नई दिल्ली . अमेरिकी ब्रोकरेज फर्म जेफरीज (Jefferies) के ग्लोबल इक्विटीज हेड क्रिस्टोफर वुड ने भारत में लॉन्ग-ओनली इक्विटी पोर्टफोलियो में बदलाव की घोषणा की है. उन्होंने ग्रीड एंड फीअर (Greed and Fear) नोट में कहा है कि भारत में लॉन्ग-ओनली इक्विटी पोर्टफोलियो में दिग्गज हाउसिंग लोन कंपनी एचडीएफसी लिमिटेड (Hdfc Limited) में निवेश हटेगा. उसके स्थान पर एचडीएफसी बैंक शामिल होगा. उनके नोट में भारतीय शेयर मार्केट में घरेलू निवेशकों की खरीदारी और विदेशी निवेशकों की भारी बिकवाली का भी उल्लेख किया गया है.
क्रिस्टोफर वुड ने कहा है कि एचडीएफसी में निवेश को एशिया एक्स-जापान लॉन्ग-ओनली पोर्टफोलियो से भी हटाया जाएगा. इस शेयर के बदले पोर्टफोलियो में एचडीएफसी बैंक शामिल होगा. इसका मतलब यह हुआ कि एचडीएफसी के बदले अब एचडीएफसी उनका पसंदीदा शेयर है. उनके नोट के मुताबिक, भारत में लॉन्ग-ओनली पोर्टफोलियो में शामिल आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस में निवेश भी एचडीएफसी बैंक में निवेश के कारण 1 फीसदी कम हो जाएगा.
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पोर्टफोलियो में रिलायंस इंडस्ट्रीज, ओएनजीसी
लाइवमिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, वुड के पास फाइनेंसियल सेक्टर में एचडीएफसी बैंक के अलावा एसबीआई, बजाज फाइनेंस के शेयर शामिल हैं. इनके अलावा लॉन्ग-ओनली इक्विटी पोर्टफोलियो में आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ, आईसीआईसीआई लोम्बार्ड और कंप्यूटर एज मैनेजमेंट सर्विसेज (CAMS) की भी मौजूदगी है. वहीं, एनर्जी सेक्टर में उनके पोर्टफोलियो में रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) और ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ONGC) शामिल हैं.
पिछले साल किया था लॉन्च
ग्रीड एंड फीअर नोट के मुताबिक, जेफरीज के इंडिया लॉन्ग-ओनली इक्विटी में गोदरेज प्रॉपर्टीज, सेंचुरी टेक्सटाइल्स, डीएलएफ, मैक्रोटेक डेवलपर्स जैसे रियल एस्टेट स्टॉक में निवेश शामिल हैं. अन्य स्टॉक की चर्चा करें, तो उनमें मारुति सुजुकी, लार्सन एंड टुब्रो (L&T), जुबिलेंट फूडवर्क्स और कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया शामिल हैं. वुड ने पिछले साल जुलाई में भारत में 16 शेयरों का एकमात्र लॉन्ग-ओनली इक्विटी पोर्टफोलियो लॉन्च किया था.
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क्या है लॉन्ग?
यहां आपको बता दें कि शेयर मार्केट या पर्सनल फाइनेंस में लॉन्ग का मतलब लंबे अवधि का निवेश है. फिडेलिटी इनवेस्टमेंट की अमेरिका में लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट संबंधित स्टडी में खुलासा हुआ कि दशकों तक इन्वेस्टमेंट को हाथ नहीं लगाने वाले निवेशकों ने सबसे ज्यादा रिटर्न हासिल किया. कुछ लोग 20-25 साल को लॉन्ग टर्म मानते हैं. भारत सरकार का रेवेन्यू डिपार्टमेंट टैक्स कैलकुलेशन के लिए 1 साल से अधिक इक्विटी म्च्यूयुअल फंड या शेयरों में निवेश को लॉन्ग टर्म मानता है. हालांकि, निवेश के लिहाज से यह काफी छोटी अवधि है. कुछ लोग 5 साल या उससे अधिक की अवधि को लॉन्ग टर्म मानते हैं.
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FIRST PUBLISHED : June 10, 2022, 12:05 IST