अब फ्रंट फुट पर खेलेंगे टेनी! : केंद्रीय गृह राज्यमंत्री के जिले लखीमपुर में सभी सीटें भाजपा ने जीतीं, बढ़ेगा कद


सार

बहुचर्चित ‘लखीमपुर खीरी कांड’ के बावजूद जिले की सभी आठों विधानसभा सीटें भाजपा ने फिर जीत ली हैं।
 

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केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ के लिए यह बड़ी राहत भरी खबर है कि उनके गृह जनपद लखीमपुर खीरी की सभी आठों विधानसभा सीटों पर भाजपा ने दोबारा कब्जा कर लिया है। राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि केंद्रीय गृह राज्यमंत्री के जिले की सभी सीटों पर भाजपा की जीत से उनका ना सिर्फ कद बढ़ेगा, बल्कि पद भी बढ़ेगा। जिन ब्राह्मण वोटरों को साधने के लिए उन्हें मंत्रिमंडल में जगह मिली थी अब वह अपने मिशन में खुलकर आगे बढ़ सकेंगे।

केंद्रीय राज्यमंत्री के लिए राहत की बात इसलिए कही जा रही है क्योंकि उनके गृह जिले लखीमपुर खीरी में किसानों के ऊपर गाड़ी चढ़ा कर मारने के आरोप में उनके बेटे आशीष मिश्रा को जेल की सलाखों के पीछे भेजा गया था। जो गाड़ी किसानों को पर चढ़ी थी व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री मिश्रा की थी। इस वजह से न सिर्फ जिले व प्रदेश बल्कि पूरे देश की राजनीति में भूचाल आ गया था। दबाव इस कदर का था कि मांग होने लगी थी कि मिश्रा को मंत्रिमंडल से हटाया जाए। 

राजनीतिक विश्लेषक जीडी शुक्ला कहते हैं कि किसान आंदोलन के दौरान हुई लखीमपुर खीरी की घटना इतनी प्रभावी थी कि राजनीति के लिहाज से पूरे प्रदेश में परिणाम बदलने की क्षमता रखती थी, लेकिन जिस तरीके से भाजपा ने इस पूरे मामले में न सिर्फ संगठन बल्कि अपने मंत्री को बचा कर रखा, उसी के परिणाम स्वरूप लखीमपुर खीरी की सभी आठों सीटें पार्टी के खाते में आई हैं। वह कहते हैं कि भाजपा ने इस मामले में कानून को अपना काम करने दिया और मंत्री समेत पार्टी को इस पूरे मसले से अलग रखा। 

राजनीतिक विशेषज्ञ कहते हैं कि जिस रणनीति के तहत भाजपा ने इतने बड़े मुद्दे को शांत रहकर बेअसर कर दिया वह एक राजनैतिक नजीर है। शुक्ला बताते हैं कि अनुमान तो यही लगाया जा रहा था कि लखीमपुर मुद्दे से उत्तर प्रदेश की राजनीति तो बदलेगी ही बल्कि पंजाब की भी राजनीतिक दशा और दिशा में बदलाव होगा, क्योंकि कांग्रेस ने इस मुद्दे को पहले दिन से ही बड़ा मुद्दा बना लिया था, लेकिन दूसरी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलने के कारण मामले का बहुत बड़े स्तर पर राजनीतिकरण नहीं हो सका। यह मामला जिले में भी बहुत प्रभावशाली नहीं रहा। यही वजह है कि जब चुनाव नतीजे आए तो भाजपा को सभी आठों सीटें मिल गईं।

 

