प्रयागराज के खागलपुर में हुई वारदात में पत्नी व तीन मासूमों का कत्ल करने वाले राहुल के सिर पर खून सवार था। उसने सभी को सोते वक्त मौत के घाट उतारा। बच्चों को जहां गला रेतकर मारा, वहीं पत्नी का गला रेतने के साथ ही उसके चेहरे पर भी वार किया था। हैवानियत का यह मंजर देख ग्रामीणों ही नहीं बल्कि पुलिसकर्मी भी स्तब्ध थे। नवाबगंज का खागलपुर गांव प्रयागराज-लखनऊ हाईवे से लगभग 500 मीटर की दूरी पर स्थित है। गांव तक जाने के लिए संपर्क मार्ग बनाया गया है। यहीं पर बीएसएफ में तैनात सहायक कमांडेंट सुरेश शुक्ला ने मकान बनवाया है और इसी मकान में राहुल तिवारी अपने परिवार के साथ रहता था। मकान में कुल तीन कमरे हैं, जिनमें से दो में राहुल व उसका परिवार रहा करता था जबकि एक में संदीप पाल रहता है। मकान के पीछे ही संपर्क मार्ग से सटा हुआ दद्दू का मकान है जिसके परिवार का राहुल के परिवार से रोजाना मिलना जुलना था।
दोनों परिवार के बच्चे एक साथ खेलते थे। दद्दू ने बताया कि आमतौर पर तड़के ही राहुल व उसका परिवार उठ जाया करता था। लेकिन शनिवार को काफी देर तक घर का कोई भी सदस्य बाहर नहीं निकला। 7.30 बजे के करीब उसकी मझली बेटी सुमन राहुल की बेटी पीहू को बुलाने पहुंची तो मुख्य द्वार पर लगा चैनल खुला हुआ था।
कई बार आवाज लगाने पर भी कोई जवाब नहीं मिला तो वह भीतर जाने लगी। उसने कुछ ही कदम बढ़ए थे कि आंगन में राहुल को फंदे पर लटका देख वह चीखते हुए बाहर की ओर भागी। बेटी की चीखने की आवाज सुनकर वह और परिवार के अन्य लोग पहुंचे तो सबसे पहले राहुल फांसी पर लटका दिखाई दिया।
शोरगुल मचने पर आसपास के अन्य लोग आए और भीतर गए तो कमरे का दृश्य देखकर उनके होश उड़ गए। प्रीति और उसकी तीनों बेटियां बिस्तर पर खून से लथपथ मृत पड़ी थीं। तीनों बच्चों के शव चौकी पर जबकि प्रीति का शव चारपाई पर पड़ा था।
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, बच्चों के गले पर गहरा जख्म था जबकि महिला के गले के साथ ही चेहरे पर भी चोट के निशान थे। मौके पर काफी खून भी बिखरा था। हालत यह थी कि खून के छींटे दीवारों पर भी पड़े थे। घटनास्थल व शवों की हालत देख ग्रामीण ही नहीं बल्कि पुलिसकर्मी भी स्तब्ध थे।