Long Covid में लोगों की सेक्‍सुअल लाइफ हो रही प्रभावित, शारीरिक संबंध बनाने में सामने आ रहे ये लक्षण


नई दिल्‍ली. कोरोना के मामले भले ही कम हो रहे हैं लेकिन पोस्‍ट कोविड इफैक्‍ट या लॉन्‍ग कोविड अभी भी लोगों का पीछा कर रहा है. कोरोना ने न केवल लोगों को शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी परेशान किया है, यही वजह है कि इसका असर लोगों की सेक्‍सुअल लाइफ पर भी पड़ रहा है. पोस्‍ट कोविड कई अध्‍ययनों में भी सामने आया है कि कोरोना के दौर की यादें किसी भी समय और स्थिति में प्रकट होकर लोगों को परेशान कर रही हैं. ऐसे में लांग कोविड से प्रभावित लोगों में शारीरिक संबंध बनाने के दौरान कई जटिलताएं देखने को मिल रही हैं. देखा जा रहा है कि पार्टनर के साथ संबंध बनाने के दौरान भी लोगों में अचानक लॉन्‍ग कोविड के लक्षण प्रकट हो रहे हैं.

दिल्‍ली स्थित इंस्‍टीट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर एंड अलाइड साइंसेज में फैकल्‍टी साइकेट्री डॉ. ओम प्रकाश कहते हैं कि कोरोना का असर शरीर के लगभग सभी ऑर्गनों पर पड़ा है. इससे व्‍यक्ति की शारीरिक और मानसिक दोनों ही गतिविधियां प्रभावित हुई हैं. पोस्‍ट कोविड इफैक्‍ट के रूप में देखा जा रहा है कि जो लोग लॉन्‍ग कोविड से पीड़‍ित हैं उनकी सेक्‍सुअल लाइफ पर असर पड़ रहा है. शारीरिक संबंध बनाने के दौरान उनमें एंग्‍जाइटी, तनाव, ट्रॉमा या पोस्‍ट ट्रॉमेटिक स्‍ट्रेस डिसऑर्डर के लक्षण देखे जा रहे हैं. साथ ही ये भी देखा जा रहा है कि लॉन्‍ग कोविड से जूझ रहे लोगों में सेक्‍स करने के दौरान अचानक ट्रॉमा या स्‍ट्रेस के लक्षण पैदा हो जाते हैं और उनकी सेक्‍स करने की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाती है. सेक्‍स के दौरान अचानक अरुचि पैदा होने, बेचैनी या घबराहट की वजह से भी लोगों का यौन जीवन प्रभावित हो रहा है.

डॉ. ओमप्रकाश कहते हैं कि कुछ मरीजों में यह भी देखा जा रहा है कि शारीरिक संबंध बनाने के दौरान ये लक्षण कोरोना से प्रभावित रहे किसी एक पार्टनर में या दोनों में भी प्रकट हो सकते हैं. कई बार ऐसा भी होता है कि एग्‍जाइटी, स्‍ट्रेस या डिप्रेशन आमतौर पर सामान्‍य स्थिति में देखने को नहीं मिलते, लेकिन जैसे ही कोई शारीरिक और मानसिक गतिविधि शुरू की जाती है तो एकदम से ट्रॉमा के लक्षण ट्रिगर करें. ये उठते, बैठते, सोते, खाना खाते, मूवी देखते, शारीरिक या मानसिक कोई काम करते हुए कभी भी पैदा हो सकते हैं.

मेटा एनालिसिस में मिली ये जानकारी
डॉ. ओमप्रकाश बताते हैं कि नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्‍नोलॉजी इन्‍फॉर्मेशन पर सेक्‍सोलॉजी सेक्‍शन में एक मेटा एनालिसिस प्रकाशित किया गया. जिसमें अमेरिका, चीन, इटली, टर्की, यूके और नॉर्दर्न आयरलैंड में किए गए 7 अध्‍ययनों के डेटाबेस को भी शामिल किया गया. 64 आर्टिकल्‍स और 6929 लोगों पर किए गए अध्‍ययन के बाद पाया गया कि कोरोना के चलते लोगों की सेक्‍स करने की क्षमता में कमी आई है. ऐसा कोरोना के कारण पैदा हुई एंग्‍जाइटी और तनाव की वजह से हुआ. कोरोना में हुई मौतों को देखने के बाद पैदा हुए डर, घबराहट और उनके मन पर पड़े असर के रूप में भी लोगों के शारीरिक संबंध बनाने की इच्‍छाशक्ति घटी है.

