महंगाई पर लगेगी लगाम: वित्त मंत्रालय का दावा, सरकार-आरबीआई के उठाए कदमों से जनता को मिलेगी राहत


सार

देश में खुदरा महंगाई आठ साल के शिखर पर पहुंच चुकी है। सरकार की ओर से गुरुवार को देश में खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़े जारी किए गए। इन पर नजर डालें तो सीपीआई अप्रैल महीने में बढ़कर 7.79 फीसदी पर पहुंच गई है। बता दें कि यह पूर्वअनुमानों से भी कहीं ज्यादा दर से बढ़ी है। 

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भारत में महंगाई की मार थमने का नाम नहीं ले रही है। खाने-पीने की चीजों से लेकर ईंधन-बिजली तक की कीमतों में बढ़ोतरी से आज जनता की जेब पर बोझ बढ़ गया है। गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, देश में खुदरा महंगाई आठ साल के शिखर पर पहुंच चुकी है। बहरहाल, इस सबके बीच वित्त मंत्रालय का दावा है कि आने वाले समय में महंगाई से जनता को राहत मिलेगी। 

पुर्वानुमान से कहीं ज्यादा बढ़ी महंगाई
सरकार की ओर से गुरुवार को देश में खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़े जारी किए गए। इन पर नजर डालें तो सीपीआई अप्रैल महीने में बढ़कर 7.79 फीसदी पर पहुंच गई है। इससे पिछले मार्च महीने में खुदरा महंगाई दर 6.95 फीसदी की दर से बढ़ी थी। यहां बता दें कि 12 मई को आंकड़े जारी होने से पहले वित्त विशेषज्ञों के हवाले से कई रिपोर्टों में अनुमान जाहिर किया गया था कि अप्रैल में खुदरा महंगाई दर 18 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच सकती है और 7.5 फीसदी रह सकती है। 

मांग में सुधार से जोखिम होगा कम
वित्त मंत्रालय ने अप्रैल के लिए अपनी मासिक समीक्षा रिपोर्ट में कहा है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों और किए गए उपायों से वित्त वर्ष 2022-23 में मुद्रास्फीति में वृद्धि की अवधि कम हो जाएगी, जो कि ज्यादातर कच्चे तेल और खाद्य तेल की कीमतों में आई बढ़ोतरी के कारण है। मंत्रालय की ओर से कहा गया कि चूंकि कुल मांग में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है, इसलिए निरंतर उच्च मुद्रास्फीति का जोखिम कम है।

हाल ही में की गई रेपो दरों में वृद्धि
गौरतलब है कि आरबीआई ने देश में बढ़ती महंगाई को काबू में करने के लिए बीते दिनों रेपो दरों में बदलाव किया है। रिजर्व बैंक ने नीतिगत ब्याज दरों में 40 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की थी, जिसके बाद ये बढ़कर 4.40 फीसदी हो गई। नीतिगत दरों में मई 2020 के बाद पहली बार बढ़ोतरी की गई थी। वहीं एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आरबीआई अभी ब्याज दरों में और भी बढ़ोतरी कर सकता है। गुरुवार को जारी क्रिसिल की रिपोर्ट के मुताबिक, जून में ब्याज दरों में एक फीसदी तक का इजाफा कर सकता है। 

रिपोर्ट में कही गई यह बड़ी बात 
वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि बढ़ती महंगाई के बावजूद भी सरकार का पूंजीगत व्यय-संचालित राजकोषीय मार्ग, जैसा कि बजट 2022-23 में निर्धारित किया गया है, अर्थव्यवस्था को चालू वर्ष के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग आठ फीसदी की वृद्धि दर्ज करने में मदद करेगा। विदेशी मुद्रा भंडार का जिक्र करते हुए कहा गया कि भले ही फॉरेक्स रिजर्व 29 अप्रैल को समाप्त हुए सप्ताह में 597.7 अरब डॉलर के स्तर पर आ गया, लेकिन ये निवेश और खपत के वित्तपोषण के लिए लगभग 11 महीने का आयात कवर प्रदान करता है।

विस्तार

भारत में महंगाई की मार थमने का नाम नहीं ले रही है। खाने-पीने की चीजों से लेकर ईंधन-बिजली तक की कीमतों में बढ़ोतरी से आज जनता की जेब पर बोझ बढ़ गया है। गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, देश में खुदरा महंगाई आठ साल के शिखर पर पहुंच चुकी है। बहरहाल, इस सबके बीच वित्त मंत्रालय का दावा है कि आने वाले समय में महंगाई से जनता को राहत मिलेगी। 

पुर्वानुमान से कहीं ज्यादा बढ़ी महंगाई

सरकार की ओर से गुरुवार को देश में खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़े जारी किए गए। इन पर नजर डालें तो सीपीआई अप्रैल महीने में बढ़कर 7.79 फीसदी पर पहुंच गई है। इससे पिछले मार्च महीने में खुदरा महंगाई दर 6.95 फीसदी की दर से बढ़ी थी। यहां बता दें कि 12 मई को आंकड़े जारी होने से पहले वित्त विशेषज्ञों के हवाले से कई रिपोर्टों में अनुमान जाहिर किया गया था कि अप्रैल में खुदरा महंगाई दर 18 महीने के उच्च स्तर पर पहुंच सकती है और 7.5 फीसदी रह सकती है। 

मांग में सुधार से जोखिम होगा कम

वित्त मंत्रालय ने अप्रैल के लिए अपनी मासिक समीक्षा रिपोर्ट में कहा है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदमों और किए गए उपायों से वित्त वर्ष 2022-23 में मुद्रास्फीति में वृद्धि की अवधि कम हो जाएगी, जो कि ज्यादातर कच्चे तेल और खाद्य तेल की कीमतों में आई बढ़ोतरी के कारण है। मंत्रालय की ओर से कहा गया कि चूंकि कुल मांग में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है, इसलिए निरंतर उच्च मुद्रास्फीति का जोखिम कम है।

हाल ही में की गई रेपो दरों में वृद्धि

गौरतलब है कि आरबीआई ने देश में बढ़ती महंगाई को काबू में करने के लिए बीते दिनों रेपो दरों में बदलाव किया है। रिजर्व बैंक ने नीतिगत ब्याज दरों में 40 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की थी, जिसके बाद ये बढ़कर 4.40 फीसदी हो गई। नीतिगत दरों में मई 2020 के बाद पहली बार बढ़ोतरी की गई थी। वहीं एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आरबीआई अभी ब्याज दरों में और भी बढ़ोतरी कर सकता है। गुरुवार को जारी क्रिसिल की रिपोर्ट के मुताबिक, जून में ब्याज दरों में एक फीसदी तक का इजाफा कर सकता है। 

रिपोर्ट में कही गई यह बड़ी बात 

वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट में कहा गया है कि बढ़ती महंगाई के बावजूद भी सरकार का पूंजीगत व्यय-संचालित राजकोषीय मार्ग, जैसा कि बजट 2022-23 में निर्धारित किया गया है, अर्थव्यवस्था को चालू वर्ष के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में लगभग आठ फीसदी की वृद्धि दर्ज करने में मदद करेगा। विदेशी मुद्रा भंडार का जिक्र करते हुए कहा गया कि भले ही फॉरेक्स रिजर्व 29 अप्रैल को समाप्त हुए सप्ताह में 597.7 अरब डॉलर के स्तर पर आ गया, लेकिन ये निवेश और खपत के वित्तपोषण के लिए लगभग 11 महीने का आयात कवर प्रदान करता है।



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