Jammu Kashmir News : ड्रोन से हथियार भेजने का मतलब सरहद पर सक्रिय है स्लीपर सेल, ओवर ग्राउंड नेटवर्क भी बना चुनौती


सार

अमरनाथ यात्रा के लिए कड़े सुरक्षा इंतजामों के बीच रविवार को स्टिकी बम और यूबीजीएल ग्रेनेड का पकड़ा जाना सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी सफलता के साथ स्लीपर सेल की चुनौती भी है। कठुआ जिले में पिछले कुछ माह में संदिग्धों को पकड़ा जा चुका है।
 

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ड्रोन से भेजे गए हथियारों की बड़ी खेप ने पाकिस्तान के स्लीपर सेल नेटवर्क के सीमा पर सक्रिय होने की भी तसदीक कर दी है। ड्रोन से हथियार और ड्रग्स गिराए जाते हैं, जिन्हें स्लीपर सेल के लिए काम करने वाले आतंकियों के ओवर ग्राउंड वर्कर उठाकर ठिकाने तक पहुंचाते हैं।

अमरनाथ यात्रा के लिए कड़े सुरक्षा इंतजामों के बीच रविवार को स्टिकी बम और यूबीजीएल ग्रेनेड का पकड़ा जाना सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी सफलता के साथ स्लीपर सेल की चुनौती भी है। कठुआ जिले में पिछले कुछ माह में संदिग्धों को पकड़ा जा चुका है।

खुफिया सूत्रों के अनुसार सीमा पार से ड्रोन का इस्तेमाल कर जो हथियार इस तरफ भेजे जा रहे हैं, उससे आतंकियों की बदली साजिश का पता चलता है। स्टिकी बम किसी भी वाहन के नीचे लगाए जा सकते हैं। उस पर टाइमर लगाकर धमाके किए जा सकते हैं। ऐसे बम सुरक्षा अमले के लिए बड़ा खतरा हैं।

दूसरी तरफ भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर त्रिस्तरीय सुरक्षा घेरे के बावजूद ड्रोन से हथियार इस तरफ भेजने का सीधा मतलब सरहदी इलाके में स्लीपर सेल का सक्रिय होना है। सुरक्षा एजेंसियों के तमाम विंग अब ऐसे लोगों की तलाश में जुट गई हैं, जिनके तार आतंक के इस स्लीपर नेटवर्क से जुड़े हुए हैं।

स्टिकी या मैग्नेटिक बम का प्रयोग किसी भी वस्तु से चिपकाने के लिए किया जाता है। बरामद स्टिकी बम स्टील के डिब्बों के आकार में थे जिन्हें किसी भी जगह चिपकाया जा सकता था और किसी बड़ी वारदात को अंजाम दिया जा सकता था।  

ड्रोन और टनल के बाद स्टिकी बम नई चुनौती हैं। इससे निपटने के लिए सुरक्षा अमला पूरी मुस्तैदी से काम कर रहा है। ये बहुत जरूरी है कि आम लोग भी संदिग्ध गतिविधि को लेकर जागरूक और सतर्क रहें। रविवार को ड्रोन मार गिराने में स्थानीय लोगों का सहयोग महत्वपूर्ण रहा है।
– रमेश चंद्र कोतवाल, एसएसपी कठुआ

विस्तार

ड्रोन से भेजे गए हथियारों की बड़ी खेप ने पाकिस्तान के स्लीपर सेल नेटवर्क के सीमा पर सक्रिय होने की भी तसदीक कर दी है। ड्रोन से हथियार और ड्रग्स गिराए जाते हैं, जिन्हें स्लीपर सेल के लिए काम करने वाले आतंकियों के ओवर ग्राउंड वर्कर उठाकर ठिकाने तक पहुंचाते हैं।

अमरनाथ यात्रा के लिए कड़े सुरक्षा इंतजामों के बीच रविवार को स्टिकी बम और यूबीजीएल ग्रेनेड का पकड़ा जाना सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी सफलता के साथ स्लीपर सेल की चुनौती भी है। कठुआ जिले में पिछले कुछ माह में संदिग्धों को पकड़ा जा चुका है।

खुफिया सूत्रों के अनुसार सीमा पार से ड्रोन का इस्तेमाल कर जो हथियार इस तरफ भेजे जा रहे हैं, उससे आतंकियों की बदली साजिश का पता चलता है। स्टिकी बम किसी भी वाहन के नीचे लगाए जा सकते हैं। उस पर टाइमर लगाकर धमाके किए जा सकते हैं। ऐसे बम सुरक्षा अमले के लिए बड़ा खतरा हैं।

दूसरी तरफ भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर त्रिस्तरीय सुरक्षा घेरे के बावजूद ड्रोन से हथियार इस तरफ भेजने का सीधा मतलब सरहदी इलाके में स्लीपर सेल का सक्रिय होना है। सुरक्षा एजेंसियों के तमाम विंग अब ऐसे लोगों की तलाश में जुट गई हैं, जिनके तार आतंक के इस स्लीपर नेटवर्क से जुड़े हुए हैं।

स्टिकी या मैग्नेटिक बम का प्रयोग किसी भी वस्तु से चिपकाने के लिए किया जाता है। बरामद स्टिकी बम स्टील के डिब्बों के आकार में थे जिन्हें किसी भी जगह चिपकाया जा सकता था और किसी बड़ी वारदात को अंजाम दिया जा सकता था।  

ड्रोन और टनल के बाद स्टिकी बम नई चुनौती हैं। इससे निपटने के लिए सुरक्षा अमला पूरी मुस्तैदी से काम कर रहा है। ये बहुत जरूरी है कि आम लोग भी संदिग्ध गतिविधि को लेकर जागरूक और सतर्क रहें। रविवार को ड्रोन मार गिराने में स्थानीय लोगों का सहयोग महत्वपूर्ण रहा है।

– रमेश चंद्र कोतवाल, एसएसपी कठुआ



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