नई दिल्ली. शहरी क्षेत्रों में लोन को लेकर बढ़ते कॉम्पिटिशन के कारण गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) का फोकस ग्रामीण क्षेत्रों की तरफ ज्यादा है. जिसके चलते दिसंबर तिमाही में शहरी क्षेत्रों में स्वीकृत ऋण में 3% साल-दर-साल की कमी आई है. फाइनेंस इंड्स्ट्री डेवलपमेंट कार्पोरेशन (FIDC) और क्रेडिट सूचना कंपनी CRIF हाईमार्क द्वारा संयुक्त रूप से जारी आंकड़ों से पता चलता है. इस दौरान ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में क्रमशः 13% और 19% की वृद्धि हुई.
विशेषज्ञों ने बताया कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां (एनबीएफसी) बड़े लोन देने में कम रुचि दिखा रही है. इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड के एसोसिएट डायरेक्टर पंकज नाइक ने कहा, इनमें बहुत प्रतिस्पर्धी शहरी बाजार में शामिल होने के बजाय ग्रामीण, टियर -3 और टियर -4 क्षेत्र शामिल हैं.
नाइक ने कहा कि एनबीएफसी अपना ज्यादा ध्यान वाहन लोन और प्रॉपर्टी लोन की तरफ केंद्रित कर रहा है. दरअसल कोरोना महामारी के चलते व्यवसायों की गति धीमी हुई है जिसका सीधा असर शहरी क्षेत्रों में देखने को मिला है.
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FIDC-Crif हाई मार्क डेटा के अनुसार, शिक्षा ऋण 31% साल-दर-साल घटकर 707 करोड़ रुपये हो गया. इसके अलावा 1 से 3 साल तक के लोन 43% घटकर 6,992 करोड़ रुपये पर आ गए. वहीं सेक्योर्ड बिजनेस लोन दिसंबर से अब तक तीन महीनों में 24% गिरकर 925 करोड़ रुपये हो गए हैं. गैर-बैंक ऋणदाताओं द्वारा तीसरी तिमाही में 5 फीसदी की वृद्धि देखी गई जो ₹3.07 ट्रिलियन है और NBFC को मार्च तिमाही में और सुधार देखने की उम्मीद है.
एफआईडीसी के महानिदेशक महेश ठक्कर के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में ऋण की तुलना में ग्रामीण ऋण में वृद्धि के पीछे तीन कारण हैं. उन्होंने कहा कि कोविड -19 महामारी के दौरान, एनबीएफसी ने ग्रामीण क्षेत्रों से बड़े पैमाने पर ऋण की मांग देखी, क्योंकि शहरी क्षेत्रों के लोग नए लोन लेने से बच रहे हैं. एनबीएफसी ग्रामीण ऋणों के लिए उत्सुक हैं क्योंकि शहरी क्षेत्रों में बैंकों के साथ प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है.
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