NSE Scam : हिमालय वाले बाबा की सिफारिश पर हुई थी आनंद सुब्रमण्यम की नियुक्ति, अब Income Tax के लपेटे में


नई दिल्ली. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (National Stock Exchange-NSE) की पूर्व एमडी एवं सीईओ चित्रा रामकृष्ण (Ex. MD and CEO Chitra Ramkrishna) के साथ अब एक्सचेंज के पूर्व मुख्य परिचालन अधिकारी आनंद सुब्रमण्यम (Anand Subramanian) भी इनकम टैक्स विभाग के लपेटे में आ गए हैं. यह वही आनंद सुब्रमण्यम हैं, जिनकी एनएसई में नियुक्ति हिमालय वाले बाबा की सिफारिश पर हुई थी.

इनके साथ इनकम टैक्स डिपार्टमेंट (Income Tax Department) ने बाबा के कहने पर नियुक्ति करने और अन्य फैसले लेने वाली चित्रा रामकृष्ण के मुंबई और चेन्नई स्थित ठिकानों पर भी छापा मारा है. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने कहा कि इस कार्रवाई का मकसद दोनों के खिलाफ टैक्स चोरी और वित्तीय हेरफेर के आरोपों की जांच कर सुबूत जुटाना है. यह संदेह जताया गया था कि दोनों ने एक्सचेंज की गोपनीय जानकारी संभवत: तीसरे पक्षों के साथ साझा कर अवैध वित्तीय लाभ हासिल किए होंगे.

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अधिकारियों ने कब्जे में लिए कुछ डॉक्यूमेंट

अधिकारियों ने बताया कि रामकृष्ण के चेन्नई स्थित एक परिसर में भी छापा मारा गया. तलाशी करने वाली टीम ने उन सभी परिसरों से कुछ दस्तावेज अपने कब्जे में लिए हैं. रामकृष्ण उस वक्त सुर्खियों में रही थीं, जब बाजार नियामक सेबी (SEBI) ने हाल में एक आदेश जारी किया था. इसमें कहा गया था कि चित्रा रामकृष्ण ने एक योगी के प्रभाव में आकर आनंद सुब्रमण्यम को एक्सचेंज में समूह परिचालन अधिकारी एवं प्रबंध निदेशक का सलाहकार नियुक्त किया.

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सेबी ने लगाया था जुर्माना

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने रामकृष्ण और अन्य पर सुब्रमण्यम की मुख्य रणनीतिक सलाहकार के तौर पर नियुक्ति और फिर समूह परिचालन अधिकारी एवं प्रबंध निदेशक के सलाहकार के तौर पर उनकी पुन: नियुक्ति में नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया था. इसके बाद सेबी ने रामकृष्ण पर तीन करोड़ रुपये, एनएसई, उसके पूर्व प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी रवि नारायण और सुब्रमण्यम पर दो-दो करोड़ रुपये तथा मुख्य नियामक अधिकारी वीआर नरसिम्हन पर छह लाख रुपये का जुर्माना लगाया था.

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बाबा के साथ खुफिया जानकारी साझा करने का आरोप

सेबी ने अपने आदेश में कहा था कि रामकृष्ण ने योगी के साथ विभागीय खुफिया जानकारियां साझा की थीं. इनमें एनएसई की आर्थिक और कारोबारी योजनाएं शामिल हैं. रामकृष्ण अप्रैल 2013 से दिसंबर 2016 के बीच एनएसई की एमडी एवं सीईओ थीं. रामकृष्ण और सुब्रमण्यम को तीन साल की अवधि के लिए किसी भी बाजार ढांचागत संस्थान या सेबी के साथ पंजीकृत किसी भी मध्यस्थ के साथ जुड़ने से निषिद्ध कर दिया गया हैं. नारायण के लिए यह पाबंदी दो साल है.

कांग्रेस का श्वेत पत्र लाने की मांग

सेबी ने एनएसई को रामकृष्ण के अतिरिक्त अवकाश के बदले भुगतान किए गए 1.54 करोड़ रुपये और 2.83 करोड़ रुपये के बोनस (डेफर्ड बोनस) को जब्त करने का भी निर्देश दिया था. इसके साथ ही नियामक ने एनएसई को कोई भी नया उत्पाद पेश करने से छह महीने के लिए रोक दिया है. इस खुलासे के बाद कांग्रेस ने सरकार से एनएसई के कामकाज के तरीके पर श्वेत पत्र लाने की मांग की थी.

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