विश्व पर्यावरण दिवस आज : भारत से खत्म हुए तो धरती पर नहीं मिलेंगे खोजे गए ये नए जीव, इसलिए इन्हें बचाना ही होगा


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पशु-पक्षी धरती पर जीवन के आपस में जुड़े ब्लॉक्स जैसे हैं, पूरे विश्व की तरह भारत में भी यह ब्लॉक्स तेजी से खत्म हो रहे हैं। इस साल विश्व पर्यावरण दिवस को ‘ओनली वन अर्थ’ यानी केवल एक पृथ्वी थीम भी इसी सोच के साथ दी गई है कि ताकि इन जीवों के संरक्षण पर सभी का ध्यान पड़े सके। तीन वर्षों में भारत में कुछ खास जीव खोजे गए। इन जीवों का संरक्षण इसलिए भी जरूरी है क्योंकि यहां से खत्म होने के बाद ये धरती पर शायद कभी नहीं मिलेंगे। जानिए देश में मिले इन नए निवासियों के बारे में

1 कैलियोप
जापान, कोरिया और चीन में बिरले नजर आने वाली यह दुर्लभ चिड़िया अंडमान निकोबार में पहली बार नजर आई। वैज्ञानिक एसोसिएशन के वैज्ञानिकों ने इसके भारत में मिलने की पुष्टि की।

2 बिच्छू…जो हिमाचल और उत्तराखंड में मिले
हिमाचल और उत्तराखंड सहित नेपाल में 9 नई प्रजातियों के बिच्छू दर्ज किए गए। इन्हें चेक गणराज्य के वैज्ञानिकों के नाम पर स्कॉर्पियोप्स कोवारिक ग्रोसेरी, केजवली और ट्रइज्नाई के तौर पर पहचान दी गई।

3 जूथेरा सिट्रिन
नारंगी सिर की इस चिड़िया को भारत में खत्म मान लिया गया था। म्यांमार के दक्षिणी क्षेत्रों में कुछ लोगों ने इसे देखने की पुष्टि की थी। फिर एक चमत्कार जैसा हुआ और यह अंडमान निकोबार द्वीप में नजर आई। जर्नल ऑफ अंडमान साइंस एसोसिएशन ने 2020 में इस पर रिपोर्ट जारी की।

4 सांप…जिसे हैरी पॉटर सीरीज के कैरेक्टर से मिला नाम
अरुणाचल प्रदेश में ट्रामेरेसुरुज सालाजार सांप को वन्य जीव विशेषज्ञ अयाज मिर्जा ने खोजा। इसे हैरी पॉटर सीरीज के एक कैरेक्टर सालाजार स्लिथरीन के नाम पर पहचान दी गई।

5 रंगीला ड्रैगन फ्लाय
केरल के कोल्लम में शेंदुर्नी वन्यजीव अभयारण्य से से तीन तरह के ड्रैगन फ्लाय तलाशे गए। इनमें प्रोटोस्टिकटा साइनोफेमोरा को नीले रंग की वजह से सबसे विलक्षण पाया गया। इसे कीट – विशेषज्ञ एस जोशी के नाम पर प्रोटोस्टिकटा साइनोफेमोरा जोशी नाम दिया गया।

6 बंगाल की खाड़ी से नई मछली
अन्नामलाई विश्वविद्यालय के सहयोग से भारतीय वैज्ञानिकों ने बंगाल की खाड़ी में नई प्रजाति की मछली पैरापर्सिस अन्नामलई योसुवा को खोजा। इसे विश्वविद्यालय के नाम पर भी पहचान दी गई। 

  • 15,64,647 प्रजातियों के पशु-पक्षी अब  तक खोजे गए हैं धरती पर, जो अभी अस्तित्व में हैं
  • 1,02,718 इनमें से भारत में मिलते हैं
  • 6.56% है यह धरती पर मौजूद कुल प्रजातियों का
  • 30 लाख से 10 करोड़ तक पशु-पक्षियों व मछलियों की प्रजातियां धरती पर होने का अनुमान अलग अलग वैज्ञानिक लगाते आए हैं
  • इनमें 15.64 लाख दर्ज हैं, यानी अब भी बहुत बड़ी संख्या में प्रजातियों को दर्ज करना बाकी है।

