Rajya Sabha Election: राजस्थान में इन पांच फॉर्मूलों से तय होगी एक सीट की हार-जीत, रिजॉर्ट में पहुंचे आधे ही विधायक, टेंशन में कांग्रेस


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राजस्थान की चार राज्यसभा सीटों के चुनाव के पहले ही सियासी पारा बढ़ता जा रहा है। एक तरफ जहां सरकार विधायकों की घेराबंदी में जुटी हुई है। वहीं दूसरी तरफ बीमार विधायकों ने सरकार के माथे पर चिंता की लकीर खींच दी हैं। तीन विधायक अभी भी हॉस्पिटल में बताए जा रहे हैं। हालांकि इनमें राजेंद्र पारीक और पूर्व विधानसभा स्पीकर दीपेंद्र सिंह शेखावत की हालत में सुधार लग रहा हैं। जबकि निर्दलीय विधायक ओमप्रकाश हुड़ला अचानक बीमार हो गए हैं। इधर, प्रतापगढ़ के रामलाल मीणा को अचानक इलाज के लिए गुजरात ले जाना पड़ा है।

जानकारों का कहना है कि राज्यसभा चुनाव में भाजपा समर्थित सुभाष चंद्रा के उतरने से मुकाबला रोचक और नाटकीय हो चुका है। कांग्रेस के तीसरे उम्मीदवार प्रमोद तिवारी या डॉ. चंद्रा में से जीतने वाले के बीच कौन सा फॉर्मूला फिट होगा, अभी यह कह पाना मुश्किल है। लेकिन चुनाव के दौरान तीन से चार विधायक मौजूद नहीं रहते हैं तो वोटों का गणित बहुत बदल जाएगा। हालांकि चाहे कांग्रेस हो या फिर भाजपा, दोनों हर विधायकों को व्हील चेयर पर भी लेकर आने की कोशिश करेगी ताकि वोट कम नहीं पड़ जाएं।

इन दो नियमों से संभव होगा चुनाव

फिलहाल अभी निर्वाचन अधिकारी मानकर चल रहे हैं कि कांग्रेस के दो और भाजपा के प्रथम उम्मीदवार को 41-41 वोट (कुल वैल्यू 4100-4100) मिलने पर निर्वाचित घोषित कर दिया जाएगा। इसके बाद शेष कांग्रेस के तीसरे उम्मीदवार के जीतने के लिए या तो निर्दलीय 13, सीपीएम दो व बीटीपी दो में से 14 वोट पहली वरीयता में पा लेगा तो निर्वाचित घोषित कर देंगे।

अगर कांग्रेस का तीसरा उम्मीदवार 14 वोट बाहर से पाने में फेल रहा और भाजपा समर्थित दूसरा उम्मीदवार निर्दलीय बीटीपी व सीपीएम में से आठ वोट पहली वरीयता में पा लेगा, तो कांग्रेस का तीसरा उम्मीदवार बाहर हो जाएगा और भाजपा समर्थित उम्मीदवार 41 वोट के साथ निर्वाचित हो जाएगा। हालांकि प्रथम उम्मीदवार को 41 की जगह प्रथम वरीयता से 45-46 वोट डलवाए जाएंगे, जिससे उनकी जीत को कोई खतरा नहीं हो। यही कांग्रेस भी करेगी। इसलिए कांग्रेस के तीसरे या भाजपा के दूसरे उम्मीदवार को जीतने के लिए पहली प्राथमिकता व सरप्लस वोटों की क्लियर कट लीड जरूरी होगी।

41 का आंकड़ा नहीं, पर यह होंगे तीन फॉर्मूले

यदि कांग्रेस के तीसरे उम्मीदवार या भाजपा समर्थित दूसरे उम्मीदवार में से किसी के 41-41 वोट नहीं हुए। साथ ही दोनों के प्रथम वरीयता के वोटों का अंतर तीन से पांच या ज्यादा हुआ, तो सीधे तौर पर माना जाएगा कि ज्यादा प्रथम वरीयता के वोट वाला विजयी और कम वोट वाला बाहर हो जाएगा। ऐसे केस में सेकंड वरीयता वाले सरप्लस वोट की गणना से भी कम वोट वाला जीत नहीं पाएगा। प्रथम वरीयता के 41 वोट नहीं होने पर भी ज्यादा वोट वाला जीत जाएगा।

