कानपुर हिंसा और बवाल में पकड़े गए आरोपियों के व्हाट्सएप चैट से कई बड़े खुलासे हुए हैं। बवाल के बाद आरोपियों ने आसपास के जिलों के रहने वाले अपने परिचितों को कई तरह के मैसेज भेजे थे, जिसमें लिखा गया था कि तुम लोग कुछ नहीं कर पाए और कानपुर में इतना बड़ा बवाल हो गया। एक तरह से यह आरोपी बवाल के बाद जश्न मना रहे थे और अन्य लोगों को भड़का रहे थे। बवाल में पुलिस अब तक 57 आरोपियों को जेल भेज चुकी है। कमिश्नरी के एक पुलिस अफसर ने बताया कि इन आरोपियों के मोबाइल को खंगाला गया। व्हाट्सएप चैट भी देखी गई, जिसमें इसकी पुष्टि हुई। उधर एसआईटी के कुछ अफसर शातिर अपराधियों की भूमिका बवाल में तलाश रहे हैं। जानकारी मिली है कि आईएस-273 गैंग के अपराधियों ने आठ-दस असलहे बवाल के लिए मुहैया कराए थे। इसमें असलहा तस्कर बाबर का नाम सामने आ रहा है। उसकी भी भूमिका जांची जा रही है।
दुनिया में देश की छवि खराब करना चाहते थे
एसआईटी ने आरोपियों को रिमांड पर लेने के लिए जो प्रार्थना पत्र कोर्ट में दिया था। उसमें दावा किया कि हयात एंड कंपनी ने भारत की छवि दुनिया में खराब करने की मंशा से हिंसा कराई, क्योंकि उस दिन शहर में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री की मौजूदगी थी।
वह बवाल के जरिये देश भर को संदेश देना चाहते थे कि एक बयान पर किस तरह का बवाल कर सकते हैं। यह भी कहा गया कि बवाल के बाद ही अलग-अलग हिस्सों में हिंसा भड़की और विदेश तक इसकी चर्चा होने लगी।
पुलिस के सिर फोड़ा सील इमारतों में निर्माण का ठीकरा
केडीए ने सील इमारतों में अवैध निर्माणों के लिए पुलिस को जिम्मेदार ठहराया। परेड सहित विभिन्न मोहल्लों में केडीए की तरफ से अवैध निर्माण करने पर नोटिस देने या सील करने के बावजूद निर्माण पूरे हो गए।
पुलिस इसके लिए केडीए को जिम्मेदार ठहरा रही है, जबकि केडीए के विशेष कार्याधिकारी सत शुक्ला का कहना है कि नोटिस या सील के बाद भी निर्माण रुकवाना पुलिस का काम है।