म्यूचुअल फंड और पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस में आपके लिए कौन है बेहतर? डिटेल जानें


नई दिल्ली . निश्चित तौर पर दिनोंदिन बढ़ती महंगाई से आप भी परेशान होंगे. ऐसी स्थिति में क्या कोई ऐसा विकल्प है, जिससे महंगाई की औसत वृद्धि को मात दी जा सके? इक्विटी में निवेश अच्छे विकल्पों में से एक माना जाता है.  जो इक्विटी में सीधे निवेश करने का जोखिम नहीं उठा सकते हैं, वे म्यूचुअल फंड या पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस (PMS) का विकल्प चुन सकते हैं. आइए जानते हैं कि म्यूचुअल फंड और पीएमएस में क्या बेहतर है.

अगर आप शेयर मार्केट में खुद ट्रेडिंग नहीं करना चाहते हैं, वह म्यूचुअल फंड के जरिये सिस्टमैटिक तरीके या एकमुश्त मार्केट में निवेश कर सकते हैं. म्यूचुअल फंड में कई सारे निवेशक अपना वित्तीय लक्ष्य पूरा करने के लिए किसी एसेट मैनेजमेंट कंपनी की स्कीम में इन्वेस्ट करते हैं. म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए आप किसी वित्तीय एडवाइजर की सलाह ले सकते हैं या फिर खुद से भी फंड खरीद सकते हैं.

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50 लाख रुपये जरूरी

पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस एक कस्टमाइज निवेश पोर्टफोलियो होता है, जिसमें बड़े निवेशक निवेश करते हैं. इसमें निवेश करने के लिए आपके पास कम से कम 50 लाख रुपये होने चाहिए. इसमें प्रोफेशनल मनी मैनेजर आपके टार्गेट के हिसाब से पोर्टफोलियो बनाते हैं. आपको बता दें कि पीएमएस में निवेश करने के लिए बैंक अकाउंट और डीमैट अकाउंट खुलवाना जरूरी होता है.

तीन तरह की पीएमएस

डिस्क्रीशनरी, नॉन-डिस्क्रीशनरी, एडवाइजरी, ये तरह की पीएमएस होती है. पीएमएस फंड को मैनेज करने के लिए आपको अपने फंड मैनेजर को पावर ऑफ अटार्नी देना होगा. इसमें आपके फंड मैनेजर को निश्चित रकम के अलावा रिटर्न पर आधारित कमीशन भी मिलता है. पीएमएस उन निवेशकों के लिए अच्छा है, जिनके पास निवेश के लिए रकम तो हो, लेकिन उन्हें मैनेज करने के लिए समय कम है.

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2-2.5 फीसदी अधिक रिटर्न जरूरी

विशेषज्ञों का कहना है कि एक निवेशक को लंबी अवधि में म्यूचुअल फंड की तुलना में पीएमएस से 2 से 2.5 फीसदी अधिक रिटर्न की उम्मीद करनी चाहिए. ऑप्टिमा मनी मैनेजर्स के फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर पंकज मठपाल ने मिंट को बताया कि म्यूचुअल फंड में फंड मैनेजर एक निवेशक से योजना के व्यय अनुपात में 0.5 फीसदी से लगभग 2.5 फीसदी तक चार्ज वसूलते हैं. पीएमएस के मामले में, लेनदेन मूल्य का करीब 2 से 2.5 फीसदी चार्ज लिया जाता है, जो स्टॉक की खरीद और बिक्री (निवेशक के लाभ या हानि के बावजूद) दोनों पर लागू होता है.

Tags: Business news in hindi, Investment, Mutual funds

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