म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन: जयशंकर बोले- चीन के साथ भारत के संबंध इस समय बहुत कठिन दौर से गुजर रहे हैं


वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, म्यूनिख
Published by: गौरव पाण्डेय
Updated Sun, 20 Feb 2022 03:57 PM IST

सार

जर्मनी में हो रहे म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन से साथ सीमा पर विवाद का मुद्दा उठाया और साफ शब्दों में कहा कि दोनों देशों के बीच संबंधों की स्थिति सीमा पर हालात से ही तय होगी।

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विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा है कि बीजिंग की ओर से सीमा पर सैन्य बलों को न तैनात करने के समझौते का उल्लंघन करने के बाद भारत और चीन के संबंध इस समय बहुत कठिन दौर में हैं। उन्होंने यह बात शनिवार को जर्मनी में म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन (एमएससी) 2022 में विचार विमर्श के दौरान कही। यहां जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि सीमा पर स्थिति ही संबंधों की स्थिति तय करेगी। 

जयशंकर ने मध्यस्थ लिन कुओक की ओर से किए गए एक सवाल के जवाब में कहा, ’45 वर्षों तक सीमा पर शांति रही, स्थायी सीमा प्रबंधन रहा, 1975 से सीमा पर कोई सैनिक हताहत नहीं हुआ था। इस स्थिति में परिवर्तन इसलिए हुआ क्योंकि हमारा चीन के साथ समझौता था कि सीमा (वास्तविक नियंत्रण रेखा या एलएसी) पर सैन्य बल नहीं तैनात किए जाएंगे और चीन ने इन समझौतों का उल्लंघन किया।’

सीमा पर हालात तय करेंगे संबंधों की स्थिति
उन्होंने कहा, ‘अब सीमा पर स्थिति संबंधों की स्थिति तय करेगी। यह प्राकृतिक है। इसलिए स्पष्ट है कि चीन के साथ संबंध इस समय कठिन दौर में हैं।’ बता दें कि पैंगोंग झील क्षेत्रों में हिंसक झड़प के बाद पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन की सेनाओं के बीच गतिरोध शुरू हो गया था। 15 जून 2020 को गलवां घाटी में तनाव बढ़ गया था। इसके बाद दोनों देशों ने सीमा पर सैन्य बलों और हथियारों की तैनाती बढ़ा दी थी।

पिछले सप्ताह मेलबर्न में भी उठाया था ये मुद्दा
पिछले सप्ताह ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में भी जयशंकर ने कहा था कि चीन की ओर से समझौतों का उल्लंघन किए जाने से स्थिति गंभीर हुई है। जयशंकर म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए शुक्रवार को जर्मनी पहुंचे थे। यहां उन्होंने अपनी जर्मन समकक्ष एनालिना बेयरबॉक से मुलाकात की थी और हिंद-प्रशांत क्षेत्र, यूक्रेन और अफगानिस्तान में हालात समेत कई द्विपक्षीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की थी।

विस्तार

विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा है कि बीजिंग की ओर से सीमा पर सैन्य बलों को न तैनात करने के समझौते का उल्लंघन करने के बाद भारत और चीन के संबंध इस समय बहुत कठिन दौर में हैं। उन्होंने यह बात शनिवार को जर्मनी में म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन (एमएससी) 2022 में विचार विमर्श के दौरान कही। यहां जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि सीमा पर स्थिति ही संबंधों की स्थिति तय करेगी। 

जयशंकर ने मध्यस्थ लिन कुओक की ओर से किए गए एक सवाल के जवाब में कहा, ’45 वर्षों तक सीमा पर शांति रही, स्थायी सीमा प्रबंधन रहा, 1975 से सीमा पर कोई सैनिक हताहत नहीं हुआ था। इस स्थिति में परिवर्तन इसलिए हुआ क्योंकि हमारा चीन के साथ समझौता था कि सीमा (वास्तविक नियंत्रण रेखा या एलएसी) पर सैन्य बल नहीं तैनात किए जाएंगे और चीन ने इन समझौतों का उल्लंघन किया।’

सीमा पर हालात तय करेंगे संबंधों की स्थिति

उन्होंने कहा, ‘अब सीमा पर स्थिति संबंधों की स्थिति तय करेगी। यह प्राकृतिक है। इसलिए स्पष्ट है कि चीन के साथ संबंध इस समय कठिन दौर में हैं।’ बता दें कि पैंगोंग झील क्षेत्रों में हिंसक झड़प के बाद पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन की सेनाओं के बीच गतिरोध शुरू हो गया था। 15 जून 2020 को गलवां घाटी में तनाव बढ़ गया था। इसके बाद दोनों देशों ने सीमा पर सैन्य बलों और हथियारों की तैनाती बढ़ा दी थी।

पिछले सप्ताह मेलबर्न में भी उठाया था ये मुद्दा

पिछले सप्ताह ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में भी जयशंकर ने कहा था कि चीन की ओर से समझौतों का उल्लंघन किए जाने से स्थिति गंभीर हुई है। जयशंकर म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए शुक्रवार को जर्मनी पहुंचे थे। यहां उन्होंने अपनी जर्मन समकक्ष एनालिना बेयरबॉक से मुलाकात की थी और हिंद-प्रशांत क्षेत्र, यूक्रेन और अफगानिस्तान में हालात समेत कई द्विपक्षीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की थी।



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