यदि कांग्रेस के तीसरे उम्मीदवार और भाजपा समर्थित दूसरे उम्मीदवार दोनों को पहली वरीयता के 41-41 मत प्राप्त नहीं हुए। तब यह फॉर्मूला अपनाया जाएगा। कांग्रेस के 41-41 वोट (वोट वैल्यू 4100-4100) पाने वाले जीते उम्मीदवार के सरप्लस वोट गिने जाएंगे। इसी तरह भाजपा के जीते उम्मीदवार के 4101 से अधिक सरप्लस वोट गिने जाएंगे। सरप्लस वोटों में देखा जाएगा कि तीसरे उम्मीदवार को दूसरी वरीयता कितने विधायकों ने दी है। सरप्लस वोटों की वैल्यू में दूसरी वरीयता सही (2) भरने वाले विधायकों की संख्या का भाग देकर फिर गुणा करने पर एक मत का मूल्य आएगा। इनको जोड़कर जिसके कुल मत ज्यादा होंगे वो विजयी होगा।

यदि दोनों उम्मीदवार के पहली वरीयता के वोट वैल्यू उदाहरण के लिए 3400-3400 हुई यानी 34-34 वोट मिले। ऐसे में दोनों को मिले दूसरी वरीयता के वोटों की गिनती की जाएगी। उसमें भी संभावना रही कि वोट वैल्यू बराबर आई तो, तीसरी वरीयता के वोट और आगे तक गणित की जाएगी। जब तक क्लियर रूप से एक उम्मीदवार वोट वैल्यू में आगे नहीं हो जाए। जो आगे होगा वह जीतेगा। इस गणना में री-काउंटिंग व फॉर्मूले पर फॉर्मूले अपनाने के 1-2 दिन तक दौर चल सकते हैं।

आधे विधायक अभी तक नहीं पहुंचे

कांग्रेस ने अपने विधायकों की खरीद फरोख्त रोकने के लिए उन्हें उदयपुर में ठहराया है। सभी को अरावली की वादियों के ताज अरावली होटल में कांग्रेस के विधायकों को रुकवाया गया है, लेकिन अभी 125 में से सिर्फ 65 विधायक ही पहुंचे हैं। निर्दलीय विधायक ओम प्रकाश हुड़ला बीमार हो गए हैं। रमिला खड़िया, राजेंद्र बिधूड़ी से भी कांग्रेस का संपर्क नहीं हुआ है। वहीं, शनिवार और रविवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी उदयपुर आ सकते हैं। सभी विधायक नौ जून तक रहेंगे। इसके बाद उन्हें सीधे जयपुर ले जाकर 10 जून को वोट डलवाया जाएगा।

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राजस्थान की चार राज्यसभा सीटों के चुनाव के पहले ही सियासी पारा बढ़ता जा रहा है। एक तरफ जहां सरकार विधायकों की घेराबंदी में जुटी हुई है। वहीं दूसरी तरफ बीमार विधायकों ने सरकार के माथे पर चिंता की लकीर खींच दी हैं। तीन विधायक अभी भी हॉस्पिटल में बताए जा रहे हैं। हालांकि इनमें राजेंद्र पारीक और पूर्व विधानसभा स्पीकर दीपेंद्र सिंह शेखावत की हालत में सुधार लग रहा हैं। जबकि निर्दलीय विधायक ओमप्रकाश हुड़ला अचानक बीमार हो गए हैं। इधर, प्रतापगढ़ के रामलाल मीणा को अचानक इलाज के लिए गुजरात ले जाना पड़ा है।

जानकारों का कहना है कि राज्यसभा चुनाव में भाजपा समर्थित सुभाष चंद्रा के उतरने से मुकाबला रोचक और नाटकीय हो चुका है। कांग्रेस के तीसरे उम्मीदवार प्रमोद तिवारी या डॉ. चंद्रा में से जीतने वाले के बीच कौन सा फॉर्मूला फिट होगा, अभी यह कह पाना मुश्किल है। लेकिन चुनाव के दौरान तीन से चार विधायक मौजूद नहीं रहते हैं तो वोटों का गणित बहुत बदल जाएगा। हालांकि चाहे कांग्रेस हो या फिर भाजपा, दोनों हर विधायकों को व्हील चेयर पर भी लेकर आने की कोशिश करेगी ताकि वोट कम नहीं पड़ जाएं।

इन दो नियमों से संभव होगा चुनाव

फिलहाल अभी निर्वाचन अधिकारी मानकर चल रहे हैं कि कांग्रेस के दो और भाजपा के प्रथम उम्मीदवार को 41-41 वोट (कुल वैल्यू 4100-4100) मिलने पर निर्वाचित घोषित कर दिया जाएगा। इसके बाद शेष कांग्रेस के तीसरे उम्मीदवार के जीतने के लिए या तो निर्दलीय 13, सीपीएम दो व बीटीपी दो में से 14 वोट पहली वरीयता में पा लेगा तो निर्वाचित घोषित कर देंगे।

