Investment Tips : कौन सा म्‍यूचुअल फंड है आपके लिए बेहतर, डिविडेंड या ग्रोथ ऑप्‍शन, जानें पूरी डिटेल


नई दिल्‍ली. म्‍यूचुअल फंड (Mutual Fund) आजकल निवेशकों के लिए सबसे तेजी से बढ़ता विकल्‍प बनता जा रहा है. इसमें ऑप्‍शन की भरमार होने से निवेशक मनचाहे लक्ष्‍य के लिए म्‍यूचुअल फंड चुन सकते हैं. हालांकि, ये दुविधा रहती है कि म्‍यूचुअल फंड के दो विकल्‍पों डिविडेंड और ग्रोथ में से उनके लिए कौन सा बेहतर होगा.

दरअसल, डिविडेंड म्‍यूचुअल फंड में फंड मैनेजर इस पर मिलने वाले रिटर्न को निश्चित अंतराल पर निवेशकों के बीच बांटता जाता है. यह अंतराल रोजाना, मासिक, तिमाही, छमाही या सालाना हो सकता है. इसके उलट ग्रोथ ऑप्‍शन में म्‍यूचुअल फंड पर मिलने वाला रिटर्न दोबारा निवेश कर दिया जाता है और यह प्रक्रिया योजना से निकासी करने तक चलती रहती है. निवेशक अपनी सुविधा और जरूरत के हिसाब से दोनों ऑप्‍शन में से खुद के लिए चुनाव कर सकते हैं.

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डिविडेंड म्‍यूचुअल फंड के नफा नुकसान
जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि इस ऑप्‍शन में निवेशक को तय समय पर डिविडेंड का भुगतान होता रहता है. ऐसे में उसके हाथ में लगातार पैसे की आवक बनी रहती है, लेकिन लंबे समय में उसके पास बड़ा फंड नहीं बन पाता. यह ऑप्‍शन तत्‍काल रूप में तो आपको वित्‍तीय मदद देता है, लेकिन इसके जरिये लॉन्‍ग टर्म में किसी लक्ष्‍य की प्राप्ति नहीं की जा सकती है.

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ग्रोथ ऑप्‍शन के क्‍या हैं फायदे
म्‍यूचुअल फंड के इस विकल्‍प के तहत मिलने वाले रिटर्न को दोबारा निवेश कर दिया जाता है. इसमें निवेशक को ब्‍याज का भुगतान तब तक नहीं किया जाता, जब तक वह योजना से पूरी तरह निकासी नहीं कर लेता. हालांकि, रिटर्न को दोबारा निवेश करने से लंबी अवधि में एक बड़ा कॉर्पस तैयार हो जाता है और कंपाउंड इंटेरेस्‍ट की वजह से कुल रिटर्न में भी बड़ा इजाफा होता है.

कौन सा ऑप्‍शन किसके लिए बेहतर
अगर आपके पास कमाई का कोई साधन नहीं है या फिर तय इनकम नहीं आती है तो आपको डिविडेंड ऑप्‍शन चुनना चाहिए. रिटायर्ड व्‍यक्ति जिसे रोजमर्रा खर्चों के लिए पैसों की जरूरत है, उसे भी डिविडेंड ऑप्‍शन का चुनाव करना चाहिए. इसके उलट अगर आपको लंबे समय के लिए कोई लक्ष्‍य पूरा करना है और आपकी उम्र कम है या सिंगल हैं, तो ग्रोथ ऑप्‍शन ही बेहतर रहेगा.

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दोनों ही ऑप्‍शन पर क्‍या है टैक्‍स का फंडा
डिविडेंड ऑप्‍शन चुनने पर मिलने वाले रिटर्न पर आपको Dividend Distribution Tax (DDT) का भुगतान करना होगा. ऐसे में जो निवेशक 20 या 30 फीसदी के हायर टैक्‍स ब्रेकेट में आते हैं, उनके लिए यह ऑप्‍शन किफायती होगा क्‍योंकि DDT उनके स्‍लैब से कम लगता है. इसके उलट, ग्रोथ ऑप्‍शन चुनने वाले निवेशकों को इक्विटी फंड पर 12 महीने से पहले निकासी पर 15 फीसदी शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्‍स और इसके बाद निकासी पर 1 लाख से ज्‍यादा के रिटर्न पर 10 फीसदी लॉन्‍ग टर्म कैपिटल गेन टैक्‍स लगेगा. अगर डेट फंड है तो 36 महीने से पहले निकासी पर स्‍लैब के हिसाब से टैक्‍स लगेगा. इसके बाद निकासी पर 20 फीसदी की दर से लॉन्‍ग टर्म कैपिटल गेन टैक्‍स लगेगा.

Tags: Mutual fund, Personal finance

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