वॉचिंग वाली फीलिंग देंगी। आपको मजा आएगा जब आप उन्हें लोगों के साथ देखेंगे। जहां तक साउथ फिल्मों की बात है, मैंने अपनी पहली साउथ फिल्म 2018 में की थी। अब तो सब कर रहे हैं, क्योंकि वे चल रही हैं, लेकिन मैंने जब किया था, तब भी मुझे लगा था कि भाषा कोई बाधा नहीं होनी चाहिए। मैं शंकर सर और राम चरन के साथ पैन इंडिया फिल्म शूट कर रही हूं, पर जब हम सेट पर होते हैं, तो हमें कभी ये नहीं लगता कि हीरोइन हिंदी बेल्ट से है, हीरो तेलुगु बेल्ट से है, डायरेक्टर तमिल बेल्ट से है। हमे लगता है कि हम सब इंडियन हैं और इंडियन फिल्म बना रहे हैं और ये ऐसी फिल्म है जो सब एक साथ देख सकते हैं। थिएटर्स का यही मजा है कि सब एक साथ देखें, एक साथ हंसे, फील करें।

‘भूल भुलैया’ एक यादगार फिल्म थी। आपकी उस फिल्म को लेकर क्या याद रही है? और आपके लिए इस फ्रैंचाइजी का हिस्सा होना किन मायनों में खास है?
‘भूल भुलैया’ पहली हॉरर फिल्म थी, जो मैंने देखी थी। मैं हॉरर फिल्में नहीं देखती। मुझे बहुत डर लगता है लेकिन इस फिल्म में मुझे लगा कि ये डरावनी तो है पर मजेदार भी है। इसे देखकर ऐसा नहीं होगा कि मुझे रात में डर लगेगा, मैं रात को सो नहीं पाऊंगी। मुझे ये फिल्म देखकर बहुत अच्छा लगा। फिर जब मुझे ‘भूल भुलैया 2’ ऑफर हुई, तो ये कहानी मुझे नरेशन में ही बहुत पसंद आई। ये ऐसी फिल्म है, जिसे बच्चे भी देख सकेंगे, वरना हॉरर जॉनर कभी-कभी बच्चों के लिए ज्यादा हो जाता है, मगर ये फिल्म आप बच्चों को भी दिखा सकते हैं। ये मेरी जिंदगी की सबसे लंबी फिल्म है। हमने 2019 में शूट शुरू किया था, तो मेरी लाइफ के ढाई साल गए हैं इसकी शूटिंग में।

ऐक्टर होने के कई फायदे हैं, तो कुछ नुकसान भी हैं कि आपकी पर्सनल लाइफ की भी काफी चर्चा होती है। जैसे, बीते दिनों आपके मेकअप, ब्रेकअप की खबरें भी आईं। आप इसे कैसे हैंडल करती हैं?
मैंने पहले से ही ये तय किया था कि मैं अपनी पर्सनल लाइफ पर कभी भी बात नहीं करूंगी और मैंने कभी इस पर कॉमेंट नहीं किया है। लोग जो चाहे लिखते रहें, मैं हां या ना किसी को भी नहीं कहने वाली, क्योंकि वही एक जगह है, जो मेरा पर्सनल और प्राइवेट है। हालांकि, इसका भी एक नेगेटिव साइड ये भी है कि जब आप चुप रहते हैं, तो लोग जो मन में आए लिखते रहते हैं। हालांकि, आप बोलेंगे, तो भी लिखेंगे ही, तो मुझे लगता है कि बोलने से भी कोई खास फर्क नहीं पड़ने वाला लेकिन बुरा बिल्कुल लगता है। मैं भी इंसान हूं। मुझे भी लगता है कि क्यों लिख रहे हैं? क्या जरूरत है? और ज्यादातर समय तो वो सब सच भी नहीं होता, तो आपको बस नजरअंदाज करके आगे बढ़ना है, और भी काम है जिंदगी में, तो ऐसी चीजें, जो सच भी नहीं हैं, उन पर ध्यान देते रहोगे, तो आप पागल हो जाओगे। इसलिए मैं कोशिश करती हूं कि मैं इन चीजों पर ज्यादा ध्यान न दूं।



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