Personal Finance Tips: टर्म इंश्योरेंस से बढ़ जाएगी Home Loan की सुरक्षा, जानिए किस तरह मिलेगा फायदा


नई दिल्ली. होम लोन (Home Loan) देते समय अधिकतर बैंक अपने पैसों की सुरक्षा के लिए बीमा खरीदने का दबाव बनाते हैं. यह न सिर्फ ज्यादा खर्चीला होता है बल्कि इस पर टैक्स छूट का लाभ भी नहीं मिलता है. इसके बजाय टर्म इंश्योरेंस (Term Insurance) खरीदना कहीं ज्यादा फायदेमंद रहेगा. मोतीलाल ओसवाल होम फाइनेंस लिमिटेड के एमडी-सीईओ अरविंद हाली का कहना है कि बैंकों को सबसे ज्यादा चिंता अपनी होम लोन राशि की रहती है.

उनका कहना है कि लाखों रुपये का कर्ज देते समय उसके पुनर्भुगतान को सुरक्षित बनाने के लिए बैंक होम लोन प्रोटक्शन प्लान (HLPP) पेश करते हैं. इस बीमा का कवर आपके होम लोन राशि के बराबर होता है. जैसे-जैसे आप लोन की ईएमआई (EMI) चुकाते हैं, बीमा कवर भी उसी अनुपात में कम होता जाता है.

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समझें HLPP का गणित

मान लीजिए, आपने 20 साल के लिए 40 लाख का होम लोन लिया है और 5 साल यह ईएमआई चुकाने के बाद शेष देनदारी 30 लाख बचती है. इस समय बीमा धारक के साथ दुर्घटना की स्थिति में कंपनी सिर्फ बचे होम लोन का भुगतान करेगी. यानी आपके 40 लाख रुपये के एचएलपीपी की कवरेज राशि अब घटकर 30 लाख रह जाएगी.

टर्म इंश्योरेंस : सस्ता और कवरेज ज्यादा

वैसे तो टर्म इंश्योरेंस का होम लोन के साथ कोई सीधा संबंध नहीं है. कोई व्यक्ति बिना होम लोन के भी टर्म इंश्योरेंस खरीद सकता है. लेकिन इसके रहने पर बैंक आपको एचएलपीपी के लिए दबाव नहीं डालेंगे. टर्म बीमा में कम प्रीमियम देकर ज्यादा कवरेज प्राप्त किया जाता है क्योंकि यह होम लोन से सीधे तौर पर जुड़ा नहीं होता. लिहाजा, ईएमआई भुगतान के साथ इसकी कवरेज राशि पर भी कोई असर नहीं पड़ता है. मसलन, अगर आपने 40 लाख का टर्म इंश्योरेंस लिया है तो बीमा अवधि के दौरान कभी भी अनहोनी की स्थिति में पूरी बीमित राशि का भुगतान होगा. इसमें से होम लोन की बची राशि का भुगतान कर परिजन शेष राशि खुद इस्तेमाल कर सकते हैं.

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टैक्स बचाने में कारगर

HLPP को आपके होम लोन में जोड़ दिया जाता है जिससे इस पर मिलने वाली टैक्स छूट लोन के साथ ही जुड़ी रहती है. होम लोन पर इनकम टैक्स कानून की धारा 80सी में 1.5 लाख और 24बी में दो लाख का टैक्स छूट मिलती है. टर्म इंश्योरेंस के प्रीमियम पर अलग से टैक्स छूट ली जा सकती.

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कर्ज का पुनर्गठन कराने पर भी बना रहेगा लाभ

महामारी में लाखों लोगों ने कर्ज पुनर्गठन कराया है. एचएलपीपी में कर्ज पुनर्गठन के बाद अवधि 20 साल से बढ़कर 25 साल हुई तो भी आपको कवर 20 साल तक ही मिलेगा. इसी तरह, अवधि घटाने पर लोन की राशि भले कम हो जाए लेकिन एचएलपीपी में पहले से तय बीमा राशि में कोई बदलाव नहीं आएगा और आपको पूरी राशि पर प्रीमियम देना होगा.

6 ईएमआई का आपात फंड बनाएं

बैंकिंग मामलों के जानकार अश्विनी राणा का कहना है कि होम लोन को पूरी तरह सुरक्षित बनाने के लिए न सिर्फ बीमा की सुरक्षा देना जरूरी है बल्कि आपात स्थिति के लिए ईएमआई का फंड बनाना भी बेहतर होगा. आपके पास 6 ईएमआई के बराबर राशि होनी चाहिए. इससे भुगतान पर संकट नहीं आएगा और सिबिल स्कोर और भी बना रहेगा.

Tags: Home loan EMI, Insurance

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