इम्‍युनिटी बढ़ाने के लिए भारतीय खा गए 3 लाख टन काजू, महामारी के बाद हुई रिकॉर्ड खपत, त्‍योहारी सीजन में बढ़ेंगे दाम


नई दिल्‍ली. कोविड-19 महामारी की दस्‍तक के बाद लोगों में अपनी इम्‍युनिटी बढ़ाने और सेहत के प्रति जागरूकता और बढ़ी है. यही कारण है कि ड्राई फ्रूट और अन्‍य सेहत वाले उत्‍पादों की खपत बढ़ रही है. काजू की खपत भी महामारी के बाद डेढ़ गुना बढ़ गई है.

मनीकंट्रोल के मुताबिक, काजू एवं कोकोआ विकास निदेशालय (DCCD) ने बताया है कि देश में बढ़ती काजू की खपत को देखकर उत्‍पादक भी निर्यात के बजाए घरेलू बाजार पर फोकस कर रहे हैं. देश में अब काजू की सालाना खपत बढ़कर 3 लाख टन पहुंच गई है, जो महामारी से पहले तक 2 लाख टन रहती थी. एक साल पहले के मुकाबले ब्रांडेड काजू की बिक्री भी 30-40 फीसदी बढ़ गई है.

ये भी पढ़ें – Gold Price : सस्‍ता सोना खरीदना है तो जल्‍दी करें, 2000 रुपये तक बढ़ने वाले हैं गोल्‍ड के दाम, क्‍यों आएगा उछाल?

60 फीसदी खपत आयात से होती है पूरी
देश में खपत के मुकाबले काजू का उत्‍पादन नहीं बढ़ रहा है. ऐसे में मांग को पूरा करने के लिए अफ्रीका से कच्‍चे काजू का आयात किया जाता है. खपत का 60 फीसदी सिर्फ आयात से ही पूरा होता है. 2021-22 में भारत ने 7.5 लाख टन काजू का उत्‍पादन किया, जबकि कच्‍चे काजू का आयात इस दौरान 9.39 लाख टन रहा. हालांकि, जिस हिसाब से इसकी खपत बढ़ रही है जल्‍द ही आयात 10 लाख टन को पार कर जाएगा. देश में काजू की प्रोसेसिंग कैपेसिटी भी 18 लाख टन पहुंच गई है, जो एक साल पहले तक 15 लाख टन थी. काजू की ज्‍यादातर खपत उद्योगों में होती है, जबकि व्‍यक्तिगत खपत महज 10-15 फीसदी होती है.

सितंबर से बढ़ेंगे काजू के दाम
काजू की मांग के अनुरूप अभी कीमतों में ज्‍यादा उछाल नहीं दिखा है, लेकिन सितंबर के बाद त्‍योहारी सीजन शुरू होने से इसकी कीमतो में तेजी आनी शुरू होगी. अभी 950-1,200 रुपये प्रति किलोग्राम बिकने वाला प्रीमियम काजू 700-850 रुपये के भाव बिक रहा है. इतना ही नहीं सामान्‍य तौर पर काजू का भाव अभी 550-650 रुपये प्रति किलोग्राम तक है. उत्‍पादों को उम्‍मीद है कि वित्‍तवर्ष की दूसरी छमाही में काजू की कीमतों में उछाल आएगा.

ये भी पढ़ें – घरेलू क्रूड ऑयल संबंधी नियमों में बदलाव से खुदरा ग्राहकों पर क्या होगा असर, क्या हैं नए नियम?

निर्यात में 50 फीसदी दिखी गिरावट
महामारी के बाद काजू की घेरलू खपत तो बढ़ी लेकिन निर्यात में कमी आ रही है. इसका कारण है कि वियतनाम जैसे देशों ने काजू का निर्यात बढ़ा दिया है. आठ साल पहले तक भारत सालाना 1,00,000 टन काजू का निर्यात करता था, जो 2021-22 में घटकर 51,908 टन रह गया है. इसके उलट वियतनाम में लोकल खपत घट गई है और वहां निर्यात में तेजी आ रही है. वियतनाम अब दुनिया का सबसे बड़ा काजू निर्यातक देश बन गया है. वहां से हर महीने इतने काजू का निर्यात होता है, जितना भारत अब सालभर में करता है.

निर्यात घटने के दो बड़े कारण
निर्यातकों का कहना है कि दो कारणों से इसमें तेजी से गिरावट आ रही है. पहला कि घरेलू खपत बढ़ने से हमें बाहर माल भेजने की ज्‍यादा जरूरत नहीं रही. अगर हम 20 फीट के कंटेनर को घरेलू बाजार में बेचते हैं तो इसमें करीब 15 टन काजू आता है और हमें 5-8 लाख रुपये ज्‍यादा मिल जाते हैं. वहीं, कच्‍चे काजू आयात पर 10 फीसदी शुल्‍क लगाए जाने से यह महंगा हो गया है, जबकि निर्यात पर इंसेंटिव अब 6 फीसदी से घटकर 2.15 फीसदी रह गया है. ऐसे में भारतीय काजू ग्‍लोबल मार्केट के लिए प्रतिस्‍पर्धी नहीं रहा. हमारे काजू की ग्‍लोबल मार्केट में कीमत 3.50 डॉलर प्रति पाउंड है, जबकि वियतनाम के काजू की कीमत 2.8 डॉलर प्रति पाउंड है.

Tags: Business news, Business news in hindi, COVID 19, Import-Export

image Source

Enable Notifications OK No thanks