Opportunity in Recession: शेयर बाजार की मंदी दुनिया की आफत, टेक दिग्गजों के लिए अवसर, माइक्रोसॉफ्ट-एपल ने बढ़ाया कर्मियों का बोनस


सार

टेक दिग्गजों ने मंदी में भी खुद को ताकतवर बनाने का अवसर ढूंढ लिया है। माइक्रोसॉफ्ट ने कर्मचारियों का बोनस पूल दोगुना कर दिया तो गूगल ज्यादा इंजीनियरों की भर्तियां कर रही है। अमेजन अपने डाटा सेंटरों पर ज्यादा पैसा खर्च करने के साथ-साथ हाईस्पीड इंटरनेट के लिए अंतरिक्ष में 38 रॉकेट भेजेगी। वहीं, एपल ने हार्डवेयर विभाग में शीर्ष प्रतिभाओं को दो लाख डॉलर (15.55 करोड़ रुपये) बोनस का एलान किया है और फेसबुक की नजर अगली खरीद पर है।

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दुनियाभर के शेयर बाजारों में गिरावट ने भले बड़ी-बड़ी कंपनियों की रफ्तार पर ब्रेक लगा दिए हों, पर 2.7 खरब डॉलर गंवाने वाली एपल, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और मेटा जैसे टेक दिग्गजों ने मंदी में भी खुद को ताकतवर बनाने का अवसर ढूंढ लिया है।

बीते दिनों माइक्रोसॉफ्ट ने कर्मचारियों का बोनस पूल दोगुना कर दिया तो गूगल ज्यादा इंजीनियरों की भर्तियां कर रही है। अमेजन अपने डाटा सेंटरों पर ज्यादा पैसा खर्च करने के साथ-साथ हाईस्पीड इंटरनेट के लिए अंतरिक्ष में 38 रॉकेट भेजेगी। उसने अपने कॉरपोरेट स्टाफ के बुनियादी वेतन को 1.24 करोड़ से बढ़ाकर 2.72 करोड़ रुपये करने की प्रतिबद्धता भी जताई है। वहीं, एपल ने हार्डवेयर विभाग में शीर्ष प्रतिभाओं को दो लाख डॉलर (15.55 करोड़ रुपये) बोनस का एलान किया है और फेसबुक की नजर अगली खरीद पर है।

टेक विशेषज्ञों के मुताबिक, इन दिग्गजों की योजना शेष टेक क्षेत्र में चल रही कटौती के एकदम उलट है। असल में खराब बाजार के दौर में ये कंपनियां अपने अथाह पैसे का इस्तेमाल कर विस्तार में जुटी हैं, ताकि जब दुनिया मंदी से उबरे तो ये अपने-अपने क्षेत्र में बढ़त को ज्यादा मजबूत कर सकें। मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में स्कूल ऑफ मैनेजमेंट के उपाध्यक्ष माइकल कुसुमानो कहते हैं, हम ऐसे दौर में हैं, जब बड़ी कंपनी ज्यादा बड़ी और कमजोर ज्यादा कमजोर होती चली जाएगी।

अपने क्षेत्र में कड़े नियंत्रण का उठा रहीं लाभ
वॉल स्ट्रीट में ब्रिटेन के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) जितना पैसा गंवाकर भी निवेश जारी रखने का कदम बताता है कि सोशल मीडिया, महंगे स्मार्टफोन, ई-कॉमर्स, क्लाउड कंप्यूटिंग और सर्च इंजन बाजार में इनका कड़ा नियंत्रण है। जानकारों का कहना है, माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, एपल और अमेजन को फिलहाल बीते कुछ वर्षों में हासिल हुई कमाई भले गंवानी पड़ रही हो, लेकिन इसके बावजूद आगामी महीनों में यह न सिर्फ भर्तियों में तेजी लाएंगी, बल्कि कई अन्य कंपनियां भी खरीदेंगी।

निशाने पर छोटी कंपनियां
रिसर्च फर्म बर्नस्टीन के टेक विश्लेषक टोनी सैकोनाघी का कहना है, गिरते बाजार में कई कंपनियों का घटता मूल्य दिग्गजों के लिए अवसर पैदा कर रहा है। हालांकि, संघीय व्यापार आयोग (एफटीसी) की सख्ती के चलते बड़े सौदे मुश्किल हो सकते हैं, पर उभरती तकनीक वाली छोटी फर्में फेसबुक, एपल, अमेजन, माइक्रोसॉफ्ट और गूगल के निशाने पर जरूर रहेंगी।

दिग्गजों के पास 30 अरब डॉलर नकदी
निवेश संस्थान लूप वेंचर की मानें तो मार्च अंत तक फेसबुक, माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, एपल और अमेजन के पास कुल तीस अरब डॉलर नकदी थी। इससे ये कंपनियां भविष्य के निवेश के साथ-साथ अपने गिरते शेयरों की पुनर्खरीद भी कर सकती हैं।

2008 की मंदी में खरीदी थीं 100 कंपनियां
वित्तीय डाटा कंपनी रेफिनिटिव के मुताबिक, वर्ष 2008 से 2010 के दौरान बड़ी मंदी में टेक दिग्गजों ने 100 से ज्यादा कंपनियां खरीद डाली थीं। इनमें से कई तो इनके बुनियादी कारोबार का आधार बन गए। इनमें एपल का चिप कंपनी पीए सेमी और गूगल द्वारा एडमॉब का अधिग्रहण शामिल है।
 

