क्रिप्‍टो में गिरावट का उठाया फायदा, MicroStrategy ने खरीदे 660 Bitcoin


क्रिप्‍टो (Crypto) मार्केट में जारी गिरावट से निवेशकों का मूड भले ही मायूस हो, लेकिन कई लोग इसका फायदा भी उठा रहे हैं। कुछ दिनों पहले ही हमने पढ़ा था कि अल-साल्‍वाडोर ने उसके खजाने में नए बिटकॉइन (Bitcoin) जोड़े हैं। अब US-बेस्‍ड बिजनेस इंटेलिजेंस फर्म माइक्रोस्ट्रेटि‍जी (MicroStrategy) के CEO माइकल सैलर ने 660 बिटकॉइन टोकन का एक नया बैच खरीदा है। एक ऑफ‍िशियल अपडेट में 56 साल के माइकल ने कहा कि गिरावट के दौर में खरीदे गए हरेक बिटकॉइन के लिए उन्‍हें 37,865 डॉलर (लगभग 28 लाख रुपये) भुगतान करने पड़े। उन्होंने नए बिटकॉइन टोकंस के लिए कुल 25 मिलियन डॉलर (लगभग 187 करोड़ रुपये) चुकाए। उनकी कंपनी के अकाउंट में अब कुल 1 लाख 25 हजार 51 बिटकॉइन हैं। माइकल का दावा है कि उन्‍होंने 3.78 बिलियन डॉलर (लगभग 2,830 करोड़ रुपये) में इन्‍हें हासिल किया है।

माइकल सैलर की बिजनेस इंटेलिजेंस कंपनी MicroStrategy साल 2019 से बिटकॉइन खरीद रही है। पिछले साल नवंबर और दिसंबर के बीच कंपनी ने 57,477 डॉलर (लगभग 45 लाख रुपये) और 49,229 डॉलर (लगभग 35 लाख रुपये) के प्रति टोकन प्राइस पर बिटकॉइन के बैच खरीदे थे। 

माइकल सैलर, बिटकॉइन के बड़े समर्थकों में से एक हैं। वह अक्‍सर अपने बयानों से क्रिप्‍टोकरेंसी के पक्ष में खड़े नजर आते हैं। 

क्रिप्‍टोकरेंसी को लेकर सैलर ने भविष्‍यवाणी की है कि आने वाले साल में बिटकॉइन के प्रत्‍येक टोकन की वैल्‍यू 6 मिलियन डॉलर (लगभग 45 करोड़ रुपये) तक पहुंच सकती है।

माइकल सैलर, बिटकॉइन माइनिंग काउंसिल के एक्टिव मेंबर हैं। उनकी कंपनी बिटकॉइन में सार्वजनिक रूप से निवेश करने वाली पहली लिस्‍टेड फर्म है।

हालांकि सैलर अकेले नहीं हैं, जो बिटकॉइन में गिरावट का फायदा उठाते हैं। 

अल-साल्वाडोर के राष्ट्रपति नायब बुकेले (Nayib Bukele) भी कम रेट में बिटकॉइन खरीदने वालों में शामिल हैं। अल-साल्‍वाडोर ने पिछले साल बिटकॉइन को लीगल टेंडर घोषित किया था। 

हाल ही में अल साल्वाडोर ने 15 मिलियन डॉलर (लगभग 110 करोड़ रुपये) में 410 और टोकन का एक बैच खरीदा था। इस दौरान बिटकॉइन की वैल्‍यू प्रति टोकन 35 हजार डॉलर (लगभग 25 लाख रुपये) पर थी। अमेरिका, भारत और रूस समेत कई देशों की सरकारें क्रिप्टो सेक्‍टर को रेगुलेट करने के तरीके खोज रही हैं। इससे निवेशकों में भ्रम है। इसके अलावा ईरान जैसे कुछ देशों ने बिजली की कमी के चलते क्रिप्टो माइनिंग पर अस्थायी रूप से बैन लगा दिया है। 
 



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