मूवी रिव्‍यू: हिट- द फर्स्ट केस


हिंदी वर्सेज साउथ फिल्मों को लेकर छिड़ी बहस कितनी भी लंबी क्यों न चली हो, मगर एक बात तय है कि बॉलिवुड के फिल्मकार सुपर हिट साउथ फिल्मों के रीमेक का मोह संवरण नहीं कर पाते। साउथ की सफल फिल्मों के हिंदी में रीमेक होने का सिलसिला लगातार जारी है और उसी कड़ी में निर्देशक शैलेश कोलानु एक्‍टर राजकुमार राव के साथ Hit: The First Case लेकर आए हैं। अब जब फिल्म में Rajkummar Rao जैसा समर्थ अभिनेता हो, तो कहीं न कहीं ये आस बनी रहती कि कहानी और अभिनय जरूर परतदार होगा। फिल्‍म में राजकुमार राव के साथ Sanya Malhotra भी हैं।

‘हिट: द फर्स्‍ट केस’ की कहानी
एचआईटी यानी HIT (होमीसाइड इंटरवेंशन टीम) का चीफ जासूस विक्रम अपने दर्दनाक अतीत की प्रेतबाधा से ग्रसित है, यही वजह है कि अपने जटिल और खौफनाक केसेज को सुलझाते हुए उसका सामना बार-बार अपने अतीत से होता है। मगर वो अपनी कार्यकुशलता और तेत-तर्रार जासूसी दिमाग से अपने केसेज हल करता जाता है। मगर इस बार मामला बहुत ही उलझा हुआ और संवेदनशील है। अब जो केस विक्रम के पास आया, वो उसकी अपनी प्रेमिका और उसी के विभाग में काम करने वाली फोरेंसिक एनालिस्ट नेहा (सान्या मल्होत्रा) के गायब होने का है। विक्रम के साथ हुए एक झगड़े के बाद नेहा किसी को नहीं मिल रही और तो और उसी दिन उनके शहर जयपुर की एक और लड़की प्रीति भी गुमशुदा है। कॉलेज में पढ़ने वाली प्रीति कार खराब होने के बाद आखिरी बार हाइवे पर पुलिसकर्मी इब्राहिम (मिलिंद गुणाजी) द्वारा देखी गई थी। अब क्या इन दोनों गुमशुदा हुई लड़कियों के बीच कोई रिश्ता है? क्या विक्रम नेहा का पता लगाने में कामयाब हो पाता है? क्या वो अपने अतीत की काली परछाइयों से मुक्त हो पाता है? ये जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।

‘हिट: द फर्स्‍ट केस’ का ट्रेलर

‘हिट: द फर्स्‍ट केस’ का रिव्‍यू
जैस कि हमने बताया कि यह फिल्म 2020 में आई तेलुगु फिल्म की रीमेक है। मूल फिल्म के निर्देशन की बागडोर भी शैलेश कोलानु ने ही संभाली थी। मूल कहानी तेलंगाना में स्थापित थी, मगर हमारी हिंदी फिल्म की कहानी राजस्थान के बैकड्रॉप पर बुनी गई है। कहानी अपने थ्रिलर नेचर के साथ संपूर्ण न्याय करती है। मध्यांतर तक फिल्म के ट्विस्ट और टर्न्स दर्शकों को अपनी कुर्सी से बांधे रखने में कामयाब रहते हैं। कहानी का पेचीदा बिल्डअप बहुत ही स्ट्रांग है। मगर फिर कहानी में कई ऐसे सवाल सामने आते हैं, जिसक जस्टिफिकेशन निर्देशक नहीं दे पाए हैं। निर्देशक सस्पेक्ट के रूप में कई किरदारों को जमा करते हैं और यह सिलसिला उस वक्त तक दिलचस्प बना रहता है, जब तक कि क्लाइमेक्स सामने नहीं आता, मगर क्लाइमेक्स में असली कातिल का पता लगते है घोर निराशा होती है। इसके अलावा फिल्म में एलजीबीटीक्यू का जो एंगल है, उसका तर्क भी दर्शक को संतुष्ट नहीं कर पाता। फिल्म के अंत में जब अपराधी का पता चलता है, तो उसके जघन्य अपराध को करने का कारण बेतुका मालूम पड़ता है। क्लाइमेक्स पूरी तरह से रिवील भी नहीं हो पता। निर्देशक ने अंतर्कथा के कुछ सिरों को छोड़कर इसके पार्ट टू का भी इशारा दिया है।

हां, अभिनय फिल्म का सबसे सबल पक्ष है और इसमें राजकुमार राव हर तरह से उच्च स्तरीय साबित होते हैं। अतीत की भयावहता में उलझे जीनियस पुलिस अफसर की भूमिका को राजकुमार राव ने निभाने में तिल भर की कसर नहीं छोड़ी है। अपने एक्शन-रिएक्शन से वे स्क्रिप्ट के अनुकूल तनाव बढ़ाने में सफल रहते हैं। सान्या मल्होत्रा को अपनी भूमिका में कुछ खास करने का मौका नहीं मिला है। उन जैसी अच्छी अदाकारा को थोड़ा और स्क्रीन स्पेस मिलना चाहिए था। मिलिंद गुणाजी, जतिन गोस्वामी और दलीप ताहिल जैसे अभिनेता अपनी भूमिकाओं में अच्छे चमके हैं। अटेंशन सीकर के रूप में शिल्पा शुक्ला ने भी किरदार के साथ इंसाफ किया है। संगीत पक्ष की बात करें, तो म्यूजिक पर खास मेहनत नहीं की गई है। सेकंड हाफ के बाद एडिटिंग कसी हुई होनी चाहिए थी। मणिकंदन की सिनेमैटोग्राफी फिल्म के उदास और थ्रिलर मूड को बनाए रखती है।

क्यों देखें – थ्रिलर फिल्मों के शौकीन और राजकुमार राव के अभिनय के लिए देखी जा सकती है ये फिल्म।

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