Moon Day: चांद पर कैसे पहुंचा इंसान? यहां जानें पूरी कहानी..


इस धरती के समस्त जीवों ने इंसानों की ताकत का लोहा तब माना जब चांद पर इंसान का पहला कदम पड़ा। अमेरिका ने बता दिया कि पूरी दुनिया में इंसान से ताकतवर कोई नहीं है। आज यानी 20 जुलाई को नील आर्मस्ट्रांग ने चांद पर अपना पहला कदम रखा था। इस अंतरिक्ष यात्रा में नील अकेले नहीं थे उनका साथ दिया था बज़ एल्ड्रिन ने। यह ऐतिहासिक कार्य जब हुआ तो विश्व इसका साक्षी बना। इसी सफलता को सेलिब्रेट करने के लिए हर वर्ष इंटरनेशनल मून डे (International Moon Day 2022) मनाया जाता है। आइए इंसान के जीवन की सबसे बड़ी घटना की बड़ी बातों को जान लेते हैं।

जब चांद पर पड़े इंसान के कदम..
20 जुलाई को जब नील और बज़ का अंतरिक्ष यान चांद की जमीन पर उतरा तो इस मिशन से जुड़े सभी लोगों की सांसे थम गईं और धड़कनें तेज हो गईं। नील और बज़ जब चांद पर गए तो किसी ने यह नहीं सोचा था कि कामयाबी मिलेगी भी या नहीं। लेकिन सभी हालात संभालने की क्षमता और नील के हुनर पर आश्रित थे। जब वे दोनों चांद की सतह पर पहुंचे तो अलार्म बज रहे थे और यान में ईंधन की मात्र भी बेहद कम थी। लेकिन नील के हुनर के भी क्या कहने, उन्होंने सहजता से अंतरिक्ष यान को चांद पर उतार दिया।

नील ने चांद पर लहरा दिया ज्ञंडा..
चांद की सतह बेहद उबड़-खाबड़ थी। नील आर्मस्ट्रांग ने चांद पर पहला कदम रखा और इतिहास रच दिया। नील के साथ बज़ एल्ड्रिन भी वहां बाद में उतरे थे। नील और बज ने चांद की सतह पर एक अमेरिकी झंडा और एक तख्ती लगायी। तख्ती पर लिखा था, ‘चांद पर इस जगह पर, धरती से आए इंसान ने पहली बार कदम रखा, जुलाई 1969 ईसवी। हम सारी मानव जाति की शांति के लिए आए हैं।’

नील और बज़ को अंतरिक्ष तक पहुंचाने में लगे थे 4 लाख लोग..
नील और बज़ ने अपने चांद तक का सफर नासा के अंतरिक्ष यान अपोलो से 16 जुलाई को शुरू किया था। जब नील ने इंटरव्यू दिया तो कहा कि यह सफलता केवल उन हजारों लोगों की है जो इससे जुड़े थे और इसके लिए कार्य कर रहे थे। नासा के अनुमान के अनुसार इस अपोलो मिशन से करीब 4 लाख लोग जुड़े थे।
इन लोगों की लिस्ट में अंतरिक्ष यात्रियों से लेकर मिशन कंट्रोलर, ठेकेदार, कैटरर, इंजीनियर, वैज्ञानिक, नर्स, डॉक्टर, गणितज्ञ और प्रोग्रामर तक, सभी शामिल थे। ये सभी लोग केवल एक नील आर्मस्ट्रॉन्ग को संचालित कर रहे थे। जब यह मिशन चल रहा था तब 20-30 लोगों की टीम हर सेकेंड सक्रिय रहती थी। नासा के मिशन कंट्रोलर को पूरी दुनिया में मौजूद ग्राउंड स्टेशन से भी संपर्क रखना पड़ता था।

लड़कियों की भूमिका
अपोलो के इस मिशन में महिलाओं ने अहम भूमिका निभाई लेकिन पुरूषों के समान न तो उन्हें यश मिला न ही उन्हें क्रेडिट दिया गया। महिलाओं ने इस मिशन के दौरान सूट बनाने वाली से लेकर गणितज्ञ का रोल निभाया। महिलाओं के लिए अलग कमरों और बाथरूम तक की व्यवस्था भी नहीं थी। इससे यह ज्ञात होता है कि अंतरिक्ष कार्यक्रम उस वक़्त महिलाओं की भागीदारी के लिए तैयार नहीं था।

Source link

Enable Notifications OK No thanks