Punjab election 2022: चुनावी मौसम में 21 दिन जेल के बाहर रहेगा राम रहीम, मालवा में सियासी पारे का उतार-चढ़ाव तय करेंगे डेरा समर्थक


प्रवीण पाण्डेय, अमर उजाला, चंडीगढ़
Published by: ajay kumar
Updated Tue, 08 Feb 2022 01:52 AM IST

सार

पंजाब व यूपी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले 25 अगस्त 2017 से सुनारिया जेल में बंद सिरसा डेरा प्रमुख गुरमीत सिंह राम रहीम को हरियाणा सरकार ने 21 दिन की फरलो दे दी है। फरलो अवधि में राम रहीम गुरुग्राम स्थित फार्म हाउस में पुलिस की निगरानी में रहेगा। 

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डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम फरलो पर जेल से बाहर आ गया है। राम रहीम हरियाणा की सुनारिया जेल में बंद था। पंजाब की एससी राजनीति में खासा दखल रखने वाला डेरा सच्चा सौदा अब मालवा में सियासी पारे का उतार-चढ़ाव तय करेगा। पंजाब में पिछले कई चुनाव में डेरा समर्थकों का वोट निर्णायक बना है।

डेरा समर्थक मालवा क्षेत्र को सबसे ज्यादा प्रभावित करते हैं। यहां की 69 सीटों में से अधिकतर पर राम रहीम के काफी अनुयायी हैं। पिछले चुनाव में भी अंतिम समय पर डेरा समर्थकों ने भाजपा का समर्थन किया था और अकाली-भाजपा गठबंधन को लाभ हुआ था। उस समय आम आदमी पार्टी यह सोच कर चल रही थी कि मालवा में उन्हें अच्छी बढ़त मिलेगी लेकिन अंत में आम आदमी पार्टी का गणित गड़बड़ा गया और पंजाब में कांग्रेस सत्ता के सिंहासन तक पहुंच गई।

2002 से 2007 के बीच डेरा समर्थकों का झुकाव कांग्रेस की तरफ था। डेरा प्रमुख द्वारा धार्मिक भावनाएं भड़काने के बाद हवा का रुख बदला लेकिन डेरामुखी पर चल रहे मामलों में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल हो गई। इस दौरान डेरे का झुकाव अकालियों की तरफ रहा। हरियाणा में 2014 में भाजपा सरकार बनवाने में भी डेरे की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जाती है। हरियाणा में करीब 20 सीटों पर डेरा समर्थकों का प्रभाव है।

क्यों मायने रखती है राम रहीम की फरलो
राम रहीम की फरलो पंजाब के चुनावी मौसम में इसलिए मायने रखती है, क्योंकि सूबे में कांग्रेस ने अनुसूचित जाति के वोट बैंक को लुभाने के लिए चन्नी को चेहरा बनाया है। डेरा सच्चा सौदा के अधिकतर अनुयायी भी अनुसूचित जाति के हैं। ऐसे में डेरामुखी के बाहर आने के बाद मामला रोचक हो जाएगा। हालांकि, चुनाव में सक्रिय भागीदारी या चुनाव प्रभावित करने की कोशिश डेरामुखी की फरलो रद्द करवा सकती हैं।

राम रहीम को बाहर लाना सरकार के लिए परेशानी का सबब नहीं बनेगा यह देखना होगा, क्योंकि डेरा अनुयायियों ने यदि डेरा प्रमुख से मिलने की कोशिश की तो दिक्कत बढ़ जाएगी। यह वही डेरा प्रमुख है। जिसे गिरफ्तार करने के लिए पूरा सरकारी अमला झोंक दिया गया था। पंचकूला में डेरा समर्थकों द्वारा मचाया गया उपद्रव और गोलीकांड अभी भी लोगों के जहन में मौजूद है। 

फरलो पर जाना एक आम कैदी का अधिकार: मनोहर लाल
राम रहीम को फरलो मिलने पर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा है कि सरकारी सिस्टम व कानूनी प्रक्रियाएं देश के संविधान के हिसाब से चलती हैं, जिसके तहत हर व्यक्ति के अधिकार संरक्षित हैं। किसी व्यक्ति को फरलो देना एक प्रकार से कानूनी व प्रशासनिक प्रक्रिया है। फरलो पर जाना आम कैदी का अधिकार है। इसका चुनाव के संबंध में कोई मतलब नहीं निकाला जाना चाहिए। जो कैदी तीन साल की अवधि पूरा कर लेता है वो फरलो के लिए आवेदन कर सकता है। इसके बाद सामान्य प्रशासन और जेल प्रशासन उसके आवेदन पर विचार कर अंतिम फैसला करते हैं। यह एक प्रकार से नियमित प्रक्रिया होती है।

विस्तार

डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम फरलो पर जेल से बाहर आ गया है। राम रहीम हरियाणा की सुनारिया जेल में बंद था। पंजाब की एससी राजनीति में खासा दखल रखने वाला डेरा सच्चा सौदा अब मालवा में सियासी पारे का उतार-चढ़ाव तय करेगा। पंजाब में पिछले कई चुनाव में डेरा समर्थकों का वोट निर्णायक बना है।

डेरा समर्थक मालवा क्षेत्र को सबसे ज्यादा प्रभावित करते हैं। यहां की 69 सीटों में से अधिकतर पर राम रहीम के काफी अनुयायी हैं। पिछले चुनाव में भी अंतिम समय पर डेरा समर्थकों ने भाजपा का समर्थन किया था और अकाली-भाजपा गठबंधन को लाभ हुआ था। उस समय आम आदमी पार्टी यह सोच कर चल रही थी कि मालवा में उन्हें अच्छी बढ़त मिलेगी लेकिन अंत में आम आदमी पार्टी का गणित गड़बड़ा गया और पंजाब में कांग्रेस सत्ता के सिंहासन तक पहुंच गई।

2002 से 2007 के बीच डेरा समर्थकों का झुकाव कांग्रेस की तरफ था। डेरा प्रमुख द्वारा धार्मिक भावनाएं भड़काने के बाद हवा का रुख बदला लेकिन डेरामुखी पर चल रहे मामलों में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल हो गई। इस दौरान डेरे का झुकाव अकालियों की तरफ रहा। हरियाणा में 2014 में भाजपा सरकार बनवाने में भी डेरे की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जाती है। हरियाणा में करीब 20 सीटों पर डेरा समर्थकों का प्रभाव है।



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