रेल यात्रियों को नई सौगात! पुणे-मुंबई प्रगति एक्सप्रेस में लगेंगे आधुनिक विस्टडोम कोच, जानें इनकी खासियत


हाइलाइट्स

मुंबई-पुणे प्रगति एक्सप्रेस में लगाए जाएंगे विस्टाडोम कोच.
यह भारतीय रेल के पास मौजूद अत्याधुनिक कोच हैं.
इस ट्रेन के लिए बुकिंग 20 जुलाई से शुरू हो जाएगी.

नई दिल्ली. भारतीय रेल समय-समय पर अपग्रेड के साथ अपने यात्रियों को सुविधाजनक और आरामदायक सफर की सौगात देती रहती है. इस बार महाराष्ट्र में पुणे रुट के यात्रियों के लिए यह तोहफा आया है. रेलवे ने घोषणा की है कि पुणे-मुंबई-पुणे प्रगति एक्सप्रेस में अब आधुनिक विस्टाडोम कोच लगाए जाएंगे. साथ ही ट्रेन के कोचों को एलएचबी (लिकं हॉफमैन बुश) में बदल दिया जाएगा.

इस संबंध में मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (सीपीआरओ) शिवाजी सुतार ने कहा कि प्रगति एक्सप्रेस 25 जुलाई से नए कोचों के साथ चलाई जाएगी. ट्रेन हर दिन शाम 4:25 बजे सीएसएमटी से रवाना होगी. इसके बाद शाम 7:50 बजे ट्रेन पुणे पहुंच जाएगी.

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क्या होते हैं विस्टडोम कोच?
विस्टाडोम कोच रेलवे के पास मौजूद आधुनिक कोच हैं. इसमें कांच की बड़ी खिड़कियां, कांच की छतें और घूमने वाली सीट होती है. साथ ही इसमें ऑब्जर्वेशन लाउंज होता है जिसमें बैठकर यात्री बाहर के खूबसूरत नजारों का आनंद ले सकते हैं. हर विस्टोडम कोच में 44 सीटें होती हैं और खास बात यह है कि येसीटें 180 डिग्री घूम जाती हैं. इसमें यात्रियों की सुविधा के लिए भरपूर लैग रूम (पैर फैलाने की जगह) दिया जाता है.

किन ट्रेनों में विस्टडोम कोच?
रेलवे द्वारा प्रगति एक्सप्रेस में विस्टाडोम कोच जोड़ दिए जाने के बाद मध्य रेलवे जोन में चार ट्रेनें हो जाएंगी जिनमें यह सुविधा होगी. फिलहाल मुंबई-मडगांव जनशताब्दी एक्सप्रेस, मुंबई-पुणे डेक्कन एक्सप्रेस, मुंबई-पुणे डेक्कन क्वीन में यह कोच हैं. बता दें कि ये ट्रेन अभी अपनी पूरी क्षमता के साथ चल रही हैं. इनमें टिकट बुकिंग फुल रहती है और लोगों को इससे सफर करना पसंद आ रहा है. प्रगति एक्सप्रेस में यात्रा के लिए 20 जुलाई से सभी कंप्यूटरीकृत आरक्षण केंद्रों और वेबसाइट www.irctc.co.in पर टिकट बुकिंग शुरू हो जाएगी.

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कोच की अन्य खास बातें
इस कोच में इको फ्रेंडली मॉड्युलर टॉयलेट है. इसमें साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखा जाता है ताकि यात्रियों को गंदगी का सामना नहीं करना पड़े. ट्रैक को गंदा होने से बचाने के लिए इसमें बायो टैंक लगाया गया है, कोच में रिफ्रेशमेंट एरिया और एक सर्विस एरिया दिया गया है. सर्विस एरिया में फ्रिज और अवन रखा गया है जिसमें यात्री अपना खाना गर्म कर सकते हैं. विस्टाडोम कोचों में सीसीटीवी कैमरे लगे होते हैं.

एलएचबी कोच
लिकं हॉफमैन बुश यानी एलएचबी कोच भारतीय रेल के पारंपरिक कोच आईसीएफ (इंटीग्रल कोच फैक्ट्री) से अलग होते हैं. सबसे पहले तो आप इन्हें इनके रंग से पहचान सकते हैं. गहरे नीले रंग के रेल कोच आईसीएफ होते हैं जिन्हें चेन्नई के पेराम्बुर में डिजाइन किया गया था. इनका प्रोडक्शन 1952 से हो रहा है. वहीं एलएचबी कोच को जर्मनी में लिकं हॉफमैन बुश द्वारा डिजाइन किया गया था और भारत में इसका निर्माण 2000 से हो रहा है. आईसीएफ कोच स्टील से जबकि एलएचबी कोच स्टेनलैस स्टील से बने होते हैं जिसकी वजह से इनका वजन कम होता है. एलएचबी कोच में डिस्क ब्रेक होते हैं जबकि आईसीएफ में एयर ब्रेक होते हैं. इसलिए एलएचबी कोच तेज गति में जल्दी रोके जा सकते हैं. बात करें गति कि तो एलएचबी कोच को 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार तक तक दौड़ाया जा सकता है. वहीं. आईसीएफ में यह 160 किलोमीटर प्रति घंटा ही है जो एलएचबी कोच की औसत गति है.

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