मां की गोली मारकर हत्या करने वाले नाबालिग के खिलाफ दादी की तहरीर पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर उसे राजकीय संप्रेक्षण गृह भेज दिया। हर तीन माह पर होने वाले रूटीन निरीक्षण के तहत डीपीओ विकास सिंह, सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष रवीन्द्र जादौन व अन्य की टीम यहां पहुंची थी। डीपीओ विकास सिंह के मुताबिक, हम लोग हर तीन महीने पर यहां रहने वाले किशोर अपचारी से संवाद व काउंसिलिंग करते हैं। इसी कड़ी में मनोसामाजिक काउंसलर सोनल श्रीवास्तव से मां की हत्या करने के आरोपी किशोर की काउंसिलिंग शुरू करवा दी गई है।
सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष रवींद्र जादौन ने कहा कि हमारा मकसद किशोर को हर हाल में सामान्य करना है, ताकि उसके मन की बात को साझा किया जा सके। हमने जब उससे अच्छे और बुरे पलों पर कुछ लिखने को कहा तो उसने कहा कि पापा के साथ जाना अच्छा लगता था, मां का साथ पसंद नहीं। उसने बताया कि किक्रेट पसंद है, अंडर 14 में खेल चुका हूं, फुटबॉल भी खेलता हूं। आर्ट एंड क्राफ्ट पसंद है।
सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष के मुताबिक, किशोर से जब अच्छे-बुरे पल लिखने को कहा गया तो उसने हिंदी में लिखने से मना कर दिया, कहा- अंग्रेजी में लिखूंगा। अध्यक्ष ने कहा कि कहीं न कहीं वेब सीरीज की दुनिया में खोकर वह वास्तविकता से दूर हो गया है। किशोर ने स्वीकार किया कि वह पूरी की पूरी सीरीज देख डालता है।
काउंसिलिंग टीम के मुताबिक, संवाद के दौरान किशोर ने कहा कि मां बहुत टोकती थीं। उसे जो पसंद नहीं था, मैं सुधार कर रहा था, पर उसे भरोसा नहीं था। हां, मुझे गुस्सा बहुत आता है और फिर कुछ बर्दाश्त नहीं होता। मेरा फोन भी एक महीने से किसी ने रिचार्ज नहीं कराया था। मैंने काफी दिन से गेम नहीं खेला था।
टीम ने जब उससे पूछा कि सबसे पहली बार गुस्सा कब किया था, तो उसने कहा कि मेरे दादाजी खत्म हो गए थे। मेरे बाल मुंडाए गए थे, स्कूल में बच्चों ने मुझे टकला कहकर चिढ़ाया और मेरी टोपी उछाल दी थी। मुझे गुस्सा आ गया और मैंने उन्हें कमरे में बंद कर लाठी से मारा था।