अगर कांग्रेस का तीसरा उम्मीदवार 14 वोट बाहर से पाने में फेल रहा और भाजपा समर्थित दूसरा उम्मीदवार निर्दलीय बीटीपी व सीपीएम में से आठ वोट पहली वरीयता में पा लेगा, तो कांग्रेस का तीसरा उम्मीदवार बाहर हो जाएगा और भाजपा समर्थित उम्मीदवार 41 वोट के साथ निर्वाचित हो जाएगा। हालांकि प्रथम उम्मीदवार को 41 की जगह प्रथम वरीयता से 45-46 वोट डलवाए जाएंगे, जिससे उनकी जीत को कोई खतरा नहीं हो। यही कांग्रेस भी करेगी। इसलिए कांग्रेस के तीसरे या भाजपा के दूसरे उम्मीदवार को जीतने के लिए पहली प्राथमिकता व सरप्लस वोटों की क्लियर कट लीड जरूरी होगी।

41 का आंकड़ा नहीं, पर यह होंगे तीन फॉर्मूले

यदि कांग्रेस के तीसरे उम्मीदवार या भाजपा समर्थित दूसरे उम्मीदवार में से किसी के 41-41 वोट नहीं हुए। साथ ही दोनों के प्रथम वरीयता के वोटों का अंतर तीन से पांच या ज्यादा हुआ, तो सीधे तौर पर माना जाएगा कि ज्यादा प्रथम वरीयता के वोट वाला विजयी और कम वोट वाला बाहर हो जाएगा। ऐसे केस में सेकंड वरीयता वाले सरप्लस वोट की गणना से भी कम वोट वाला जीत नहीं पाएगा। प्रथम वरीयता के 41 वोट नहीं होने पर भी ज्यादा वोट वाला जीत जाएगा।

यदि कांग्रेस के तीसरे उम्मीदवार और भाजपा समर्थित दूसरे उम्मीदवार दोनों को पहली वरीयता के 41-41 मत प्राप्त नहीं हुए। तब यह फॉर्मूला अपनाया जाएगा। कांग्रेस के 41-41 वोट (वोट वैल्यू 4100-4100) पाने वाले जीते उम्मीदवार के सरप्लस वोट गिने जाएंगे। इसी तरह भाजपा के जीते उम्मीदवार के 4101 से अधिक सरप्लस वोट गिने जाएंगे। सरप्लस वोटों में देखा जाएगा कि तीसरे उम्मीदवार को दूसरी वरीयता कितने विधायकों ने दी है। सरप्लस वोटों की वैल्यू में दूसरी वरीयता सही (2) भरने वाले विधायकों की संख्या का भाग देकर फिर गुणा करने पर एक मत का मूल्य आएगा। इनको जोड़कर जिसके कुल मत ज्यादा होंगे वो विजयी होगा।

यदि दोनों उम्मीदवार के पहली वरीयता के वोट वैल्यू उदाहरण के लिए 3400-3400 हुई यानी 34-34 वोट मिले। ऐसे में दोनों को मिले दूसरी वरीयता के वोटों की गिनती की जाएगी। उसमें भी संभावना रही कि वोट वैल्यू बराबर आई तो, तीसरी वरीयता के वोट और आगे तक गणित की जाएगी। जब तक क्लियर रूप से एक उम्मीदवार वोट वैल्यू में आगे नहीं हो जाए। जो आगे होगा वह जीतेगा। इस गणना में री-काउंटिंग व फॉर्मूले पर फॉर्मूले अपनाने के 1-2 दिन तक दौर चल सकते हैं।

आधे विधायक अभी तक नहीं पहुंचे

कांग्रेस ने अपने विधायकों की खरीद फरोख्त रोकने के लिए उन्हें उदयपुर में ठहराया है। सभी को अरावली की वादियों के ताज अरावली होटल में कांग्रेस के विधायकों को रुकवाया गया है, लेकिन अभी 125 में से सिर्फ 65 विधायक ही पहुंचे हैं। निर्दलीय विधायक ओम प्रकाश हुड़ला बीमार हो गए हैं। रमिला खड़िया, राजेंद्र बिधूड़ी से भी कांग्रेस का संपर्क नहीं हुआ है। वहीं, शनिवार और रविवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी उदयपुर आ सकते हैं। सभी विधायक नौ जून तक रहेंगे। इसके बाद उन्हें सीधे जयपुर ले जाकर 10 जून को वोट डलवाया जाएगा।



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