जम्मू-कश्मीर: नागरिकता के लिए बच्चों संग सड़क पर उतरीं पूर्व आतंकियों की पत्नियां, श्रीनगर में किया प्रदर्शन


अमर उजाला ब्यूरो, श्रीनगर।
Published by: प्रशांत कुमार
Updated Tue, 22 Feb 2022 12:10 AM IST

सार

प्रदर्शनकारी महिलाओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह के साथ जम्मू-कश्मीर प्रशासन से उन्हें भारत की नागरिकता देने या पाकिस्तान वापस भेजने की मांग की। घाटी में बच्चों समेत करीब चार हजार ऐसे लोग हैं, जिनको कोई पहचान नहीं मिली है।

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जम्मू-कश्मीर के पूर्व आतंकियों की पाकिस्तानी पत्नियां भारत की नागरिकता देने या पाकिस्तान भेजने के लिए यात्रा दस्तावेजों की मांग कर रही हैं। सोमवार को इन महिलाओं ने अपने बच्चों को साथ लेकर श्रीनगर में प्रदर्शन किया। हाथों में तख्तियां और पोस्टर लेकर श्रीनगर के प्रताप पार्क से रोष रैली निकाली और प्रेस क्लब के बाहर नारेबाजी कर हक के लिए आवाज बुलंद की। 

प्रदर्शनकारी महिलाओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह के साथ जम्मू-कश्मीर प्रशासन से उन्हें भारत की नागरिकता देने या पाकिस्तान वापस भेजने की मांग की। आरोप लगाया कि बार-बार आवाज उठाने के बाद भी सरकार उनकी सुनवाई नहीं कर रही। नागरिकता न मिलने से उनके बच्चों का भविष्य खराब हो रहा है।

बता दें कि जम्मू-कश्मीर सरकार की ओर से 2010 में आतंकी पुनर्वास योजना (मिलिटेंट रिहेब्लिटेशन पॉलिसी) की घोषणा के बाद कश्मीर लौटने वाली करीब 350 से अधिक महिलाएं हैं, जिन्हें आज तक भारत की नागरिकता नहीं मिल पाई है। ये महिलाएं बीते लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर आवाज उठा रही हैं, जो आज तक पूरी नहीं हुई है। घाटी में बच्चों समेत करीब चार हजार ऐसे लोग हैं, जिनको कोई पहचान नहीं मिली है।

 

विस्तार

जम्मू-कश्मीर के पूर्व आतंकियों की पाकिस्तानी पत्नियां भारत की नागरिकता देने या पाकिस्तान भेजने के लिए यात्रा दस्तावेजों की मांग कर रही हैं। सोमवार को इन महिलाओं ने अपने बच्चों को साथ लेकर श्रीनगर में प्रदर्शन किया। हाथों में तख्तियां और पोस्टर लेकर श्रीनगर के प्रताप पार्क से रोष रैली निकाली और प्रेस क्लब के बाहर नारेबाजी कर हक के लिए आवाज बुलंद की। 

प्रदर्शनकारी महिलाओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह के साथ जम्मू-कश्मीर प्रशासन से उन्हें भारत की नागरिकता देने या पाकिस्तान वापस भेजने की मांग की। आरोप लगाया कि बार-बार आवाज उठाने के बाद भी सरकार उनकी सुनवाई नहीं कर रही। नागरिकता न मिलने से उनके बच्चों का भविष्य खराब हो रहा है।

बता दें कि जम्मू-कश्मीर सरकार की ओर से 2010 में आतंकी पुनर्वास योजना (मिलिटेंट रिहेब्लिटेशन पॉलिसी) की घोषणा के बाद कश्मीर लौटने वाली करीब 350 से अधिक महिलाएं हैं, जिन्हें आज तक भारत की नागरिकता नहीं मिल पाई है। ये महिलाएं बीते लंबे समय से अपनी मांगों को लेकर आवाज उठा रही हैं, जो आज तक पूरी नहीं हुई है। घाटी में बच्चों समेत करीब चार हजार ऐसे लोग हैं, जिनको कोई पहचान नहीं मिली है।

 



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