पीटीएसडी के लक्षण कर रहे प्रभावित
डॉ. ओमप्रकाश कहते हैं कि लांग कोविड के कुछ मरीजों में या कोविड के दौरान गंभीर परिस्थितियों को झेल चुके कुछ लोगों में पीटीएसडी यानि पोस्‍ट ट्रॉमेटिक स्‍ट्रेस डिसऑर्डर के लक्षण भी दिखाई दे रहे हैं. हालांकि ये डिसऑर्डर सिर्फ कोरोना के बाद ही नहीं पैदा हुआ बल्कि य‍ह एक मानसिक बीमारी है जो काफी लंबे समय से मौजूद है लेकिन पिछले दो सालों में गंभीर कोरोना से पीड़‍ित रहे और अस्‍पतालों में भर्ती रहे लोगों में, कोरोना मरीजों को मरते हुए देखने वाले हेल्‍थकेयर वर्कर्स या फ्रंटलाइन वर्कर्स में, कोरोना के कारण अपनों की जान गंवाने वाले लोगों में भी सामने आ रहे हैं. ये लक्षण कभी भी प्रकट हो सकते हैं, यही वजह है कि इंटीमेट होने या पार्टनर से शारीरिक संबंध बनाने के दौरान भी ये लोगों में दिखाई दे रहे हैं और लोगों की सेक्‍सुअल लाइफ प्रभावित हो रही है.

पीटीएसडी के दौरान ये होती है परेशानी
चूंकि यह अचानक ही पैदा होने वाली बीमारी है, ऐसे में पीटीएसडी के लक्षण कभी भी उभर सकते हैं. अचानक किसी को घबराहट और बेचेनी महसूस हो सकती है. पुरानी कोई बुरी याद या स्‍मृति अचानक आंखों के सामने घूम सकती है जो परेशान कर दे. भावनात्‍मक अलगाव हो सकता है, मन में बुरे ख्‍याल आ सकते हैं, किसी भी गतिविधि में मन न लगना, किसी बात को लेकर लगातार ग्‍लानि होना या दोषी महसूस कर सकते हैं. अकेलापन महसूस हो सकता है. हिंसक हो जाना, किसी पर भरोसा न कर पाना, झुंझलाना, एकांत में जाना ये भी पीटीएसडी के लक्षण हो सकते हैं.

विशेषज्ञ बोले, परेशान न हों लोग
डॉ. ओमप्रकाश कहते हैं कि लॉन्‍ग कोविड के दौरान लोगों को ये परेशानियां हो रही हैं, तब भी परेशान होने की जरूरत नहीं है. लॉन्‍ग कोविड में ये मानसिक बीमारी, पोस्‍ट ट्रॉमेटिक स्‍ट्रेस डिसऑर्डर के लक्षण करीब 2 से 3 महीने तक रह सकते हैं. इसके बाद लोग सामान्‍य स्थिति में आ सकते हैं. जहां तक ट्रॉमा की बात है तो बेहद गंभीर परिस्थितियों या घटनाओं जैसे सुनामी, भूकंप, अकाल, रेप, दुर्घटना, किसी अपने की दर्दनाक मौत, कोई हिंसक या हृदय विदारक गतिविधियां देखने के बाद ही ये पैदा होता है. चूंकि लोग कोविड का भी एक खराब फेज देख चुके हैं, ऐसे में इसका भी उनके मन पर प्रभाव पड़ना संभव है और कोविड उनका आगे तक पीछा करता है. हालांकि इसका मतलब ये नहीं है कि इससे लोगों का यौन जीवन पूरी तरह प्रभावित हो रहा है या हर बार ही शारीरिक संबंध बनाने के दौरान परेशानियां पैदा हों. इस स्थिति में भी धीरे-धीरे खुद-ब-खुद सुधार होने लगता है.

Tags: Corona Virus, Post covid, Post Covid-19 Symptoms

image Source

Enable Notifications OK No thanks