नई दिल्ली. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikant Das) ने मौद्रिक नीतियों पर बैठक के बाद बृहस्पतिवार को बताया कि चालू तिमाही (जनवरी-मार्च) में उपभोक्ताओं को खुदरा महंगाई बहुत परेशान करेगी. नए वित्तवर्ष की शुरुआत के बाद ही इसमें नरमी के संकेत हैं.
तीन दिनों तक चली मौद्रिक समिति की बैठक के बाद गवर्नर दास ने वित्तवर्ष 2022-23 के लिए खुदरा महंगाई (Retail Inflation) का अनुमानित आंकड़ा जारी किया. उन्होंने कहा कि अगले वित्तवर्ष में खुदरा महंगाई 4.5 फीसदी रहने का अनुमान है. मौजूदा तिमाही में महंगाई दर ऊंची बनी रहेगी, लेकिन यह हमारे 6 फीसदी के तय दायरे से बाहर नहीं जाएगी. हालांकि, न्यूज एजेंसी रॉयटर ने अर्थशास्त्रियों के बीच कराए सर्वे में कहा है कि जनवरी में खुदरा महंगाई की दर 6 फीसदी तक पहुंच जाएगी, जो आरबीआई के दायरे का अंतिम छोर है.
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सितंबर के बाद ही नरमी के संकेत
शक्तिकांत दास (Shaktikant Das) ने कहा है कि फिलहाल खुदरा महंगाई से ज्यादा राहत मिलती नहीं दिख रही और 2022-23 की दूसरी छमाही यानी सितंबर के बाद ही इसमें नरमी के संकेत मिल रहे हैं. महंगाई पर घरेलू कारणों से ज्यादा ग्लोबल फैक्टर का दबाव है. दुनियाभर में महंगाई बढ़ रही है. ऐसे में सिर्फ भारत में इसके नीचे जाने की फिलहाल कोई संभावना नहीं दिख रही.
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लोगों की सोच में बैठी है महंगाई : दास
रिजर्व बैंक के गवर्नर ने महंगाई को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि अगर लोग ये सोचेंगे कि वे जो खाना, सब्जी, ईंधन और कपड़े खरीद रहे हैं, वह महंगे हैं तो उनके दिमाग में महंगाई ही घूमा करेगी. हालांकि, उपभोक्ता उत्पाद से जुड़ी कंपनियों और टेलीकॉम कंपनियों की ओर से कीमतें बढ़ाने का असर खुदरा महंगाई पर भी जरूर दिखेगा.
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