मुंडका अग्निकांड में एक शव की शिनाख्त करने में लापरवाही सामने आई है। पुलिस की चूक व चूड़ी से धोखा खाकर एक शख्स ने दूसरे की पत्नी का अंतिम संस्कार कर डाला। इसका पता उस वक्त चला, जब पुलिस ने डीएनए रिपोर्ट के आधार पर उसकी पत्नी की पहचान करवाई। इससे दोनों के परिजन सदमे में हैं। उधर, इस मामले में पुलिस ने भी अपनी चूक मानी है।
दरअसल, 13 मई के मुंडका अग्निकांड की चपेट में आने जान गवाने वाले शवों क्षत-विक्षत हो गए थे। इनकी शिनाख्त कर पाना आसान नहीं था। अग्निकांड के बाद पीड़ित परिजनों में अफरातफरी मची थी। सब अपनों को खोजने में लगे थे। इसी में से एक पीड़ित संतोष कुमार भी थे। उनकी पत्नी रंजू देवी आग की चपेट में आ गई थीं। 14 मई को वह संजय गांधी अस्पताल की मोर्चरी में पहुंचे, जहां उन्होंने चूड़ी के सहारे एक शव की अपनी पत्नी के रूप में पहचान की। पुलिस ने भी बगैर ज्यादा तफ्तीश के शव संतोष को सौंप दिया। इसके बाद उन्होंने शव का अंतिम संस्कार कर दिया। 14 मई को सात अन्य शवों की पहचान भी उनके परिजनों ने कर ली थी। जबकि बचे 19 शवों की पहचान नहीं हो सकी थी।
इस बीच पुलिस ने सभी 27 शवों की डीएनए जांच भी करवाई। इसकी रिपोर्ट अलग-अलग दिनों में मिली। जिन आठ शवों की शिनाख्त उनके परिजनों ने की थी, सात जून को मिली पहली डीएनए रिपोर्ट उन्हीं की थी। इनमें से सात शवों का डीएनए मिलान सही था, जबकि रंजू देवी का सेंपल बेटे के डीएनए से मैच नहीं कर रहा था। पुलिस ने फिर से बेटे का सेंपल लेकर जांच के लिए भेजा। बृहस्पतिवार को डीएनए टेस्ट की अंतिम रिपोर्ट मिली। इसमें मृतका रंजू देवी के परिजन के तौर पर संतोष कुमार की पहचान की गई। जबकि जिस शव का उन्होंने 14 मई को अंतिम संस्कार किया था, वह पड़ोसी मनोज कुमार की पत्नी स्वीटी का था। इससे दोनों परिवारों को गहरा सदमा लगा है।
मूलत: बिहार के रहने वाले संतोष ने बताया कि उन्होंने चूड़ी, सूट व हाथों में लगी नेल पेंट के आधार पर शव की पहचान लिया था। इसके बाद 14 मई को उन्हें शव सौंप दिया गया था और उन्होंने अंतिम संस्कार कर दिया था। अब बुधवार को डीएनए प्रोफाइल की रिपोर्ट आने पर पता चला है कि वह शव पड़ोस में रहने वाले मनोज की पत्नी स्वीटी का था। अब रंजू देवी का अंतिम संस्कार किया गया है। संतोष का कहना है कि वह मजदूरी कर परिवार का पालन पोषण कर रहे हैं। पहली बार भी शव के अंतिम संस्कार के लिए लोगों से पैसे उधार लिए थे। अब दूसरी बार भी हमें अंतिम संस्कार के लिए दूसरे लोगों की मदद लेनी पड़ी। उन्होंने स्वीटी के पति मनोज पर उनके साथ संजय गांधी अस्पताल में मारपीट का आरोप लगाया है।
वहीं, स्वीटी के पति मनोज कुमार ने आरोप लगाते हुए कहा कि संतोष ने मुआवजा के लालच में गलत शव की पहचान की है। उन्होंने कहा कि स्वीटी हरे रंग का सूट पहनकर 13 मई को काम पर गई थी। मनोज का आरोप है कि संतोष से कई स्थानीय लोगों ने उनकी पत्नी का शव नहीं होने की बात कही थी, लेकिन वह नहीं माने। उन्होंने कहा कि पुलिस ने बताया कि शव रंजू देवी का समझकर 14 मई को ही संतोष कुमार को दे दिया गया था। वहीं, हादसे के बाद गीता देवी भी लापता हैं। गीता देवी के माता- पिता का निधन हो चुका है। गीता के बच्चे भी नहीं हैं। इसलिए पहचान का कोई और विकल्प नहीं है।