बढ़ती महंगाई पर अंकुश लगाने के लिए सरकार एक्शन में, और सख्त कदम उठाने की जरूरत


नई दिल्ली. बढ़ती महंगाई से सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) सकते में हैं. बढ़ती महंगाई आर्थिक विकास के लिए खतर पैदा कर रही है और इसी वजह से मॉनेटरी और फिस्कल अथॉरिटी दोनों एक साथ काम कर रही हैं. कुछ देशों की तुलना में भारत में महंगाई अभी भले ही चरम पर नहीं पहुंची हो, लेकिन इस पर अंकुश लगाने के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत होगी क्योंकि इससे सबसे ज्यादा नुकसान गरीबों का होता है.

इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के कोर एनालिटिकल ग्रुप के डायरेक्टर सौम्यजीत नियोगी ने कहा, “अगर आप पिरामिड के निचले हिस्से (गरीब) को देखते हैं, तो उनकी आय का स्तर काफी कम है. उनके पास महंगाई को झेलने के लिए बहुत कम विकल्प हैं.”

कई विकसित और उभरती अर्थव्यवस्थाएं बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने की कवायद कर रहीं हैं. इसका कारण यह है कि लंबे समय से रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध सप्लाई चेन को बाधित कर रहा है. कई देश, दूसरे देशों में जाने वाले शिपमेंट पर पाबंदी लगा रहे हैं. दुनिया के कई सेंट्रल बैंक कोरोना महामारी काल में दिए गए प्रोत्साहन को वापस ले रहे हैं. साथ ही वे अपनी विशाल बैलेंसशीट को सिकोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. वहीं, वित्तीय अधिकारी टैक्स में कमी कर सब्सिडी बढ़ाने में जुटे हैं.

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खाद्य महंगाई गरीबों की दुश्मन
जहां तक भारत की बात है, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग भोजन और ईंधन के बढ़े दाम की मार झेलने को विवश हैं. रेटिंग एजेंसी क्रिसिल का कहना है कि खाद्यान्न की बढ़ती कीमतें गांव में रहने वाले गरीब लोगों का प्रमुख दुश्मन है. हाल ही में क्रिसिल रिसर्च ने कहा कि महामारी के बाद से शहरी गरीब कीमतों में वृद्धि का खामियाजा भुगत रह हैं.

मनीकंट्रोल की रिपोर्ट में रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के हवाले से कहा गया है कि  अब ग्रामीण गरीबों को बढ़ती खाद्य कीमतों से अधिक परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. उसने कहा है कि वित्त वर्ष 2023 में खाद्य पदार्थों और ईंधन की बढ़ती कीमत गरीब आबादी को और अधिक परेशान करेगी.

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फसलों पर मौसम की मार
भारत का कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) आधारित महंगाई दर पिछले महीने यानी अप्रैल में 8 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई, जबकि रिटेल महंगाई 30 वर्षों के रिकॉर्ड पर है. रिटेल महंगाई दर 2 साल से अधिक समय से भारतीय रिजर्व बैंक के लक्ष्य से ऊपर बनी हुई है. वहीं, थोक महंगाई दर 1 साल से दोहरे अंकों में बना हुआ है.

वैसे, वैश्विक स्तर पर खाद्य पदार्थों, धातुओं और कच्चे तेल की कीमतों में एक साथ वृद्धि हुई है. इस बीच जलवायु परिवर्तन ने फसलों की पैदावार को बाधित कर दिया है. इससे मौसमी खाद्य कीमतों में तेजी आई है. यही कारण है कि करीब 24 देश खाद्य पदार्थों के निर्यात पर अंकुश लगाने के लिए आगे बढ़े हैं.

Tags: Business news in hindi, Central government, Inflation

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