देवघर रोपवे हादसा के बाद एक्शन में एनडीआरएफ, पूरे देश में केबल कार का ऑडिट शुरू किया


नई दिल्ली. देवघर रोपवे हादसे के बाद राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) एक्शन में आ गया है. एनडीआरएफ ने यात्री केबल कार और रोपवे प्रणालियों में संभावित सुरक्षा खामियों का पता लगाने और एक ढांचागत खाका तैयार करने के लिए राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण शुरू किया है, जो दुर्घटना या आपात स्थिति में प्रभावी बचाव अभियान शुरू करने में मदद करेगा. इस केंद्रीय बल ने अपने दल को विशिष्ट रोपवे बचाव कौशल में प्रशिक्षित करने का भी निर्णय लिया है. इसके अलावा पुली और कारबिनर जैसे उपकरणों की खरीद का भी फैसला किया गया है जिसका इस्तेमाल बचावकर्ता हवा में लटकी कार में फंसे लोगों को निकालने में करेंगे.

चित्रकूट रोपवे हादसे के बाद सबक
यह कदम इस साल झारखंड, हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश में हुई कम से कम तीन रोपवे दुर्घटनाओं की पृष्ठभूमि में उठाया गया है. गत अप्रैल में झारखंड के देवघर जिले के त्रिकूट पहाड़ियों पर रोपवे की केबिल कार के हवा में फंसने पर भारतीय वायु सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), सेना, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) और स्थानीय प्रशासन द्वारा 40 घंटे का लंबा बचाव अभियान चलाया गया, लेकिन तीन लोगों की मौत हो गई. हालांकि, 12 लोगों को बचाया भी गया.

प्रणालियों को समझने के लिए सर्वेक्षण
हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले के परवानू टिम्बर ट्रेल में गत जून में एक केबल कार में 11 लोग घंटों तक फंसे रहे और एनडीआरएफ तथा अन्य एजेंसियों ने छह घंटे के लंबे अभियान के बाद उन्हें बचाया. इसी तरह मई में मध्य प्रदेश में सतना जिले के मैहर में पहाड़ी की चोटी पर स्थित देवी ‘शारदा’ के दर्शन करने वाले तीर्थयात्रियों के केबल कार में फंसने के लगभग एक घंटे बाद बचाया गया. एनडीआरएफ के महानिदेशक (डीजी) अतुल करवाल ने कहा, हमने देश में सभी यात्री रोपवे और केबल कार प्रणालियों के संचालन को समझने और उपचारात्मक कार्रवाई का सुझाव देने के लिए एक सर्वेक्षण शुरू किया है. भारत में 50 से अधिक ऐसी प्रणालियां हैं, जो तीर्थयात्रियों, पर्यटकों और यात्रियों के परिवहन के लिए उपयोग की जाती हैं.

सावधानियो के प्रति जागरूक करना मकसद
करवाल ने कहा कि इस कवायद का मकसद परिवहन के इस साधन के ऑपरेटरों को न केवल उन सावधानियों और तैयारियों के बारे में जागरूक करना है जो उन्हें करनी चाहिए, बल्कि इससे एक कार्य योजना भी मिलेगी जिसका उपयोग रोपवे प्रणाली से जुड़ी आपात स्थिति और आपदा के दौरान किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्यों में संचालन के अधिकार क्षेत्र के साथ देशभर में स्थित सभी 16 एनडीआरएफ बटालियनों से अधिकारियों की एक विशेष टीम को इन रोपवे प्रणालियों का दौरा करने, सुरक्षा और संचालन विश्लेषण करने और एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है.

इन प्रणालियों पर मॉक ड्रिल भी
करवाल ने कहा कि अंतिम रिपोर्ट गृह मंत्रालय (एमएचए) को सौंपी जाएगी. उन्होंने कहा, मैंने अपने फील्ड कमांडरों से बात की है और हम पुली, कारबिनर और रस्सियों समेत अन्य उपकरणों को खरीदने की प्रक्रिया में हैं, ताकि ऐसी आपात स्थितियों से निपटने के लिए पर्याप्त रूप से हम सुसज्जित हों. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एनडीआरएफ अपने बचाव दल को वास्तविक काम के लिए तैयार करने के लिए इन प्रणालियों पर मॉक ड्रिल भी कर सकता है. देवघर रोपवे दुर्घटना के तुरंत बाद, केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने सभी राज्यों को पत्र लिखकर प्रत्येक यात्री रोपवे परियोजना का सुरक्षा ऑडिट करने और दुर्घटनाओं और आपात स्थितियों से निपटने के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) को लागू करने के लिए कहा था.

Tags: NDRF



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