LIC IPO: देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी को तगड़ा झटका, जानें आईपीओ लॉन्च से पहले ऐसा क्या हुआ


देश का सबसे बड़ा आईपीओ आने वाला है। एक हालिया रिपोर्ट की मानें तो भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) 11 मार्च को इसे पेश कर सकती है। एक ओर जहां आईपीओ लॉन्च की तैयारी हो रही है, वहीं दूसरी ओर कंपनी को एक तगड़ा झटका लगा है। दरअसल, एलआईसी पॉलिसी बिक्री में भारी कमी दर्ज की गई है। 

पॉलिसी बिक्री में आई कमी
एलआईसी की ओर से बाजार नियामक सेबी को सौंपे गए दस्तावेजों के मुताबिक,  एलआईसी की पॉलिसी बिक्री में भी भारी कमी आई है। व्यक्तिगत और समूह पॉलिसियां की बिक्री वित्त वर्ष 2018-19 के 7.5 करोड़ से 16.76 फीसदी घटकर वित्त वर्ष 2019-20 में 6.24 करोड़ पर आ गई। वहीं, वित्त वर्ष 2020-21 में इसमें 15.84 की गिरावट आई और यह आंकड़ा 5.25 करोड़ रह गया। कंपनी की ओर से साझा की गई जानकारी के अनुसार, लॉकडाउन के चलते 2019-20 की चौथी तिमाही में व्यक्तिगत पॉलिसियों की बिक्री 22.66 फीसदी घटकर 63.5 लाख रह गई, जो एक साल पहले समान अवधि में 82.1 लाख  थी। 2020-21 और 2021-22 की पहली तिमाहियों में यह क्रमश: 46.20 फीसदी घटकर 19.1 लाख और फिर 34.93 फीसदी घटकर 23.1 लाख रह गई।

कंपनी पर बढ़ा आर्थिक बोझ
पॉलिसी बिक्री में आई कमी से जहां कंपनी को नुकसान हुआ, वहीं दूसरी ओर कोरोना काल में मृत्यू बीमा के लिए किए जाने वाले भुगतान के मामले में बीमा कंपनी पर लगातार आर्थिक बोझ बढ़ा है। एक रिपोर्ट में कहा गया कि कोविड-19 महामारी की वजह से कंपनी की व्यक्तिगत और समूह पॉलिसियों की कुल संख्या में गिरावट आई है। जबकि, मृत्यु के बीमा दावों में तेज बढ़ोतरी हुई है। इसके अनुसार, वित्त वर्ष 2019, 2020 और 2021 के लिए  मृत्यु बीमा दावों के लिए क्रमशः 17,128.84 करोड़ रुपये, 17,527.98 करोड़ रुपये और 23,926.89 करोड़ रुपये का भुगतान भी किया गया है। वहीं 30 सितंबर, 2021 को समाप्त हुए छह महीनों के लिए 21,734.15 करोड़ रुपये भुगतान किया गया। 

75000 करोड़ रुपये का बकाया
आईपीओ (आरंभिक सार्वजनिक निर्गम) लाने की तैयारियों में जुटी देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी पर आयकर विभाग का करीब 75,000 करोड़ रुपये बकाया है। खास बात है कि भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) टैक्स की देनदारियां चुकाने के लिए अपने फंड का इस्तेमाल नहीं करना चाहती है। आईपीओ के लिए बाजार नियामक सेबी के पास पेश किए गए दस्तावेजों के मुताबिक, एलआईसी पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर के 74,894.6 करोड़ रुपये के कुल 63 मामले चल रहे हैं। इनमें बीमा कंपनी पर प्रत्यक्ष कर के 37 मामलों में 72,762.3 करोड़ और 26 अप्रत्यक्ष कर मामलों में 2,132.3 करोड़ रुपये बकाया है, जिनकी वसूली होनी है।

21,500 करोड़ की लावारिस रकम
बता दें कि एलआईसी की ओर से साझा की गई जानकारी के मुताबिक, उसके पास सितंबर 2021 तक पॉलिसीधारकों के 21,500 करोड़ रुपये ऐसे हैं जो लावारिस पड़े हैं। यानी इनके लिए कोई दावा करने वाला नहीं है। इसका मतलब या तो इन पॉलिसीधारकों की मौत हो गई या फिर इनके बारे में उनके परिवार को पता नहीं है। मार्च 2021 तक 18,495 करोड़ रुपये और 2020 मार्च तक यह रकम 16,052 करोड़ रुपये थी जो मार्च 2019 तक 13,842 करोड़ रुपये थी।

पूरी तरह ऑफर फॉर सेल आईपीओ
एलआईसी का ये आईपीओ अब तक सबसे बड़ा आईपीओ होगा। सेबी में सौंपे गए डीआरएपी के अनुसार, एलआईसी का इश्यू पूरी तरह ऑफर फॉर सेल होगा। इसमें सरकार अपनी 5 फीसदी हिस्सेदारी के अंतर्गत 31.6 करोड़ शेयर जारी करेगी। रिपोर्ट के मुताबिक, इस हिसाब से कंपनी की एम्बेडेड वैल्यू 5.4 लाख करोड़ रुपये होगी। अमूमन किसी बीमा कंपनी का मार्केट कैप इस वैल्यू का चार गुना होता है। इस हिसाब से देखें तो एलआईसी की मार्केट वैल्यू 288 अरब डॉलर यानी करीब 22 लाख करोड़ रुपये होगी और एलआईसी देश की सबसे बड़ी मूल्यवान कंपनी बन जाएगी। 

एलआईसी ने दी ये बड़ी सुविधा
समय पर प्रीमियम नहीं भरने के कारण या फिर अन्य किसी कारण से बहुत सारे लोगों की एलआईसी की पॉलिसी बंद हो जाती है। कंपनी की ओर से कहा गया है कि पांच साल से जो पॉलिसी बंद पड़ी हैं, ऐसे मामले में कम चार्ज भरकर उसे फिर से चालू कराया जा सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे पॉलिसीधारक जिनकी पॉलिसी बंद हो चुकी है, वे भी रिजर्वेशन पोर्शन के जरिए आईपीओ के लिए आवेदन करने के पात्र हो सकते हैं। दस्तावेजों में कहा गया है कि ऐसे सभी पॉलिसीधारक आईपीओ के लिए रिजर्वेशन के तहत निवेश करने के हकदार हैं जो मैच्योरिटी, सरेंडर या पॉलिसीहोल्डर की मृत्यु के चलते एलआईसी के रिकॉर्ड से बाहर नहीं हुए हैं।



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