राज्यसभा की रेस और रिजॉर्ट की राजनीति, जानिए किस पार्टी में है कितना दम


नई दिल्ली. 10 जून को राज्यसभा सीटों के लिए चुनाव होना है. 57 सीटों के लिए चुनाव होना था. 11 राज्य की 41 सीटों पर उम्मीदवार निर्विरोध चुनाव जीत गए लेकिन 4 राज्यों में सीट से ज्यादा उम्मीदवारों के खड़े होने से मामला फंस गया. अब इन चार राज्यों के लिए 16 सीटों पर 10 जून को चुनाव होना है. राज्यसभा चुनाव में विधानसभा के सदस्य वोटिंग करते हैं. लेकिन चारों राज्यों में अपने-अपने विधायकों को अन्य दलों के शिकार होने से बचाने के लिए रिजॉर्ट की राजनीति तेज हो गई है.

टीओआई की खबर के मुताबिक महाराष्ट्र में शिवसेना ने अपने विधायकों को मुंबई के एक होटल में शिफ्ट कर दिया है तो हरियाणा और राजस्थान में कांग्रेस और बीजेपी ने अपने-अपने विधायकों को अज्ञात रिजॉर्ट पर भेज दिया है. ऐसे में राज्यसभा की रेस अहम हो गई है. आइए जानते हैं कि आखिर रिजॉर्ट की राजनीति के लिए पार्टियों को क्यों मजबूर होना पड़ता है और इस लिहाज से किस पार्टियों में कितना दम है.

किन-किन राज्यों में फंसा पेंच

11 राज्यों में 41 सीटों पर पार्टी उम्मीदवार के निर्विरोध चुने जाने की संभावना है लेकिन 4 राज्यों के 16 सीटों के चुनाव होना है. इन राज्यों में एक-एक सीट पर पार्टियों के बीच कांटे की टक्कर होने की पूरी संभावना है. ये राज्य हैं-महाराष्ट्र, राजस्थान, हरियाणा और कर्नाटक. यहां खाली सीटों से ज्यादा उम्मीदवार खड़े हो गए हैं. इसलिए क्रॉस वोटिंग के डर से पार्टियां अपने-अपने विधायकों को रिजॉर्ट या होटलों में शिफ्ट कर दिया है.

महाराष्ट्र

महाराष्ट्र में 6 सीटों के लिए चुनाव होना है. एक सीट के लिए 42 वोटों की जरूरत है. सत्ताधारी महाराष्ट्र विकास अघाड़ी गठबंधन के पास 151 वोट है. इस लिहाज से वह तीन सीट आसानी से जीत सकता है लेकिन चौथी सीट पर उम्मीदवार को जीताने के लिए उसे 15 और वोटों की जरूरत पड़ेगी. छोटे दलों का भरोसा पाकर शिवसेना ने चौथे उम्मीदवार को भी उतार दिया है. दूसरी बीजेपी के पास 106 विधायक है. दो सीटों पर वह आसानी से जीत सकता है लेकिन तीसरे उम्मीदवार को जिताने के लिए उसे 22 अतिरिक्त वोट की जरूरत पड़ेगी लेकिन उसने भी इसी छोटे दलों के सहारे अपने तीसरे उम्मीदवार को उतार दिया है. कांग्रेस में इमरान प्रतापगढ़ी को वहां से खड़ा करने पर विरोध हो रहा है. ऐसे में बीजेपी को यह भी लगता है कि कहीं कांग्रेस से क्रॉस वोटिंग न हो जाए.

राजस्थान

राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है. यहां चार सीटों के लिए चुनाव होना है. कांग्रेस के पास 108 वोट है. एक सांसद को चुनने के लिए 41 वोटों की जरूरत पड़ेगी. इस तरह वह तीन उम्मीदवारों को तो जीताने के लिए उसे 123 वोटों की जरूरत पड़ेगी. यानी 15 वोट कम. इसलिए वहां बीजेपी के समर्थन से सुभाष चंद्रा मैदान में उतर गए है. उनका टक्कर यूपी के प्रमोद तिवारी से होगा. बीजेपी एक सीट आसानी से जीत सकती है लेकिन दूसरी सीट के लिए वह सुभाष चंद्रा को समर्थन देगा.

बीजेपी के वोटो के अतिरिक्त सुभाष को 11 वोटों की और जरूरत पड़ेगी. कांग्रेस में अंदरुनी कलह को वे अपने लिए सही मानते हैं और उम्मीद लगाए बैठे हैं कि कुछ निर्दलीय और कांग्रेस विधायक क्रॉस वोटिंग करेंगे. इसलिए कांग्रेस विधायकों को रिजॉर्ट में भेज दिया गया है ताकि उनसे कोई संपर्क न कर सके.

कर्नाटक

कर्नाटक में चार सीटों के लिए चुनाव होना है. एक सदस्य के लिए 45 वोटों की आवश्यकता होगी. बीजेपी के पास 121 एमएल है. इस प्रकार वह दो सीटें आसानी से जीत सकता है लेकिन उसने तीन उम्मीदवार खड़े किए हैं. वहीं कांग्रेस के पास 70 विधायक है. इस प्रकार वह एक सीट आसानी से जीत सकता है लेकिन उसने दो उम्मीदवार खड़े किए हैं. वहीं जेडीएस के पास 32 सीटें हैं, उसने भी एक उम्मीदवार खड़ा किया है. यानी चौथी सीट के लिए तीन पार्टियों में टक्कर है.

हरियाणा

हरियाणा में भी दूसरी सीटों के लिए कांग्रेस के अजय माकन और मीडिया दिग्गज कार्तिकेय शर्मा के बीच टक्कर है. जीतने के लिए 31 वोटों की जरूरत है. कांग्रेस के पास 31 वोट है लेकिन उसे क्रॉस वोटिंग का डर सता रहा है.



Source link

Enable Notifications OK No thanks