Indian Army: जवानों को चीनी भाषा मंदारिन सीखाने की तैयारी, टेरिटोरियल आर्मी में विशेषज्ञों की भर्ती के लिए अधिसूचना जारी


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पूर्वी लद्दाख में पड़ोसी मुल्क चीन के साथ टकराव को देखते हुए सेना ने अपने जवानों को चीनी भाषा मंदारिन सिखाने की तैयारी कर ली है। इसके तहत सेना ने टेरिटोरियल आर्मी में मंदारिन भाषा विशेषज्ञों की भर्ती के लिए अधिसूचना भी जारी की है। इसका मकसद 3400 किमी लंबे वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तैनात कनिष्ठ और वरिष्ठ अधिकारियों को मंदारिन भाषा में प्रवीण बनाना है ताकि वे जरूरत पड़ने पर चीनी सैनिकों का सामना होने पर उनकी भाषा समझ सकें और उन्हें उन्हीं की भाषा में जवाब में दे सकें। 

सूत्रों का कहना है कि सेना के उत्तर, पूर्वी और मध्य कमान स्थित भाषा स्कूलों में विभिन्न मंदारिन भाषा पाठ्यक्रम चलाए जा रहे हैं। सेना मंदारिन भाषा से विभिन्न स्क्रिप्ट या साहित्यों के अनुवाद के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित सॉल्यूशन का भी इस्तेमाल कर रही है। जानकारी के मुताबिक, सेना के पास अब अधिकारियों और जूनियर कमीशन अधिकारियों (जेसीओ) समेत सभी रैंक से मंदारिन भाषा में प्रवीण कर्मियों का एक अहम पूल तैयार हो गया है। सेना ने हाल ही में टेरिटोरियल आर्मी में मंदारिन भाषा के विशेषज्ञों की भर्ती के लिए मंजूरी भी हासिल कर ली है। इसके तहत भर्ती की अधिसूचना भी जारी की गई है।

इस दिशा में इंडो तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) ने ज्यादा तेजी से काम किया है। आईटीबीपी के जवान तिब्बत सीमा पर तैनात हैं और एलएसी पर वह सेना के साथ मिलकर पेट्रोलिंग करते हैं। आईटीबीपी का लक्ष्य है कि 2030 तक पूरा बल यानी आईटीबीपी के हर जवान से लेकर अधिकारी तक काम चलाऊ मंदारिन सीख ले। आईटीबीपी ने अपने जवानों को मंदारिन सिखाने की शुरुआत 2017 में ही कर दी थी लेकिन कोरोना की वजह से इसमें सुस्ती आ गई थी। आईटीबीपी के पास अभी 163 मास्टर ट्रेनर हैं जिन्होंने मंदारिन का विस्तृत कोर्स किया है।

दरअसल, सशस्त्र बलों ने पिछले दो सालों के दौरान पूर्वी लद्दाख में सैन्य टकराव के चलते एलएसी पर निगरानी व्यवस्था और जवानों की तैनाती काफी मजबूत की है। पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील इलाके में 5 मई 2020 को भारतीय जवानों और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। 15 जून 2020 को गलवां वैली संघर्ष के बाद टकराव बढ़ गया। दोनों ही ओर से पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर 50,000 से 60,000 सैनिकों की तैनाती की गई है।

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पूर्वी लद्दाख में पड़ोसी मुल्क चीन के साथ टकराव को देखते हुए सेना ने अपने जवानों को चीनी भाषा मंदारिन सिखाने की तैयारी कर ली है। इसके तहत सेना ने टेरिटोरियल आर्मी में मंदारिन भाषा विशेषज्ञों की भर्ती के लिए अधिसूचना भी जारी की है। इसका मकसद 3400 किमी लंबे वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तैनात कनिष्ठ और वरिष्ठ अधिकारियों को मंदारिन भाषा में प्रवीण बनाना है ताकि वे जरूरत पड़ने पर चीनी सैनिकों का सामना होने पर उनकी भाषा समझ सकें और उन्हें उन्हीं की भाषा में जवाब में दे सकें। 

सूत्रों का कहना है कि सेना के उत्तर, पूर्वी और मध्य कमान स्थित भाषा स्कूलों में विभिन्न मंदारिन भाषा पाठ्यक्रम चलाए जा रहे हैं। सेना मंदारिन भाषा से विभिन्न स्क्रिप्ट या साहित्यों के अनुवाद के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित सॉल्यूशन का भी इस्तेमाल कर रही है। जानकारी के मुताबिक, सेना के पास अब अधिकारियों और जूनियर कमीशन अधिकारियों (जेसीओ) समेत सभी रैंक से मंदारिन भाषा में प्रवीण कर्मियों का एक अहम पूल तैयार हो गया है। सेना ने हाल ही में टेरिटोरियल आर्मी में मंदारिन भाषा के विशेषज्ञों की भर्ती के लिए मंजूरी भी हासिल कर ली है। इसके तहत भर्ती की अधिसूचना भी जारी की गई है।

इस दिशा में इंडो तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) ने ज्यादा तेजी से काम किया है। आईटीबीपी के जवान तिब्बत सीमा पर तैनात हैं और एलएसी पर वह सेना के साथ मिलकर पेट्रोलिंग करते हैं। आईटीबीपी का लक्ष्य है कि 2030 तक पूरा बल यानी आईटीबीपी के हर जवान से लेकर अधिकारी तक काम चलाऊ मंदारिन सीख ले। आईटीबीपी ने अपने जवानों को मंदारिन सिखाने की शुरुआत 2017 में ही कर दी थी लेकिन कोरोना की वजह से इसमें सुस्ती आ गई थी। आईटीबीपी के पास अभी 163 मास्टर ट्रेनर हैं जिन्होंने मंदारिन का विस्तृत कोर्स किया है।

दरअसल, सशस्त्र बलों ने पिछले दो सालों के दौरान पूर्वी लद्दाख में सैन्य टकराव के चलते एलएसी पर निगरानी व्यवस्था और जवानों की तैनाती काफी मजबूत की है। पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग झील इलाके में 5 मई 2020 को भारतीय जवानों और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। 15 जून 2020 को गलवां वैली संघर्ष के बाद टकराव बढ़ गया। दोनों ही ओर से पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर 50,000 से 60,000 सैनिकों की तैनाती की गई है।



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