लखीमपुर की जिन दो विधानसभा सीटों पर इस पूरे घटनाक्रम का सबसे ज्यादा असर पड़ा था वह दोनों सीटें भाजपा ने 40 हजार वोटों से ज्यादा के अंतराल से जीतीं। इसमें निघासन विधानसभा और पलिया विधानसभा शामिल है। दरअसल लखीमपुर कांड के बाद केंद्रीय राज्यमंत्री अजय मिश्रा का राजनैतिक फलक पर उतना विस्तार नहीं हो पाया जितना कि अंदाजा लगाया जा रहा था। उत्तर प्रदेश की राजनीति को करीब से समझने वाले जटाशंकर सिंह कहते हैं दरअसल पार्टी ने एक ब्राह्मण चेहरे के तौर पर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को आगे किया था लेकिन लखीमपुर में उनके मंत्री बनने के कुछ महीने बाद ही किसानों के ऊपर गाड़ी चढ़ाने और उनकी मौत की सबसे बड़ी घटना हो गई। इसमें टेनी के बेटे को नामजद अभियुक्त बनाया गया और उसको जेल जाना पड़ा। सिंह कहते हैं कि उत्तर प्रदेश में चुनावी माहौल था और कांग्रेस ने इस पूरे मामले को मुद्दे के तौर पर देश के अलग-अलग राज्यों में फैलाना शुरू कर दिया था। ऐसी दशा में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री की कुर्सी जाने की भी अटकलें लगती रहीं। कांग्रेस के नेताओं ने तो संसद में भी टेनी के इस्तीफे की मांग की थी। वह कहते हैं कि ऐसी राजनीतिक स्थिति में टेनी को बैकफुट पर आना पड़ा और हालात ऐसे बने कि वह उत्तर प्रदेश की चुनावी जनसभाओं में तक नहीं पहुंच सके। राजनीतिक हलकों में इस बात की चर्चा होती रहती थी कि इस घटना का असर उत्तर प्रदेश और जिले की राजनीति पर पड़ना तय है, लेकिन एक सधी पारी के चलते पूरे मामले में भाजपा ने न सिर्फ अजय मिश्र टेनी को बड़े बवंडर से महफूज रखा बल्कि बहुत बड़े मुद्दे के  राजनीतिकरण और उसके दुष्प्रभाव से भी बचाया। 

जीडी शुक्ला कहते हैं कि अब जब टेनी के गृह जनपद में सभी सीटें भाजपा ने जीत ली हैं तो उनका ना सिर्फ मनोबल बढ़ा है बल्कि पार्टी अब आने वाले वक्त में उनको बतौर ब्राह्मण चेहरा आगे इस्तेमाल भी कर सकती है। गृह जनपद में सभी सीटें जीतना उनके लिए एक सकारात्मक संदेश देता है। 
लखीमपुर की सभी विधानसभा सीटों के जीतने के पीछे यह कहा जा रहा है कि पूरे उत्तर प्रदेश में चुनाव योगी और मोदी के चेहरे पर ही लड़ा गया। इसलिए कोई भी दूसरे मुद्दे बहुत प्रभावी नहीं हुए। राजनीतिक जानकार ओपी मिश्र कहते हैं की जो नेता जनता के पैरामीटर पर खरे नहीं उतरे वह सब इस चुनाव में धराशाई हो गए। जनता ने योगी सरकार के बड़े-बड़े मंत्रियों को हरा दिया। वह कहते हैं कि चुनाव में सिर्फ और सिर्फ वही मुद्दे हावी रहे जो वास्तव में जनता से सीधे तौर पर जुड़े हुए थे। इसमें गरीबों को मिलने वाले राशन से लेकर उत्तर प्रदेश में महिला सुरक्षा और कानून व्यवस्था के साथ केंद्र की अन्य कल्याणकारी योजनाएं भी शामिल है। यही वजह है कि अजय मिश्र टेनी का मुद्दा बहुत प्रभावी नहीं हुआ।

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केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा ‘टेनी’ के लिए यह बड़ी राहत भरी खबर है कि उनके गृह जनपद लखीमपुर खीरी की सभी आठों विधानसभा सीटों पर भाजपा ने दोबारा कब्जा कर लिया है। राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि केंद्रीय गृह राज्यमंत्री के जिले की सभी सीटों पर भाजपा की जीत से उनका ना सिर्फ कद बढ़ेगा, बल्कि पद भी बढ़ेगा। जिन ब्राह्मण वोटरों को साधने के लिए उन्हें मंत्रिमंडल में जगह मिली थी अब वह अपने मिशन में खुलकर आगे बढ़ सकेंगे।

केंद्रीय राज्यमंत्री के लिए राहत की बात इसलिए कही जा रही है क्योंकि उनके गृह जिले लखीमपुर खीरी में किसानों के ऊपर गाड़ी चढ़ा कर मारने के आरोप में उनके बेटे आशीष मिश्रा को जेल की सलाखों के पीछे भेजा गया था। जो गाड़ी किसानों को पर चढ़ी थी व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री मिश्रा की थी। इस वजह से न सिर्फ जिले व प्रदेश बल्कि पूरे देश की राजनीति में भूचाल आ गया था। दबाव इस कदर का था कि मांग होने लगी थी कि मिश्रा को मंत्रिमंडल से हटाया जाए। 



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