विदाई भाषण में बोले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद- राष्ट्रहित में दलगत राजनीति से ऊपर उठकर सोचें सियासी दल


हाइलाइट्स

‘सियासी मतभेदों को हल करने के लिए शांति, सद्भाव और संवाद की जरूरत’
विरोध के लिए गांधावादी तरीके अपनाएं देश के नागरिक- राष्ट्रपति
‘राष्ट्र हित में निरंतर काम करना सांसदों की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए’

नई दिल्ली. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को नागरिकों से विरोध व्यक्त करने और अपनी मांगों को आगे बढ़ाने के लिए गांधीवादी तरीकों को अपनाने की अपील की. उन्होंने राजनीतिक दलों से राष्ट्रीय हित में दलगत राजनीति से ऊपर उठकर लोगों के कल्याण के लिए जरूरी चीजों पर गंभीरता पूर्वक विचार करने का आह्वान किया.

संसद के सेंट्रल हॉल में अपने विदाई भाषण में सांसदों को संबोधित करते हुए कोविंद ने भारतीय संसदीय प्रणाली की तुलना एक बड़े परिवार से की और सभी ‘‘पारिवारिक मतभेदों’’ को हल करने के लिए शांति, सद्भाव और संवाद की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि अपना विरोध व्यक्त करने और अपनी मांगों के समर्थन में दबाव बनाने का नागरिकों को संवैधानिक अधिकार है, लेकिन उन्हें (नागरिकों को) गांधीवादी तरीकों को अपनाकर अपने अधिकारों का शांतिपूर्वक उपयोग करना चाहिए.

कोविंद ने राजनीतिक दलों को अपने संदेश में कहा, ‘‘जैसा कि किसी भी परिवार में होता है, संसद में कभी-कभी मतभेद होते हैं और विभिन्न राजनीतिक दलों के अलग-अलग विचार हो सकते हैं. लेकिन हम सभी इस संसदीय परिवार के सदस्य हैं जिनकी सर्वोच्च प्राथमिकता निंरतर राष्ट्र हित में काम करने की होनी चाहिए.’’ उनकी टिप्पणी ऐेसे समय में काफी मायने रखती है, जब कई मुद्दों पर विपक्ष के विरोध के कारण संसद की कार्यवाही अक्सर बाधित हो रही है. देश के अलग-अलग हिस्सों में भी हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए हैं.

‘राजनीतिक दलों के पास विरोध के कई संवैधानिक तरीके’

निवर्तमान राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि राजनीतिक दलों और लोगों के पास अपना विरोध व्यक्त करने के लिए कई संवैधानिक तरीके हैं. उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने दूसरे पक्ष का सम्मान करते हुए अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए शांति और अहिंसा का उपयोग किया था. कोविंद ने कहा कि राजनीतिक दलों की अपनी प्रणाली और राजनीतिक प्रक्रिया है. उन्होंने कहा, ‘‘राजनीतिक दलों को दलगत राजनीति से ऊपर उठना चाहिए और इस बात पर विचार करना चाहिए कि नागरिकों के विकास और कल्याण के लिए क्या आवश्यक है.’’

कोविंद के विदाई समारोह में उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला तथा कई सांसद शामिल हुए. कोविंद ने कहा कि ‘स्वच्छ भारत’ के ‘‘परिवर्तनकारी’’ परिणाम हुए हैं. उन्होंने इसे सरकार और नागरिकों की ओर से महात्मा गांधी को सच्ची श्रद्धांजलि बताया. उन्होंने कहा कि वह हमेशा खुद को बड़े परिवार का हिस्सा मानते हैं, जिसमें संसद के सदस्य भी शामिल हैं.

बृहस्पतिवार को देश की राष्ट्रपति निर्वाचित हुईं द्रौपदी मुर्मू सोमवार को 15वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगी. वह देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद पर आसीन होने वाली पहली आदिवासी होंगी. कोविंद ने मुर्मू को शुभकामनाएं दीं और कहा कि उनके मार्गदर्शन से देश को फायदा होगा. उन्होंने 18 महीनों में कोविड टीके की 200 करोड़ से अधिक खुराक दिये जाने और 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन वितरित करने के सरकार के प्रयासों की सराहना की. उन्होंने कहा, ‘‘राष्ट्रपति के रूप में सेवा करने का अवसर देने के लिए मैं देश के नागरिकों का सदा आभारी रहूंगा.’’

Tags: President of India, President Ramnath Kovind



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