नई प्रजातियां मिलीं

  • बीते 270 वर्षों में 12.5 लाख
  • बीते 10 साल 4,112
  • खास बात है कि भारत में सरकारी वन्य जीव विशेषज्ञों ने 34% प्रजातियों को दर्ज किया, तो वहीं बाकी को गैर-सरकारी विशेषज्ञों के जरिए दर्ज किया गया।
  • अनुमान है कि सभी जीवों को दर्ज करने में मानव को करीब 1300 वर्ष लग जाएंगे

स्रोत : जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया रिपोर्ट्स/ ग्लोबल बायोडायवर्सिटी इन्फॉर्मेशन एंड फैसिलिटी रिपोर्ट

पशु-पक्षी धरती पर जीवन के आपस में जुड़े ब्लॉक्स जैसे हैं, पूरे विश्व की तरह भारत में भी यह ब्लॉक्स तेजी से खत्म हो रहे हैं। इस साल विश्व पर्यावरण दिवस को ‘ओनली वन अर्थ’ यानी केवल एक पृथ्वी थीम भी इसी सोच के साथ दी गई है कि ताकि इन जीवों के संरक्षण पर सभी का ध्यान पड़े सके। तीन वर्षों में भारत में कुछ खास जीव खोजे गए। इन जीवों का संरक्षण इसलिए भी जरूरी है क्योंकि यहां से खत्म होने के बाद ये धरती पर शायद कभी नहीं मिलेंगे। जानिए देश में मिले इन नए निवासियों के बारे में

1 कैलियोप

जापान, कोरिया और चीन में बिरले नजर आने वाली यह दुर्लभ चिड़िया अंडमान निकोबार में पहली बार नजर आई। वैज्ञानिक एसोसिएशन के वैज्ञानिकों ने इसके भारत में मिलने की पुष्टि की।

2 बिच्छू…जो हिमाचल और उत्तराखंड में मिले

हिमाचल और उत्तराखंड सहित नेपाल में 9 नई प्रजातियों के बिच्छू दर्ज किए गए। इन्हें चेक गणराज्य के वैज्ञानिकों के नाम पर स्कॉर्पियोप्स कोवारिक ग्रोसेरी, केजवली और ट्रइज्नाई के तौर पर पहचान दी गई।

3 जूथेरा सिट्रिन

नारंगी सिर की इस चिड़िया को भारत में खत्म मान लिया गया था। म्यांमार के दक्षिणी क्षेत्रों में कुछ लोगों ने इसे देखने की पुष्टि की थी। फिर एक चमत्कार जैसा हुआ और यह अंडमान निकोबार द्वीप में नजर आई। जर्नल ऑफ अंडमान साइंस एसोसिएशन ने 2020 में इस पर रिपोर्ट जारी की।

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अरुणाचल प्रदेश में ट्रामेरेसुरुज सालाजार सांप को वन्य जीव विशेषज्ञ अयाज मिर्जा ने खोजा। इसे हैरी पॉटर सीरीज के एक कैरेक्टर सालाजार स्लिथरीन के नाम पर पहचान दी गई।

5 रंगीला ड्रैगन फ्लाय

केरल के कोल्लम में शेंदुर्नी वन्यजीव अभयारण्य से से तीन तरह के ड्रैगन फ्लाय तलाशे गए। इनमें प्रोटोस्टिकटा साइनोफेमोरा को नीले रंग की वजह से सबसे विलक्षण पाया गया। इसे कीट – विशेषज्ञ एस जोशी के नाम पर प्रोटोस्टिकटा साइनोफेमोरा जोशी नाम दिया गया।

6 बंगाल की खाड़ी से नई मछली

अन्नामलाई विश्वविद्यालय के सहयोग से भारतीय वैज्ञानिकों ने बंगाल की खाड़ी में नई प्रजाति की मछली पैरापर्सिस अन्नामलई योसुवा को खोजा। इसे विश्वविद्यालय के नाम पर भी पहचान दी गई। 



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