फ्रांस में राष्ट्रपति चुनाव: इन दो नामों की चर्चा, दोनों मुसलमानों के खिलाफ कई बयान दे चुके, जानिए भारत से कैसे हैं रिश्ते?


सार

फ्रांस में राष्ट्रपति चुनाव के लिए आज पहले दौर की वोटिंग हुई। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को इस बार दक्षिणपंथी उम्मीदवार मरीन ली पेन ने चुनौती दी है। दोनों के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है। इसी हफ्ते हुए सर्वे के मुताबिक मैक्रों और ली पेन के बीच सिर्फ एक फीसदी का अंतर है।

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फ्रांस में राष्ट्रपति का चुनाव हो रहा है। 4.87 करोड़ लोग वोट करेंगे। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों समेत 12 लोग चुनावी मैदान में हैं। इनमें तीन महिलाएं हैं। मैक्रों और ली पेन के लेस रिपब्लिकन की वलेरी पेक्रेस भी दौड़ में हैं। इनके अलावा जीन-ल्यूक मेलेनचॉन, एरिक जेमोर, नटाली एर्टहॉद, निकोलस डूपोंट-एगनन, एन हिडैल्गो, यानिक जैडोट, जीन लैसले, फिलिप पोटू, फैबियन रसेल और एरिक जेमौर जोल सागेत, एरिक फफेरबर्ग शामिल हैं।

पहले जान लीजिए वोटिंग की प्रक्रिया
आज पहले चरण की वोटिंग है। अगर इसमें 50% या इससे अधिक वोट किसी प्रत्याशी को नहीं मिलता तो फिर रन-ऑफ से राष्ट्रपति का चुनाव होगा। खैर, ये भी तय है कि किसी एक प्रत्याशी को 50% से ज्यादा वोट नहीं मिलने वाला है। इसलिए फैसला दूसरे दौर के मतदान में ही होगा। इस चरण में 24 अप्रैल को पहले चरण में सबसे ऊपर रहने वाले दो उम्मीदवारों के लिए ही वोट पड़ेंगे। 
अलग-अलग अपेनियियन पोल के मुताबिक, राष्ट्रपति पद की दौड़ में मौजूदा राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों 26% के साथ सबसे आगे हैं। दूसरे नंबर पर मरीन ली पेन हैं। मरीन को 25% लोग पसंद करते हैं। इसके बाद जीन-ल्यूक मेलेनचॉन को 17%, वलेरी पेक्रेस को 8% और एरिक जेमोर को भी 8% लोग पसंद करते हैं। 

मतलब राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के फिर से चुने जाने का रास्ता लगभग तय है, लेकिन मरीन ली पेन भी कहीं से कम नहीं हैं। वह मजबूत दावेदार हैं। 

 
1. इमैनुएल मैक्रों : अभी फ्रांस के राष्ट्रपति हैं। ओपिनियन पोल में भी आगे चल रहे हैं। मैक्रों कट्टर इस्लामिक गतिविधियों के खिलाफ खुलकर बोलते रहे हैं। पिछले ही साल मैक्रों ने ‘द फोरम ऑफ इस्लाम’ बनाने का एलान किया था। इसमें इस्लाम को नए सिरे से आकार देने की बात कही गई थी। मैक्रों ने इस चार्टर में कई चीजें शामिल की। 

  • यह कि फ़्रांस में इस्लाम केवल एक धर्म है, कोई राजनीतिक आंदोलन नहीं और इसलिए इसमें से सियासत को हटा दिया जाए। 
  • फ़्रांस के मुस्लिम समुदाय में किसी भी तरह के ‘विदेशी हस्तक्षेप’ पर प्रतिबंधित लगाना पड़ेगा। 
  • धार्मिक आधार पर सार्वजनिक अधिकारियों को डराने-धमकाने वालों को कठोर दंड दिया जाएगा। बच्चों को घर में पढ़ाए जाने पर रोक लगाई जाएगी।
  • हर बच्चे को उसकी शिनाख़्त के लिए एक शिनाख्ती नंबर दिया जाएगा ताकि इस बात पर नज़र रखी जा सके कि वो स्कूल जा रहा है या नहीं। क़ानून तोड़ने वाले माता-पिता को छह महीने की जेल के साथ-साथ बड़े जुर्माने का भी सामना करना पड़ सकता है।
  • एक व्यक्ति की व्यक्तिगत जानकारी को इस तरह से साझा करने पर प्रतिबंध लगाया जाएगा जिसके कारण उन्हें उन लोगों से नुक़सान हो सकता है जो उन्हें नुक़सान पहुंचाना चाहते हैं।