फेसबुक थोड़ी कमजोर बाकी कूट रहीं मुनाफा
बड़ी टेक कंपनियों में फेसबुक का ही प्रदर्शन थोड़ा खराब रहा है। इसकी वजह टिकटॉक के साथ प्रतिस्पर्धा और एपल की निजता नीति मानी जा रही हैं। अन्य दिग्गजों को देखें तो अमेजन का आकर्षक क्लाउड कारोबार–अमेजन वेब सर्विसेज (एडब्ल्यूएस) जमकर मुनाफा कमा रहा है।

विस्तार

दुनियाभर के शेयर बाजारों में गिरावट ने भले बड़ी-बड़ी कंपनियों की रफ्तार पर ब्रेक लगा दिए हों, पर 2.7 खरब डॉलर गंवाने वाली एपल, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और मेटा जैसे टेक दिग्गजों ने मंदी में भी खुद को ताकतवर बनाने का अवसर ढूंढ लिया है।

बीते दिनों माइक्रोसॉफ्ट ने कर्मचारियों का बोनस पूल दोगुना कर दिया तो गूगल ज्यादा इंजीनियरों की भर्तियां कर रही है। अमेजन अपने डाटा सेंटरों पर ज्यादा पैसा खर्च करने के साथ-साथ हाईस्पीड इंटरनेट के लिए अंतरिक्ष में 38 रॉकेट भेजेगी। उसने अपने कॉरपोरेट स्टाफ के बुनियादी वेतन को 1.24 करोड़ से बढ़ाकर 2.72 करोड़ रुपये करने की प्रतिबद्धता भी जताई है। वहीं, एपल ने हार्डवेयर विभाग में शीर्ष प्रतिभाओं को दो लाख डॉलर (15.55 करोड़ रुपये) बोनस का एलान किया है और फेसबुक की नजर अगली खरीद पर है।

टेक विशेषज्ञों के मुताबिक, इन दिग्गजों की योजना शेष टेक क्षेत्र में चल रही कटौती के एकदम उलट है। असल में खराब बाजार के दौर में ये कंपनियां अपने अथाह पैसे का इस्तेमाल कर विस्तार में जुटी हैं, ताकि जब दुनिया मंदी से उबरे तो ये अपने-अपने क्षेत्र में बढ़त को ज्यादा मजबूत कर सकें। मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में स्कूल ऑफ मैनेजमेंट के उपाध्यक्ष माइकल कुसुमानो कहते हैं, हम ऐसे दौर में हैं, जब बड़ी कंपनी ज्यादा बड़ी और कमजोर ज्यादा कमजोर होती चली जाएगी।

अपने क्षेत्र में कड़े नियंत्रण का उठा रहीं लाभ

वॉल स्ट्रीट में ब्रिटेन के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) जितना पैसा गंवाकर भी निवेश जारी रखने का कदम बताता है कि सोशल मीडिया, महंगे स्मार्टफोन, ई-कॉमर्स, क्लाउड कंप्यूटिंग और सर्च इंजन बाजार में इनका कड़ा नियंत्रण है। जानकारों का कहना है, माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, एपल और अमेजन को फिलहाल बीते कुछ वर्षों में हासिल हुई कमाई भले गंवानी पड़ रही हो, लेकिन इसके बावजूद आगामी महीनों में यह न सिर्फ भर्तियों में तेजी लाएंगी, बल्कि कई अन्य कंपनियां भी खरीदेंगी।

निशाने पर छोटी कंपनियां

रिसर्च फर्म बर्नस्टीन के टेक विश्लेषक टोनी सैकोनाघी का कहना है, गिरते बाजार में कई कंपनियों का घटता मूल्य दिग्गजों के लिए अवसर पैदा कर रहा है। हालांकि, संघीय व्यापार आयोग (एफटीसी) की सख्ती के चलते बड़े सौदे मुश्किल हो सकते हैं, पर उभरती तकनीक वाली छोटी फर्में फेसबुक, एपल, अमेजन, माइक्रोसॉफ्ट और गूगल के निशाने पर जरूर रहेंगी।


दिग्गजों के पास 30 अरब डॉलर नकदी

निवेश संस्थान लूप वेंचर की मानें तो मार्च अंत तक फेसबुक, माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, एपल और अमेजन के पास कुल तीस अरब डॉलर नकदी थी। इससे ये कंपनियां भविष्य के निवेश के साथ-साथ अपने गिरते शेयरों की पुनर्खरीद भी कर सकती हैं।


2008 की मंदी में खरीदी थीं 100 कंपनियां

वित्तीय डाटा कंपनी रेफिनिटिव के मुताबिक, वर्ष 2008 से 2010 के दौरान बड़ी मंदी में टेक दिग्गजों ने 100 से ज्यादा कंपनियां खरीद डाली थीं। इनमें से कई तो इनके बुनियादी कारोबार का आधार बन गए। इनमें एपल का चिप कंपनी पीए सेमी और गूगल द्वारा एडमॉब का अधिग्रहण शामिल है।

 

फेसबुक थोड़ी कमजोर बाकी कूट रहीं मुनाफा

बड़ी टेक कंपनियों में फेसबुक का ही प्रदर्शन थोड़ा खराब रहा है। इसकी वजह टिकटॉक के साथ प्रतिस्पर्धा और एपल की निजता नीति मानी जा रही हैं। अन्य दिग्गजों को देखें तो अमेजन का आकर्षक क्लाउड कारोबार–अमेजन वेब सर्विसेज (एडब्ल्यूएस) जमकर मुनाफा कमा रहा है।



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