2. मरीन ली पेन: मरीन को मुसलमान विरोधी माना जाता है। इस चुनाव में उन्होंने यहां तक कह दिया है कि अगर वह राष्ट्रपति बनती हैं तो देश में सार्वजनिक स्थानों पर हिजाब पहनने वाली महिलाओं पर जुर्माना लगाया जाएगा। ली पेन ने कहा, ‘जिस तरह गाड़ियों में सीटबेल्ट पहनने को अनिवार्य बनाया गया है, उसी तरह ये फैसला भी लागू किया जाएगा कि मुसलमान सार्वजनिक स्थानों पर हिजाब न पहनें।’ 

मरीन ली ‘इस्लामिक कट्टरता’ पर नरम रुख के लिए मैक्रों की आलोचना करती रही हैं। शार्ली हेब्दो मामले में फ्रांस का समर्थन करने के बाद मरीन पेन ने भारत और यहां के लोगों की खुलकर तारीफ की थी। शार्ली हैब्दो पर हमले के बाद ली पेन ने फ्रांस में पाकिस्तानियों की एंट्री बैन करने की भी मांग की थी।

नेशनल रैली नेता मरीन फ्रांस की वकील और लीडर हैं, जो 2011 से नेशनल रैली की प्रमुख हैं। वे साल 2017 से नेशनल एसेंबली की मेंबर हैं। मरीन को टाइम मैग्जीन ने 2011 और 2015 में दुनिया की 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की लिस्ट में शामिल किया था।
भारत से दोनों के कैसे रिश्ते हैं?
विदेश मामलों के जानकार प्रो. विवेक प्रियदर्शी कहते हैं, ‘इमैनुएल मैक्रों और मरीन ली पेन दोनों ही भारत के अच्छे समर्थक हैं। इस्लामिक कट्टरता को दूर करने के लिए भारत की ओर से उठाए जाने वाले कदम को भी दोनों का समर्थन मिलता रहा है।’
प्रो. प्रियदर्शी के मुताबिक, दोनों ही भारत के अच्छे प्रशंसक हैं। सामरिक मुद्दों पर भी साथ देते रहे हैं। यही कारण है कि भारत और फ्रांस के बीच आर्थिक, रक्षा समेत कई मामलों में समझौते हुए हैं। 

फ्रांस में मुसलमानों की आबादी 10 फीसदी
फ्रांस की कुल आबादी में 10 प्रतिशत मुसलमान हैं। ये यूरोप में मुस्लिम समुदाय की सबसे बड़ी आबादी है। फ्रांस के अधिकतर मुस्लिम इसकी पूर्व कॉलोनी मोरक्को, ट्यूनीशिया और अल्ज़ीरिया से आकर बसे हैं। इस समुदाय की दूसरी और तीसरी पीढ़ियां फ्रांस में ही पैदा हुई हैं। 
 

विस्तार

फ्रांस में राष्ट्रपति का चुनाव हो रहा है। 4.87 करोड़ लोग वोट करेंगे। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों समेत 12 लोग चुनावी मैदान में हैं। इनमें तीन महिलाएं हैं। मैक्रों और ली पेन के लेस रिपब्लिकन की वलेरी पेक्रेस भी दौड़ में हैं। इनके अलावा जीन-ल्यूक मेलेनचॉन, एरिक जेमोर, नटाली एर्टहॉद, निकोलस डूपोंट-एगनन, एन हिडैल्गो, यानिक जैडोट, जीन लैसले, फिलिप पोटू, फैबियन रसेल और एरिक जेमौर जोल सागेत, एरिक फफेरबर्ग शामिल हैं।

पहले जान लीजिए वोटिंग की प्रक्रिया

आज पहले चरण की वोटिंग है। अगर इसमें 50% या इससे अधिक वोट किसी प्रत्याशी को नहीं मिलता तो फिर रन-ऑफ से राष्ट्रपति का चुनाव होगा। खैर, ये भी तय है कि किसी एक प्रत्याशी को 50% से ज्यादा वोट नहीं मिलने वाला है। इसलिए फैसला दूसरे दौर के मतदान में ही होगा। इस चरण में 24 अप्रैल को पहले चरण में सबसे ऊपर रहने वाले दो उम्मीदवारों के लिए ही वोट पड़ेंगे। 



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